Friday, 18 May 2012

बस नितम्ब सहलाय, हँसे गोपी यदुरानी -

धन्य-धन्य भाग्य तेरे यदुरानी ,तुझको मेरा शत-शत नमन



यदुरानी तू धन्य है, धन्य हुआ गोपाल ।
दही-मथानी से रही, माखन प्रेम निकाल ।

माखन प्रेम निकाल, खाय के गया सकाले ।
ग्वालिन खड़ी निढाल, श्याम माखन जब खाले ।

जकड कृष्ण को लाय, पड़े  दो दही मथानी ।
बस नितम्ब सहलाय, हँसे गोपी यदुरानी ।।

7 comments:

  1. यदुरानी तू धन्य है, धन्य हुआ गोपाल ।
    दही-मथानी से रही, माखन प्रेम निकाल ।
    sundar shbd chitr bhaav pravan kartaa sneh sansikt .

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  2. sundar shbd chitr sneh sinchit .

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  3. बहुत सुंदर,..अच्छी प्रस्तुति

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  4. यह आध्यात्मिक भाव भी अच्छा लगा।

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  5. सुन्दर अधात्मिक भाव्

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  6. अद्भुत... जय श्री कृष्ण

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