Saturday, 12 May 2012

रहे नहीं संदेह, गीत गा ले बंजारा-

किसको घर कहता है पगल्रे


बंजारा जारा गया, यायावर मर जाय |
अमर आत्मा उड़नछू, पञ्च तत्व बिलगाय | 

पञ्च तत्व बिलगाय, दिवारों ने भरमाया  |
गगन पवन छिति आग, नीर से बनती काया |

नश्वर है घर देह, ख़ुशी से भोगे कारा |
रहे नहीं संदेह, गीत गा ले बंजारा ||

6 comments:

  1. नश्वर है घर देह, ख़ुशी से भोगे कारा |
    रहे नहीं संदेह, गीत गा ले बंजारा ||
    .बढिया पोस्ट .स्वागत करो जीवन का हर पल प्रति -पल . कह रविकर जी खोल .

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  2. टिप्पणि के साथ संदेश देती कविता करना कोई आपसे सीखे।

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  3. मनोज जी से सहमत हूँ ।

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  4. पञ्च तत्व बिलगाय, दिवारों ने भरमाया |
    गगन पवन छिति आग, नीर से बनती काया ...

    Great presentation..

    .

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  5. अच्छी पोस्ट!
    --
    मातृदिवस की शुभकामनाएँ!

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