धन्य-धन्य भाग्य तेरे यदुरानी ,तुझको मेरा शत-शत नमन
यदुरानी तू धन्य है, धन्य हुआ गोपाल ।
दही-मथानी से रही, माखन प्रेम निकाल ।
माखन प्रेम निकाल, खाय के गया सकाले ।
ग्वालिन खड़ी निढाल, श्याम माखन जब खाले ।
जकड कृष्ण को लाय, पड़े दो दही मथानी ।
बस नितम्ब सहलाय, हँसे गोपी यदुरानी ।।
यदुरानी तू धन्य है, धन्य हुआ गोपाल ।
ReplyDeleteदही-मथानी से रही, माखन प्रेम निकाल ।
sundar shbd chitr bhaav pravan kartaa sneh sansikt .
sundar shbd chitr sneh sinchit .
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
ReplyDeleteबहुत सुंदर,..अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteयह आध्यात्मिक भाव भी अच्छा लगा।
ReplyDeleteसुन्दर अधात्मिक भाव्
ReplyDeleteअद्भुत... जय श्री कृष्ण
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