Wednesday, 23 May 2012

लपटें उठती उद्ध, जला पेट्रोल छिड़ककर-

पलायमान ब्लॉगर्स

  ZEAL

कक्षा में डांटे गए,  डटे रहे डग खूब |
पक्षपात शिक्षक करे, जात-पांत में डूब |

जात-पांत में डूब, ऊबते लेकिन सारे  |
करूँ टेंथ में टॉप, प्रभू संकल्प सहारे |

छोड़ बढ़ो नैराश्य,  यही रविकर की इच्छा  |
जीवन का संघर्ष, हमेशा बेढब कक्षा |।

टैकल पेट्रोल हाइक मक्खन स्टाइल...खुशदीप

Khushdeep Sehgal

मोहन माखन खा गए, मोहन पीते दुग्ध ।
आग लगा मोहन गए, लपटें उठती उद्ध ।

लपटें उठती उद्ध, जला पेट्रोल छिड़ककर ।
होती जनता क्रुद्ध, उखाड़ेगी क्या रविकर ।

बड़े कमीशन-खोर, चोर को हलुवा सोहन ।
दाढ़ी बैठ खुजाय, अर्थ का शास्त्री मोहन ।। 

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