पलायमान ब्लॉगर्स
कक्षा में डांटे गए, डटे रहे डग खूब |
पक्षपात शिक्षक करे, जात-पांत में डूब |
पक्षपात शिक्षक करे, जात-पांत में डूब |
जात-पांत में डूब, ऊबते लेकिन सारे |
करूँ टेंथ में टॉप, प्रभू संकल्प सहारे |
छोड़ बढ़ो नैराश्य, यही रविकर की इच्छा |
जीवन का संघर्ष, हमेशा बेढब कक्षा |।
आग लगा मोहन गए, लपटें उठती उद्ध ।
लपटें उठती उद्ध, जला पेट्रोल छिड़ककर ।
होती जनता क्रुद्ध, उखाड़ेगी क्या रविकर ।
बड़े कमीशन-खोर, चोर को हलुवा सोहन ।
दाढ़ी बैठ खुजाय, अर्थ का शास्त्री मोहन ।।
अच्छी कुण्डलियाँ!
ReplyDeleteबेहतरीन !
ReplyDelete्बहुत बढिया....
ReplyDeletebahut sateek..
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