गेस्ट पोस्ट :फुटकर शैर राधे श्याम शुक्ल
Virendra Kumar Sharmaat
टुंडे - मुंडे खे रहे, भरी भारती नाव |
सात समंदर पार कर, पहुँचेगी उस गाँव | पहुँचेगी उस गाँव, जहाँ बचुवा का नाना | बचिया का हसबैंड, बताये देश "बनाना" | टाटा को सौ साल, चले अब हुंडी-हुंडे | किन्तु अरबपति बने, फटाफट टुंडे-मुंडे || |
बस्तर की अभिव्यक्ति -जैसे कोई झरना....
अदाखेतों में बेगार ने, उपजाया खुब धान ।चलती है दादागिरी, जूठन करता दान ।।बापखच्चर खोजें आज भी, डी एन ए की लैब ।काबुल में खोजा मगर, नहीं दिखा कुछ ऐब ।।ख़ूबसूरत चीज़ेंयाद मधुमयी से हुआ, हमें घोर मधुमेह ।तलुवे में जो घाव है, हुई अपाहिज देह ।।जल रहे हैंमधुमक्खी वे पालती, हैं हजार मजदूर ।
हुक्म चलाती इस तरह, मानूँ मैं मजबूर ।।
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पीला गुलाब 4 & 5.प्रतिभा सक्सेनालालित्यम् पार्वती शिव ब्याह से, माँ क्षोभित हो जाय | बेटी आगे बढ़ कहे, जनि कलंक लो माय | जनि कलंक लो माय, कीजिये भाग्य भरोसे | क्यूँकर आँखें मूंद, आज भी किस्मत कोसे | बन कन्या मजबूत, बदलना यह सती मती | होना होगा मुखर, बने अब क्यूँ कर पार्वती || |
कूँची नहीं कटारी है : गजल कहने की कोशिश
रूह बदन पर भारी है ।
ये कैसी बीमारी है ।।
दुराचार का आरोपी
भैया का व्यवहारी है ।।
माया ने सबको लूटा-
अब तो अपनी बारी है ।।
आड़ी तिरछी रेखाएं -
कूँची नहीं कटारी है ।।
मँहगाई जिसको कहते -
यक कोड़ा सरकारी है ।।
घोटाला उनकी नज़रों में
एक खबर अखबारी है ।।
भ्रूण-नष्ट दुर्गा के रविकर । महिषा अत्याचारी है ।। |
बढ़िया ग़ज़ल है!
ReplyDeleteअन्त में एक शेर और जोड़कर मक्ते में अपना नाम भी दीजिए।
bahut badhiya,"ghotala enki nazaron me.....
ReplyDeleteवाह बेहतरीन बेहद सुन्दर लिंक लिक्खाड़ से मुझे सदैव प्रेरणा मिलती है.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया अभिव्यक्ति ,,,,,,
ReplyDeleteMY RECENT POST: माँ,,,
बढिया लिंक्स
ReplyDeleteशुभकामनाएं
बहुत अच्छा संकलन !!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (13-10-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
अभी कुछ पढ़ना बाकी है .रुचि से पढ़ रही हूँ ये लिंक्स.
ReplyDelete'पीला गुलाब' चुना इसका आभार !
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इस ब्लॉग पर पहली बार अपनी रचना देखी है |
ReplyDeleteमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा