"मेरा सुझाव अच्छा लगे तो इस कड़वे घूँट का पान करें"
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
अपना न्यौता बांटते, पढवाते निज लेख |
स्वयं कहीं जाते नहीं, मारें शेखी शेख |
मारें शेखी शेख, कभी दूजे घर जाओ |
इक प्यारी टिप्पणी, वहां पर जाय लगाओ |
करो तनिक आसान, टिप्पणी करना भाये |
कभी कभी रोबोट, हमें भी बहुत सताए ||
स्वयं कहीं जाते नहीं, मारें शेखी शेख |
मारें शेखी शेख, कभी दूजे घर जाओ |
इक प्यारी टिप्पणी, वहां पर जाय लगाओ |
करो तनिक आसान, टिप्पणी करना भाये |
कभी कभी रोबोट, हमें भी बहुत सताए ||
स्त्रीत्व : समर्पण का छद्म पूर्ण सम्मान !
धीरेन्द्र अस्थाना
रह जावोगे ढूँढ़ते, श्रेष्ठ समर्पण त्याग |
नारीवादी भर रहीं, रिश्तों में नव आग | रिश्तों में नव आग, राग अब बदल रहा है | एकाकी जिंदगी, समंदर आह सहा है | पावन माँ का रूप, सदा पूजा के काबिल | रहे जहर कुछ घोल, कहे है रविकर जाहिल || |
बचपन और यादें ......... >>> गार्गी की कलम से
संजय कुमार चौरसिया
हे दुर्गे ब्रह्मवादिनी, माँ का भावे रूप ।
होय माघ की शीत या, तपे जेठ की धूप ।
तपे जेठ की धूप, कठिनाई से सदा उबारे ।
याद तुम्हारी बसी, कोठरी घर चौबारे ।
अग्रज दीदी अनुज, बुआ चाचा सब भावें ।
किन्तु श्रेष्ठ माँ गोद, भोगनें भगवन आवें ।।
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पर भूली संस्कार
Asha Saxena
सर्वोपरि है प्यार पर, इसके कई प्रकार ।
दो जीवों के बीच में, महत्त्वपूर्ण दरकार ।
महत्त्वपूर्ण दरकार, हुवे अब दो दो बच्चे ।
बही समय की धार, बदलते आशिक सच्चे ।
सम्मुख दिखे तलाक, परस्पर नफरत पाले ।
करते हटकु हलाक, मूर्ख संतान बचाले ।।बाबा दादी में नहीं, रहा कभी भी प्यार | आपस में सम्मान था, सम्मुख था परिवार | सम्मुख था परिवार, प्यार के सुनो पुजारी | नफ़रत गर हो जाय, परस्पर देते गारी | झटपट होय तलाक, पकड़ते ढर्रा दूजा | किन्तु पूर्वज सोच, करें रिश्तों की पूजा | |
डेंगू का वायरस पद-प्रतिष्ठा-पैसा नहीं देखता
Kumar Radharaman
भगवन की भेंगी नजर, डेंगी का उपहार | मानव की नित हार है, दिल्ली की सरकार | दिल्ली की सरकार, हाथ पर हाथ धरे है | बढती भीषण व्याधि, व्यर्थ ही लोग मरे हैं | करो सफाई खूब, नहीं जमने दो पानी | नहीं तो जाओ डूब, मरे ना उनकी नानी || |
अब लेनिन के बुत भी बर्दाश्त नहीं
lokendra singh
लेनिन की प्रतिमा गई, बाम-पंथ कर गौर ।
क़त्ल हजारों थे हुवे, नया देख ले दौर ।
नया देख ले दौर, क्रूर सिद्धांत अंतत: ।
देते लोग नकार, सुधार लो अत: स्वत: ।
पूंजीवाद खराब, करें वे शोषण लेकिन ।
श्रमिक लीडरी ढीठ, बदल कर रखता लेनिन ।। |
बहुत खूब अच्छी टिप्पणियाँ,,,,
ReplyDeleteRECENT POST LINK ...: विजयादशमी,,,
कभी कभी रोबोट, हमें भी बहुत सताए
ReplyDeleteye badhiya thi
सारे पोस्ट बहुत उम्दा | उनपे आपकी टिप्पणियाँ रविकर जी, हमेशा की तरह कमाल की | बहुत खूब | आभार |
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ReplyDeleteअपना न्यौता बांटते, पढवाते निज लेख |
स्वयं कहीं जाते नहीं, मारें शेखी शेख |
मारें शेखी शेख, कभी दूजे घर जाओ |
इक प्यारी टिप्पणी, वहां पर जाय लगाओ |
करो तनिक आसान, टिप्पणी करना भाये |
कभी कभी रोबोट, हमें भी बहुत सताए ||
हाँ कई ब्लोगाचारी महारथी हैं ,
स्पैम बोक्स बने टिपण्णी डकारें .
इनके ब्लोगों को प्रभु तारें ,
प्रभु भाव यह खुद ही धारें .
कहिये तो गिनती हो जाए ,
ReplyDeleteकितने यहाँ ब्लॉग गौरव ,ब्लॉग गर्विताएं
हुकुम करो तो नाम बताएं ,
या मुद्दा आगे खिसकाएं .
ब्लॉगमंच
अपना न्यौता बांटते, पढवाते निज लेख |
स्वयं कहीं जाते नहीं, मारें शेखी शेख |
मारें शेखी शेख, कभी दूजे घर जाओ |
इक प्यारी टिप्पणी, वहां पर जाय लगाओ |
करो तनिक आसान, टिप्पणी करना भाये |
कभी कभी रोबोट, हमें भी बहुत सताए ||
हमको भी ये बहुत सताएं ,
ReplyDeleteअक्सर अपनी पीठ दिखाएं .
पीड़ा ये सामूहिक भैया ,
इनके नाम खोल दो भैया .