Monday, 14 May 2012

आधा सच कह देता रविकर, डाट-डैश में भरने का-


दशक का ब्लॉगर, एक और गड़बड़झाला

Blog ki khabren at Blog News - 14 minutes ago



चर्राया है शौक पुराना, महिमा मंडित करने का | 

इसकी टोपी उसके सर पर, उसकी अपने धरने का | 

टुकड़े टुकड़े में है दुनिया, इसको और कुतरने का | 

आधा सच कह देता रविकर, डाट-डैश में भरने का ||


गाँव

  अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)  
गाँव-राँव की बारीकी से,  वर्णन करते चले अरुण |
बाराहमासों के अलबेले, रंग ब्लॉग पर मले अरुण |

रहन-सहन संजीव कबड्डी, तीज और त्योहारों का-
जीव-जंतु मजदूर किसानों, पर लिखते हैं भले अरुण ||


कार्टून तो आप हैं जिन्हें कार्टून समझने की बुद्धि ही नहीं...

  ZEAL - 3 minutes ago

कार्टून में हैं रखे, नोट वोट के थाक |
जर-जमीन लाकर पड़े, है जमीर पर लाक |

है जमीर पर लाक , नाक हर जगह घुसेंड़ें |
बड़े बड़े चालाक, चलें लेकिन बन भेड़ें |

रविकर रक्षक कौन, जहर जब भरा खून में |
कार्टून नासमझ, भिड़े इक कार्टून में ||

होती क्या है टीके की दवा वैक्सीन ?

veerubhai at ram ram bhai - 47 minutes ago

टीका पर करते सटीक, टीका टिप्पण आप |
लोहा लोहे से कटे, कटे विकट संताप |

कटे विकट संताप, सूक्ष्म विश्लेषण करते |
नकारात्मक पक्ष, सावधानी  भी धरते |

टीका पर रख ध्यान, करे ना जीवन फीका |  
रविकर करे सचेत, समझ कर लेना टीका ||


"बन्दीघर में पाला जायेगा" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

  उच्चारण - 7 minutes ago
कहो कसाई को अब साईं,
वही गुसाईं  है भाई  |
जब कसाब साहब बन जाए,
होती सब बेकार दुहाई ||

आधा सच भी नहीं दिखाते -
सच कैसे मीडिया बताई |
चांदी के जूते खा-करके,
होती गुरुवर आज छपाई ||


Hindi Topics

मां के साथ हुए गैंग रेप का एकमात्र गवाह था, जिंदा जला डाला

 चिंटू जैसे केस नित, सहता रहा बिहार ।
होय दबंगों के घरे, हर रिश्ते की हार ।  

हर रिश्ते की हार, बहन बेटी पर आफत ।
केवल सेक्स विचार, छोड़ते रहे शराफत ।

ऊपर से छह इंच, नहीं अब बीच काट दो ।
बहुत बड़े यह मर्द, नपुंसक बीच बाँट दो ।।


सिर्फ नाम बदला है

बिल्ला चुहिया को खा जाये, चूहे बिल में छुपे दुबकते |
कहीं कभी भी वो आ जाये, चूहे केवल रहे सुबकते |

इन रंगा-बिल्लों को आखिर, सजा दिलाना होगा हमको -

घंटी नहीं बांधनी अबतो, गर्दन फंदा डाल निबटते  ||

6 comments:

  1. कमाल का कमेंट है।
    हमारी रिपोर्टिंग पूरी तरह निर्भीक और बेलालच है।

    क्यों ?

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  2. बहुत बढि़या।

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  3. :-)

    बहुत खूब..............................
    सादर.

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