मेरे पापा .. तुम्हारे पापा से भी बढ़कर हैं-a short story
शिखा कौशिक at भारतीय नारी
उपज घटाता जा रहा, जहर कीट का बीट |
ज्वार खेत को खा रहा, *पापा नामक कीट |
ज्वार खेत को खा रहा, *पापा नामक कीट |
*ज्वार-बाजरा में लगने वाला एक कीड़ा, जो उपज नष्ट कर देता है ।
पापा नामक कीट, कीटनाशक से बचता |
सबसे ज्यादा ढीठ, सदा नंगा ही नचता |
पापा नामक कीट, कीटनाशक से बचता |
सबसे ज्यादा ढीठ, सदा नंगा ही नचता |
रविकर बड़ा महान, किन्तु मेरा जो पापा |
लेता पुत्र बचाय, गला बस पुत्री चापा ||
(व्याज-स्तुति )
चलो एकला मन्त्र है, शक्तिमान भरपूर |
नवल-मनीषी शुभ-धवल, सक्रिय जन मंजूर |
सक्रिय जन मंजूर, लोक-कल्याण ध्येय है |
पर तनहा मजबूर, जगत में निपट हेय है |
उत्तम किन्तु विचार, बने इक सुघड़ मेखला |
सबका हो परिवार, चलो मत प्रिये एकला |
दद्दा दहलाओ नहीं, दादुर दिल कमजोर |
इक छोटे से कुँवें में, होता रहता बोर |
होता रहता बोर, ताकता बाहर थोड़ा |
सर्प ब्लॉग पर देख, भाग कर छुपे निगोड़ा |
चंचल मन का चोर, कनखियाँ तनिक मारता |
करता किन्तु 'विनाश', खेल तू चला भाड़ता ||
"उल्लूक टाईम्स " -
विज्ञानी सबसे दुखी, कुढ़ता सारी रात ।
हजम नहीं कर पा रहा, वह उल्लू की बात ।
वह उल्लू की बात, असलियत सब बेपर्दा ।
(व्याज-स्तुति )
उफ़ यह अकेलापन!
noreply@blogger.com (Arvind Mishra) at क्वचिदन्यतोSपिचलो एकला मन्त्र है, शक्तिमान भरपूर |
नवल-मनीषी शुभ-धवल, सक्रिय जन मंजूर |
सक्रिय जन मंजूर, लोक-कल्याण ध्येय है |
पर तनहा मजबूर, जगत में निपट हेय है |
उत्तम किन्तु विचार, बने इक सुघड़ मेखला |
सबका हो परिवार, चलो मत प्रिये एकला |
वर्चुअल दोस्ती के ख़तरे...
नुक्कड़दद्दा दहलाओ नहीं, दादुर दिल कमजोर |
इक छोटे से कुँवें में, होता रहता बोर |
होता रहता बोर, ताकता बाहर थोड़ा |
सर्प ब्लॉग पर देख, भाग कर छुपे निगोड़ा |
चंचल मन का चोर, कनखियाँ तनिक मारता |
करता किन्तु 'विनाश', खेल तू चला भाड़ता ||
अज्ञानता और परमानंद
Sushil"उल्लूक टाईम्स " -
विज्ञानी सबसे दुखी, कुढ़ता सारी रात ।
हजम नहीं कर पा रहा, वह उल्लू की बात ।
वह उल्लू की बात, असलियत सब बेपर्दा ।
है उल्लू अलमस्त, दिमागी झाडे गर्दा ।
आनंदित अज्ञान, बहे ज्यों निर्मल पानी ।
बुद्धिमान इंसान, ख़ुशी ढूंढे विज्ञानी ।।
लाजबाब प्रस्तुति,....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteनायब पोस्ट |
ReplyDeleteshandar prastuti .aabhar
ReplyDeleteपता था केवल विद्वान ही आयेगा
ReplyDeleteअज्ञानी का परमानंद लाकर अपने
बोर्ड पर चिपका ले जायेगा ।
रविकर बड़ा महान, किन्तु मेरा जो पापा |
ReplyDeleteलेता पुत्र बचाय, गला बस पुत्री चापा ||बहुत सटीक और व्यापक है इस पोस्ट का कलेवर कई ब्लोगिया रंग समेटे .बधाई .
कृपया यहाँ भी पधारें -http://veerubhai1947.blogspot.in/
मंगलवार, 8 मई 2012
गोली को मार गोली पियो अनार का रोजाना जूस