Saturday, 5 May 2012

भर दे दर्पण सदन, भौंक मर जइहैं कुत्ते ।

S.N SHUKLA at MERI KAVITAYEN  

कुत्ते चोरों से मिलें, पहरा देगा कौन ।
कुत्ते कुत्ते ही पले, कुत्तुब ऊंचा भौन ।  

कुत्तुब ऊंचा भौन, बड़े षड्यंत्र रचाते ।
बढ़िया पाचन तंत्र, आज घी शुद्ध पचाते ।

मूतें दिल्ली मगन, उगे खुब कुक्कुर मुत्ते । 
रख सौ दर्पण सदन, भौंक मर जइहैं कुत्ते ।


संस्थागत हुआ मीडिया में भ्रष्टाचार

lokendra singh rajput at अपना पंचू  
खबर खभरना बन्द कर, ना कर खरभर मित्र ।
खरी खरी ख़बरें खुलें, मत कर चित्र-विचित्र ।

मत कर चित्र-विचित्र, समझ ले जिम्मेदारी ।
खम्भें दरकें तीन, बोझ चौथे पर भारी ।

सकारात्मक असर, पड़े दुनिया पर वरना ।
तुझपर सारा दोष,  करे जो खबर खभरना ।।
खबर खभरना  = मिलावटी खबर   

"बैठे ठाले उल्लूक चिंतन "


बड़ी दुर्दशा है सखे, लेता लड्डू लील |
बढे पित्त कफ वात सब, तीन बरस गुड फील |

तीन बरस गुड फील, उडाये खिल्ली बेजा |
मांसाहारी चील, खाय उल्लू का भेजा |


बीते बरस पचीस, कसे मजबूत शिकंजा |
कर ले काम खबीस, चील नत मारे पंजा ||


हिन्‍दी चिट्ठाकारी में 'कोयल शास्‍त्र' की कोई जगह क्‍यों नहीं हैं ???

नुक्‍कड़ at नुक्कड़

कोयल तो मर्मज्ञ है, सिक्स सेन्स संसेक्स |
ग्राफ सदा स्थिर रखे, खुद भी रहे रिलेक्स |

खुद भी रहे रिलेक्स, शास्त्र पर जायज चर्चा |
लेकिन पुरुष विचार, लगेगा कडुआ मिर्चा |

रविकर यह प्रस्ताव, करे जो सेक्सी-सिम्बल |
बने शास्त्र दमदार, लसे कौवे से कोयल ||

आपका लिंक यहाँ है -
dcgpthravikar.blogspot.com

3 comments:

  1. वाह उल्लू छोड़ कुत्ते पर आ गये
    कुत्ते ही कुत्ते जगह जगह छा गये।

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  2. कुत्ते जब से बन गये , इस्टेटस् सिम्बॉल
    बनबिलाव ने ओढ़ ली , है कुत्तों की खाल
    है कुत्तों की खाल , काम बस पूँछ हिलाना
    आकर्षक पैकेज, मिला उनको सालाना
    आवारा औ सड़क - छाप की जीरो कीमत
    खास नस्ल के कुत्तों की चमकी है किस्मत.

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