पढ़ि-लिखि के भकुआ बने यार !
संतोष त्रिवेदी at बैसवारी baiswari - 42 minutes ago
बाइस पसेरी में बिका, भैया सारा धान |
रचो सुरक्षित बाइसी, करो सती-गुणगान |
रचो सुरक्षित बाइसी, करो सती-गुणगान |
करो सती-गुणगान, मान लो उनका कहना |
बाई ना चढ़ पाय, करो अब बंद उलहना |
अगर अकेला पाय, कहीं जो अधिक सताइस |
बैसवार से आय, धमकिहैं साले बाइस ||
एक और शानदार टिपाणी (रचना)।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया हैं भाई साहब अंदाज़ आपके .
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