किसको घर कहता है पगल्रे
बंजारा जारा गया, यायावर मर जाय |
अमर आत्मा उड़नछू, पञ्च तत्व बिलगाय |
अमर आत्मा उड़नछू, पञ्च तत्व बिलगाय |
पञ्च तत्व बिलगाय, दिवारों ने भरमाया |
गगन पवन छिति आग, नीर से बनती काया |
नश्वर है घर देह, ख़ुशी से भोगे कारा |
रहे नहीं संदेह, गीत गा ले बंजारा ||
अति सुन्दर...
ReplyDeleteनश्वर है घर देह, ख़ुशी से भोगे कारा |
ReplyDeleteरहे नहीं संदेह, गीत गा ले बंजारा ||
.बढिया पोस्ट .स्वागत करो जीवन का हर पल प्रति -पल . कह रविकर जी खोल .
टिप्पणि के साथ संदेश देती कविता करना कोई आपसे सीखे।
ReplyDeleteमनोज जी से सहमत हूँ ।
ReplyDeleteपञ्च तत्व बिलगाय, दिवारों ने भरमाया |
ReplyDeleteगगन पवन छिति आग, नीर से बनती काया ...
Great presentation..
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अच्छी पोस्ट!
ReplyDelete--
मातृदिवस की शुभकामनाएँ!