Virendra Kumar Sharma
पत्नी भोजन दे पका, स्वाद लिया भरपूर |
बेटा रूपये भेजता, बसा हुआ जो दूर | बसा हुआ जो दूर, हमारी तो आदत है | नहीं कहें आभार, पुरानी सी हरकत है | गरज तुम्हारी आय, ठोकते रहिये टिप्पण | क्या बिगड़ेगा मोर, ढीठ रविकर है कृ-पण || |
Untitledmridula pradhan
mridula's blog
हरसिंगार अठखेलियाँ , विदुषी सी चमकार । बढे धरा का सौन्दर्य, जनमन पर उपकार । जनमन पर उपकार, प्रफुल्लित काया नाचे । गहन व्याख्या मूर्त, कवियत्री महिमा बाँचे । सीधे साँचे भाव, बधाई शुभ स्वीकारो । बढ़िया यह सृंगार, धरा पर स्वर्ग उतारो ।। |
पति-पत्नी तो व्यस्त, बाल मन बनता लावा-
नैतिक शिक्षा पुस्तकें, सदाचार आधार |
महत्त्वपूर्ण इनसे अधिक, मात-पिता व्यवहार | मात-पिता व्यवहार, पुत्र को मिले बढ़ावा | पति-पत्नी तो व्यस्त, बाल मन बनता लावा | खेल वीडिओ गेम, जीत की हरदम इच्छा | मारो काटो घेर, करे क्या नैतिक शिक्षा || |
आशा
रचना दीक्षित
पीड़ा से पीड़ा हरे, वह प्राणान्तक पीर । वाह मीन तू धन्य है, परहित धरा शरीर । परहित धरा शरीर, चाहिए थोडा सा जल । रहे कर्मरत सदा, बने दूजे का सम्बल । रचना आश-भरोस, खाय इक जल का कीड़ा । करे दान सर्वांग, सहे परहित यह पीड़ा ।। |
शब्दMamta Bajpai
शत्रु-शस्त्र से सौ गुना, संहारक परिमाण ।
शब्द-वाण विष से बुझे, मित्र हरे झट प्राण ।
मित्र हरे झट प्राण, शब्द जब स्नेहसिक्त हों ।
जी उठता इंसान, भाव से रहा रिक्त हो ।
हे विदुषी आभार, चित्र यह बढ़िया खींचा ।
शब्दों का जल-कोष, मरुस्थल को भी सींचा ।।
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याद
Devdutta Prasoon at साहित्य प्रसून
बांटा जीवन भर हँसी, जय भट्टी जसपाल |
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यशवन्त माथुर (Yashwant Mathur)
चौवालिस सौ हिट मिली, एक माह में मित्र ।
गाल फुला के बैठते, हालत बड़ी विचित्र ।
हालत बड़ी विचित्र, मित्र यशवंत बताएं ।
शुभकामना सँदेश, जन्म दिन में भिजवायें ।
वर्षगाँठ हर विविध, पलक पाँवड़े विछा के ।
नहीं कहें आभार, कभी भी बड़के आके ।।
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रविकर-पुंज
यूँ तो मुहब्बत किया जान देकर-
मगर ख़ुदकुशी ने रुलाया बहुत है |
अगर गम गलत कर न पाए हसीना-
खिला गम को, पानी पिलाया बहुत है ||
तड़पते तड़पते हुआ लाश रविकर-
जबर ठोकरों ने हिलाया बहुत है ||
गाया गजल गुनगुनाया गुनाकर -
सुना मर्सिया तूने गाया बहुत है ||
दिखी तेरे होंठो पे अमृत की बूँदें -
जिद्दी को तूने जिलाया बहुत है ||
मगर ख़ुदकुशी ने रुलाया बहुत है |
अगर गम गलत कर न पाए हसीना-
खिला गम को, पानी पिलाया बहुत है ||
तड़पते तड़पते हुआ लाश रविकर-
जबर ठोकरों ने हिलाया बहुत है ||
गाया गजल गुनगुनाया गुनाकर -
सुना मर्सिया तूने गाया बहुत है ||
दिखी तेरे होंठो पे अमृत की बूँदें -
जिद्दी को तूने जिलाया बहुत है ||
बहुत सुन्दर कुंडलियाँ रची हैं आपने रविकर जी!
ReplyDeleteहारसिंगार का ये वृक्ष शायद पक्का नही कह सकता पर पारिजात भी कहा जाता है जो कि स्वर्ग में होता था
ReplyDeleteबहुत ख़ूब क्या बात है सर!
ReplyDeleteइनमें से कई लिंक्स पर हो अया हूं। आपने इन पर बहुत अच्छी कविता की है।
ReplyDelete
ReplyDeleteरविवार, 28 अक्तूबर 2012
तर्क की मीनार
http://veerubhai1947.blogspot.com/
डेंगू पर चौतरफा जानकारी देता बेहतरीन प्रासंगिक आलेख .शुक्रिया डॉ .साहब का .
कबीरा तेरी झौंपडी गलकटियन के पास ,
करेगें सो भरेंगे ,तू क्यों भयो उदास .
दिन में माला जपत हैं ,रात हनत हैं गाय .
पति-पत्नी तो व्यस्त, बाल मन बनता लावा-
नैतिक शिक्षा पुस्तकें, सदाचार आधार |
महत्त्वपूर्ण इनसे अधिक, मात-पिता व्यवहार |
मात-पिता व्यवहार, पुत्र को मिले बढ़ावा |
पति-पत्नी तो व्यस्त, बाल मन बनता लावा |
खेल वीडिओ गेम, जीत की हरदम इच्छा |
मारो काटो घेर, करे क्या नैतिक शिक्षा ||
महत्वपूर्ण ,मौजू मुद्दा उठाया है .
एक बार फिर सुंदर लिंक्स का संकलन.
ReplyDeleteधन्यबाद रविकर जी मेरी पोस्ट को अपने ब्लॉग में स्थान देने के लिये.
वाह!
ReplyDeleteआपकी इस ख़ूबसूरत प्रविष्टि को आज दिनांक 29-10-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1047 पर लिंक किया जा रहा है। सादर सूचनार्थ
ReplyDeleteगहन व्याख्या मूर्त, कवियत्री महिमा बाँचे -
तर्क की मीनार
Virendra Kumar Sharma
ram ram bhai
पत्नी भोजन दे पका, स्वाद लिया भरपूर |
बेटा रूपये भेजता, बसा हुआ जो दूर |
बसा हुआ जो दूर, हमारी तो आदत है |
नहीं कहें आभार, पुरानी सी हरकत है |
गरज तुम्हारी आय, ठोकते रहिये टिप्पण |
क्या बिगड़ेगा मोर, ढीठ रविकर है कृ-पण ||
बहुत सुन्दर रविकर जी मर्म पकड़ा है आपने मूल आलेख का .
पति-पत्नी तो व्यस्त, बाल मन बनता लावा-
नैतिक शिक्षा पुस्तकें, सदाचार आधार |
महत्त्वपूर्ण इनसे अधिक, मात-पिता व्यवहार |
मात-पिता व्यवहार, पुत्र को मिले बढ़ावा |
पति-पत्नी तो व्यस्त, बाल मन बनता लावा |
खेल वीडिओ गेम, जीत की हरदम इच्छा |
मारो काटो घेर, करे क्या नैतिक शिक्षा ||
महत्वपूर्ण ,मौजू मुद्दा उठाया है .
डिजिटलीकरण हो रहा है बच्चों का .
अच्छे लिंक्स:)
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