लोमड़ी के दिवस पूरे !
लोमड़ी के दिवस पूरे-
पड़े-घूरे, उसे घूरें ||
रात बाकी-दिवस पूरे |
सदा थू-रे, बदा थूरे ||
घूर के भी दिन बहूरे-
लट्ठ हूरे, नग्न-हूरें ||
आँख सेकें, भद्र छोरे |
नहीं छू-रे, चलें छूरें ||
मस्त हैं अंगूर लेकिन
खले तू-रे, नहीं तूरे ||
दिवस्पति की दिल्लगी से-
झूम झूरे झेर झूरे ||
पड़े-घूरे, उसे घूरें ||
रात बाकी-दिवस पूरे |
सदा थू-रे, बदा थूरे ||
घूर के भी दिन बहूरे-
लट्ठ हूरे, नग्न-हूरें ||
आँख सेकें, भद्र छोरे |
नहीं छू-रे, चलें छूरें ||
मस्त हैं अंगूर लेकिन
खले तू-रे, नहीं तूरे ||
दिवस्पति की दिल्लगी से-
झूम झूरे झेर झूरे ||
दिवस पति यानी रवि यानी दिनेश...भाई वाह !
ReplyDeleteदिवस के तो हैं
ReplyDeleteरात के भी हैं जी ।
वाह !