Politics To Fashion
अस्वाभाविक ग्रोथ का, सीधा सरल निचोड़ | आम जनों के रक्त से, करते जमा करोड़ | करते जमा करोड़, जुगाड़ी जुगल जोड़ियाँ | करें अशर्फी जमा, बड़ी दमदार कौडियाँ | मूत रहे ये आग, बड़ा साम्राज्य खडा है | हाड़ मांस की नींव, आदमी दबा पड़ा है || |
नहीं रूकेंगे बलात्कार
रणधीर सिंह सुमन
मारा पहले कोख में, बिना दोष के दोस्त | ज़िंदा बच जाए अगर, सोंधा सोंधा गोश्त | सोंधा सोंधा गोश्त, नोच कर कच्चा खाओ | खाप गई है खेप, इसे श्मशान भिजाओ | मूल विषय को भूल, कुतर्की यह हत्यारा | ठीक करे अनुपात, करे ना मारी मारा || |
वक्त को संभालो.... !!!यादें...
कैसे भूल जाऊं तेरी यादो को, जिन्हे याद करने से तू याद आए॥
गुजर-बसर में गुजरता, सारा जीवन काल ।
किन्तु काल सिर पर खड़ा, पूछे हाल हवाल ।
पूछे हाल हवाल, सवालों ने है घेरा ।
लगा रहा रे जीव, युगों से जग का फेरा ।
इन्तजार क्या करे, जुटे अब इंतजाम में ।
छोड़ो काम-तमाम, देर अब नहीं शाम में ।।
गोत्रज विवाह-
गुण-सूत्रों की विविधता, बहुत जरूरी चीज |
गोत्रज में कैसे मिलें, रखिये सतत तमीज ||
गोत्रज दुल्हन जनमती, एकल-सूत्री रोग |
दैहिक सुख की लालसा, बेबस संतति भोग ||
मिटते दारुण दोष पर, ईश्वर अगर सहाय |
सबसे उत्तम ब्याह हित, दूरी रखो बनाय ||
गोत्र-प्रांत की भिन्नता, नए नए गुण देत |
संयम विद्या बुद्धि बल, साहस रूप समेत || |
एक प्रेम कविता ....Saras
मेरे हिस्से की धूप
दूरी विरह शिकायतें, महायुद्ध हो जाय |
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नारी
Minakshi Pant
सास ससुर सुत सुता पति, सेवा में हो शाम | सेवा में हो शाम, नहीं सी. एल. नहिं इ. एल. | जब केवल सिक लीव, जाय ना जीवन जीयल |
रविकर मइके जाय, पिए जो माँ की घुट्टी |
ढूँढे निज अस्तित्व, बिता के दस दिन छुट्टी || |
थरूर की बीबी - मोदी का दर्द
Arunesh c dave
अपनी सत्ता सुंदरी, पर कर मोदी गौर |
व्याह करा दें कहीं ना, थेथर थूर खखोर | थेथर थूर खखोर, पड़ा कल जबर चटकना | बाकी रहते भोर, बंद कर उधर भटकना | कर समाज कल्याण, खबर तेरी सब छपनी | अरबों की माशूक, संभाले भरदम अपनी || |
तांडव शंकर दे मचा , नचा विश्व परिदृश्य |
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पिला रही निज रक्त, मदर-विदुषी यह बोली-
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हैं फॉलोवर ढेर, चेत हे ब्लॉगर नामी-
कामी क्रोधी लालची, पाये बाह्य उपाय ।
उद्दीपक का तेज नित, इधर उधर भटकाय ।
इधर उधर भटकाय, कुकर्मों में फंस जाता ।
अहंकार का दोष, मगर अंतर से आता।
हैं फॉलोवर ढेर, चेत हे ब्लॉगर नामी ।
पद मद में हो चूर, बने नहिं क्रोधी कामी ।।
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ReplyDeleteनहीं रूकेंगे बलात्कार
रणधीर सिंह सुमन
लो क सं घ र्ष !
मारा पहले कोख में, बिना दोष के दोस्त |
ज़िंदा बच जाए अगर, सोंधा सोंधा गोश्त |
सोंधा सोंधा गोश्त, नोच कर कच्चा खाओ |
खाप गई है खेप, इसे श्मशान भिजाओ |
मूल विषय को भूल, कुतर्की यह हत्यारा |
ठीक करे अनुपात, करे ना मारी मारा ||
बहुत सटीक धारदार काव्य .बधाई .
बहुत मार्मिक प्रस्तुति .
नहीं रूकेंगे बलात्कार
ReplyDeleteरणधीर सिंह सुमन
लो क सं घ र्ष !
मारा पहले कोख में, बिना दोष के दोस्त |
ज़िंदा बच जाए अगर, सोंधा सोंधा गोश्त |
सोंधा सोंधा गोश्त, नोच कर कच्चा खाओ |
खाप गई है खेप, इसे श्मशान भिजाओ |
मूल विषय को भूल, कुतर्की यह हत्यारा |
ठीक करे अनुपात, करे ना मारी मारा ||
बहुत सटीक धारदार काव्य .बधाई .
बहुत मार्मिक प्रस्तुति .
जाएं तो हम इनके इहाँ भी टिपियाने लेकिन ई ससुर (सुसर )केकड़ा वृत्ति से ग्रस्त हैं कोई आगे बढ़ता है ,ईर्ष्या से उसकी ये टांग पीछे की ओर खींच लेते हैं .अब ये ही सुमन हैं ये पुष्प हैं .
वाह ..
ReplyDeleteगोत्रज विवाह-
ReplyDeleteगुण-सूत्रों की विविधता, बहुत जरूरी चीज |
गोत्रज में कैसे मिलें, रखिये सतत तमीज ||
गोत्रज दुल्हन जनमती, एकल-सूत्री रोग |
दैहिक सुख की लालसा, बेबस संतति भोग ||
मिटते दारुण दोष पर, ईश्वर अगर सहाय |
सबसे उत्तम ब्याह हित, दूरी रखो बनाय ||
गोत्र-प्रांत की भिन्नता, नए नए गुण देत |
संयम विद्या बुद्धि बल, साहस रूप समेत ||
बहुत सही कहा है रविकर जी .जीनी विविधता (जीवन खंडों की विविधता )तथा
संततियों के बौद्धिक विकास के लिए जीन विविधता ज़रूरी है जीन विविधता बोले तो
अंतर -जातीय ,अंतर -प्रांतीय ,अंतर -कोस्मिक विवाह .नोट करें खापी ./खापिये /खापड़े .
http://dineshkidillagi.blogspot.com/2012/10/blog-post_31.html?showComment=1351711577286#c2839803669644452090
WEDNESDAY, 31 OCTOBER 2012
अस्वाभाविक ग्रोथ का, सीधा सरल निचोड़-
ReplyDeleteSuper Storm Sandy
वीरू भाई
ram ram bhai
तांडव शंकर दे मचा , नचा विश्व परिदृश्य |
विशिष्ट ऊर्जा जल भरे, करे जलजला पृश्य |
करे जलजला पृश्य, दृश्य नहिं देखा जाए |
जल जाए जब जगत, हजारों जाने खाए |
क्षिति जल पावक गगन, वायू से मंच पांडव |
छेड़ छाड़ कर बंद, नहीं तो झेल तांडव ||
बेहतरीन भावांतरण मूल आलेख का .शुक्रिया .
नहीं रूकेंगे बलात्कार
ReplyDeleteरणधीर सिंह सुमन
लो क सं घ र्ष !
मारा पहले कोख में, बिना दोष के दोस्त |
ज़िंदा बच जाए अगर, सोंधा सोंधा गोश्त |
सोंधा सोंधा गोश्त, नोच कर कच्चा खाओ |
खाप गई है खेप, इसे श्मशान भिजाओ |
मूल विषय को भूल, कुतर्की यह हत्यारा |
ठीक करे अनुपात, करे ना मारी मारा ||
बहुत सटीक धारदार काव्य .बधाई .
बहुत मार्मिक प्रस्तुति .
जाएं तो हम इनके इहाँ भी टिपियाने लेकिन ई ससुर (सुसर )केकड़ा वृत्ति से ग्रस्त हैं कोई आगे बढ़ता है ,ईर्ष्या से उसकी ये टांग पीछे की ओर खींच लेते हैं .अब ये ही सुमन हैं ये पुष्प हैं .
गोत्रज विवाह-
गुण-सूत्रों की विविधता, बहुत जरूरी चीज |
गोत्रज में कैसे मिलें, रखिये सतत तमीज ||
गोत्रज दुल्हन जनमती, एकल-सूत्री रोग |
दैहिक सुख की लालसा, बेबस संतति भोग ||
मिटते दारुण दोष पर, ईश्वर अगर सहाय |
सबसे उत्तम ब्याह हित, दूरी रखो बनाय ||
गोत्र-प्रांत की भिन्नता, नए नए गुण देत |
संयम विद्या बुद्धि बल, साहस रूप समेत ||
बहुत सही कहा है रविकर जी .जीनी विविधता (जीवन खंडों की विविधता )तथा
संततियों के बौद्धिक विकास के लिए जीन विविधता ज़रूरी है जीन विविधता बोले तो
अंतर -जातीय ,अंतर -प्रांतीय ,अंतर -कोस्मिक विवाह .नोट करें खापी ./खापिये /खापड़े .
बेहतरीन भावांतरण मूल आलेख का .शुक्रिया .
नहीं रूकेंगे बलात्कार
ReplyDeleteरणधीर सिंह सुमन
लो क सं घ र्ष !
मारा पहले कोख में, बिना दोष के दोस्त |
ज़िंदा बच जाए अगर, सोंधा सोंधा गोश्त |
सोंधा सोंधा गोश्त, नोच कर कच्चा खाओ |
खाप गई है खेप, इसे श्मशान भिजाओ |
मूल विषय को भूल, कुतर्की यह हत्यारा |
ठीक करे अनुपात, करे ना मारी मारा ||
बहुत सटीक धारदार काव्य .बधाई .
बहुत मार्मिक प्रस्तुति .
जाएं तो हम इनके इहाँ भी टिपियाने लेकिन ई ससुर (सुसर )केकड़ा वृत्ति से ग्रस्त हैं कोई आगे बढ़ता है ,ईर्ष्या से उसकी ये टांग पीछे की ओर खींच लेते हैं .अब ये ही सुमन हैं ये पुष्प हैं .
गोत्रज विवाह-
गुण-सूत्रों की विविधता, बहुत जरूरी चीज |
गोत्रज में कैसे मिलें, रखिये सतत तमीज ||
गोत्रज दुल्हन जनमती, एकल-सूत्री रोग |
दैहिक सुख की लालसा, बेबस संतति भोग ||
मिटते दारुण दोष पर, ईश्वर अगर सहाय |
सबसे उत्तम ब्याह हित, दूरी रखो बनाय ||
गोत्र-प्रांत की भिन्नता, नए नए गुण देत |
संयम विद्या बुद्धि बल, साहस रूप समेत ||
बहुत सही कहा है रविकर जी .जीनी विविधता (जीवन खंडों की विविधता )तथा
संततियों के बौद्धिक विकास के लिए जीन विविधता ज़रूरी है जीन विविधता बोले तो
अंतर -जातीय ,अंतर -प्रांतीय ,अंतर -कोस्मिक विवाह .नोट करें खापी ./खापिये /खापड़े .
बेहतरीन भावांतरण मूल आलेख का .शुक्रिया .
नहीं रूकेंगे बलात्कार
ReplyDeleteरणधीर सिंह सुमन
लो क सं घ र्ष !
मारा पहले कोख में, बिना दोष के दोस्त |
ज़िंदा बच जाए अगर, सोंधा सोंधा गोश्त |
सोंधा सोंधा गोश्त, नोच कर कच्चा खाओ |
खाप गई है खेप, इसे श्मशान भिजाओ |
मूल विषय को भूल, कुतर्की यह हत्यारा |
ठीक करे अनुपात, करे ना मारी मारा ||
बहुत सटीक धारदार काव्य .बधाई .
बहुत मार्मिक प्रस्तुति .
जाएं तो हम इनके इहाँ भी टिपियाने लेकिन ई ससुर (सुसर )केकड़ा वृत्ति से ग्रस्त हैं कोई आगे बढ़ता है ,ईर्ष्या से उसकी ये टांग पीछे की ओर खींच लेते हैं .अब ये ही सुमन हैं ये पुष्प हैं .
गोत्रज विवाह-
गुण-सूत्रों की विविधता, बहुत जरूरी चीज |
गोत्रज में कैसे मिलें, रखिये सतत तमीज ||
गोत्रज दुल्हन जनमती, एकल-सूत्री रोग |
दैहिक सुख की लालसा, बेबस संतति भोग ||
मिटते दारुण दोष पर, ईश्वर अगर सहाय |
सबसे उत्तम ब्याह हित, दूरी रखो बनाय ||
गोत्र-प्रांत की भिन्नता, नए नए गुण देत |
संयम विद्या बुद्धि बल, साहस रूप समेत ||
बहुत सही कहा है रविकर जी .जीनी विविधता (जीवन खंडों की विविधता )तथा
संततियों के बौद्धिक विकास के लिए जीन विविधता ज़रूरी है जीन विविधता बोले तो
अंतर -जातीय ,अंतर -प्रांतीय ,अंतर -कोस्मिक विवाह .नोट करें खापी ./खापिये /खापड़े .
बेहतरीन भावांतरण मूल आलेख का .शुक्रिया .
ar Sharma veerubhai1947@gmail.com
ReplyDelete3:39 PM (0 minutes ago)
to dinesh
सुप्रिय रविकर जी ,
टिप्पणियों को आप सर्व -भक्षी खान्ग्रेसी हो चुके स्पैम से बचा नहीं पा रहे हैं .
इसीलिए यहाँ भी -
नहीं रूकेंगे बलात्कार
रणधीर सिंह सुमन
लो क सं घ र्ष !
मारा पहले कोख में, बिना दोष के दोस्त |
ज़िंदा बच जाए अगर, सोंधा सोंधा गोश्त |
सोंधा सोंधा गोश्त, नोच कर कच्चा खाओ |
खाप गई है खेप, इसे श्मशान भिजाओ |
मूल विषय को भूल, कुतर्की यह हत्यारा |
ठीक करे अनुपात, करे ना मारी मारा ||
बहुत सटीक धारदार काव्य .बधाई .
बहुत मार्मिक प्रस्तुति .
जाएं तो हम इनके इहाँ भी टिपियाने लेकिन ई ससुर (सुसर )केकड़ा वृत्ति से ग्रस्त हैं कोई आगे बढ़ता है ,ईर्ष्या से उसकी ये टांग पीछे की ओर खींच लेते हैं .अब ये ही सुमन हैं ये पुष्प हैं .
गोत्रज विवाह-
गुण-सूत्रों की विविधता, बहुत जरूरी चीज |
गोत्रज में कैसे मिलें, रखिये सतत तमीज ||
गोत्रज दुल्हन जनमती, एकल-सूत्री रोग |
दैहिक सुख की लालसा, बेबस संतति भोग ||
मिटते दारुण दोष पर, ईश्वर अगर सहाय |
सबसे उत्तम ब्याह हित, दूरी रखो बनाय ||
गोत्र-प्रांत की भिन्नता, नए नए गुण देत |
संयम विद्या बुद्धि बल, साहस रूप समेत ||
बहुत सही कहा है रविकर जी .जीनी विविधता (जीवन खंडों की विविधता )तथा
संततियों के बौद्धिक विकास के लिए जीन विविधता ज़रूरी है जीन विविधता बोले तो
अंतर -जातीय ,अंतर -प्रांतीय ,अंतर -कोस्मिक विवाह .नोट करें खापी ./खापिये /खापड़े .
बेहतरीन भावांतरण मूल आलेख का .शुक्रिया .
वीरुभाई .
ReplyDeleteसुप्रिय रविकर जी ,
टिप्पणियों को आप सर्व -भक्षी खान्ग्रेसी हो चुके स्पैम से बचा नहीं पा रहे हैं .
इसीलिए यहाँ भी -
नहीं रूकेंगे बलात्कार
रणधीर सिंह सुमन
लो क सं घ र्ष !
मारा पहले कोख में, बिना दोष के दोस्त |
ज़िंदा बच जाए अगर, सोंधा सोंधा गोश्त |
सोंधा सोंधा गोश्त, नोच कर कच्चा खाओ |
खाप गई है खेप, इसे श्मशान भिजाओ |
मूल विषय को भूल, कुतर्की यह हत्यारा |
ठीक करे अनुपात, करे ना मारी मारा ||
बहुत सटीक धारदार काव्य .बधाई .
बहुत मार्मिक प्रस्तुति .
जाएं तो हम इनके इहाँ भी टिपियाने लेकिन ई ससुर (सुसर )केकड़ा वृत्ति से ग्रस्त हैं कोई आगे बढ़ता है ,ईर्ष्या से उसकी ये टांग पीछे की ओर खींच लेते हैं .अब ये ही सुमन हैं ये पुष्प हैं .
गोत्रज विवाह-
गुण-सूत्रों की विविधता, बहुत जरूरी चीज |
गोत्रज में कैसे मिलें, रखिये सतत तमीज ||
गोत्रज दुल्हन जनमती, एकल-सूत्री रोग |
दैहिक सुख की लालसा, बेबस संतति भोग ||
मिटते दारुण दोष पर, ईश्वर अगर सहाय |
सबसे उत्तम ब्याह हित, दूरी रखो बनाय ||
गोत्र-प्रांत की भिन्नता, नए नए गुण देत |
संयम विद्या बुद्धि बल, साहस रूप समेत ||
बहुत सही कहा है रविकर जी .जीनी विविधता (जीवन खंडों की विविधता )तथा
संततियों के बौद्धिक विकास के लिए जीन विविधता ज़रूरी है जीन विविधता बोले तो
अंतर -जातीय ,अंतर -प्रांतीय ,अंतर -कोस्मिक विवाह .नोट करें खापी ./खापिये /खापड़े .
बेहतरीन भावांतरण मूल आलेख का .शुक्रिया .
वीरुभाई .
ReplyDeleteसुप्रिय रविकर जी ,
टिप्पणियों को आप सर्व -भक्षी खान्ग्रेसी हो चुके स्पैम से बचा नहीं पा रहे हैं .
इसीलिए यहाँ भी -
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रणधीर सिंह सुमन
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मारा पहले कोख में, बिना दोष के दोस्त |
ज़िंदा बच जाए अगर, सोंधा सोंधा गोश्त |
सोंधा सोंधा गोश्त, नोच कर कच्चा खाओ |
खाप गई है खेप, इसे श्मशान भिजाओ |
मूल विषय को भूल, कुतर्की यह हत्यारा |
ठीक करे अनुपात, करे ना मारी मारा ||
बहुत सटीक धारदार काव्य .बधाई .
बहुत मार्मिक प्रस्तुति .
जाएं तो हम इनके इहाँ भी टिपियाने लेकिन ई ससुर (सुसर )केकड़ा वृत्ति से ग्रस्त हैं कोई आगे बढ़ता है ,ईर्ष्या से उसकी ये टांग पीछे की ओर खींच लेते हैं .अब ये ही सुमन हैं ये पुष्प हैं .
गोत्रज विवाह-
गुण-सूत्रों की विविधता, बहुत जरूरी चीज |
गोत्रज में कैसे मिलें, रखिये सतत तमीज ||
गोत्रज दुल्हन जनमती, एकल-सूत्री रोग |
दैहिक सुख की लालसा, बेबस संतति भोग ||
मिटते दारुण दोष पर, ईश्वर अगर सहाय |
सबसे उत्तम ब्याह हित, दूरी रखो बनाय ||
गोत्र-प्रांत की भिन्नता, नए नए गुण देत |
संयम विद्या बुद्धि बल, साहस रूप समेत ||
बहुत सही कहा है रविकर जी .जीनी विविधता (जीवन खंडों की विविधता )तथा
संततियों के बौद्धिक विकास के लिए जीन विविधता ज़रूरी है जीन विविधता बोले तो
अंतर -जातीय ,अंतर -प्रांतीय ,अंतर -कोस्मिक विवाह .नोट करें खापी ./खापिये /खापड़े .
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वीरुभाई .
बहुत बढ़िया!
ReplyDeleteकरवाचौथ की अग्रिम शुभकामनाएँ!
समसामयिक सामाजिक दोषों पर कटाक्ष पूर्ण शशक्त प्रहार.....
ReplyDeleteमेरी रचना को यहाँ स्थान देने का बहुत - बहुत शुक्रिया रविकर जी |
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