The मध्यवर्ग
(सतीश पंचम)
कहे दोगला नामवर, पूरा मध्यम वर्ग ।
संस्कार की ओढ़नी, उच्च वर्ग का स्वर्ग ।
उच्च वर्ग का स्वर्ग, चतुर चम्गीदढ़ चालू ।
यहाँ हिलाए पंख, पेड़ ढूंढे यह *मालू ।
दांत दिखाता जाय, जहाँ पर वर्ग खोखला ।
ऊंचे स्वप्न दिखाय, झूठ गढ़ चले दोगला ।।
* पेड़ पर चढ़ने वाली एक लता
|
प्रिंट मीडिया ने खोजा “ पेड न्यूज ” का तोड़ !
बनिया डंडी मार के, ग्वाला पानी बेंच ।
चतुर सयाने लें कमा, पैदा करके पेंच ।
पैदा करके पेंच, नाप पेट्रोल कमाता ।
बेचारा अखबार, चला के क्या कुछ पाता ।
पेड न्यूज दे छाप, काँप लेकिन अब जाता ।
पीछे दिया लगाय, हाय क्यूँ जांच विधाता ।।
|
Untitled
Rajesh Kumari
कलयुग जाने से रहा, फिर भी रविकर साथ । सकल शुभेच्छा आपकी , पूर्ण करो हे नाथ । पूर्ण करो हे नाथ, हाथ अब पुन: लगाओ । पांच तत्व के साथ, जरा बारूद सटाओ । तन की गर्मी बढ़े, जले वह करके भुग-भुग । दुनिया को न खले, बदल जाए यह कलयुग ।। |
"बात अन्धश्रद्धा की नहीं है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
श्रद्धा सह विश्वास की, सदा जरुरत घोर |
|
पन्नों पर प्रकृति के रंग
चैतन्य शर्मा (Chaitanya Sharma)
कई पेड़ की पत्तियां, तरह तरह के रंग । कुदरत तो चैतन्य है, पत्ती कटी पतंग । पत्ती कटी पतंग, संग में हुई एकत्रित । पेन पेपर हैं दंग, ढंग से कर दे चित्रित । ले सुन्दर आकार, मोहता मन रविकर का । करता नवल प्रयोग, यहाँ पर नन्हा लड़का ।। |
हर उम्र में सबके लिए ज़रूरी है अच्छी नींद (पहली और दूसरी किस्त संयुक्त )
Virendra Kumar Sharma
बारह घंटे बाल को, आठ सोइए अन्य | आठ सोइए अन्य, सोय शिशु सोलह घंटे | माता को आराम, जरा सा कमते टंटे | रविकर का आलस्य, दिसंबर मई जून हो | चौबीस घंटे नींद, रात-दिन पुरसुकून हो || |
पुत्र-पिता-पति-भ्रातृ, पडोसी प्रियतम पगला-
बदला युग आधुनिक अब, बढ़ा सास-वधु प्यार ।
दस वर्षों का ट्रेंड नव, शेष बहस तकरार ।
शेष बहस तकरार, शक्तियां नारीवादी ।
दी विश्वास-उभार, मस्त आधी आबादी ।
पुत्र-पिता-पति-भ्रातृ, पडोसी प्रियतम पगला ।
लेगी इन्हें नकार - जमाने भर का बदला ।।
|
बढिया लिंक्स
ReplyDeleteमुझे स्थान देने के लिए शुक्रिया
सभी बीस हैं
ReplyDeleteउन्नीस नहीं !
बहुत ख़ूब! वाह!
ReplyDeleteकृपया इसे भी देखें-
नाहक़ ही प्यार आया
अच्छे लिंक्स
ReplyDeleteमुझे भी शामिल करने के लिए
बहुत बहुत आभार
श्राद्ध के बहाने पूर्वज याद आ जाते हैं
ReplyDeleteसाल के कुछ दिन उन्हे हम बुलाते हैं
श्रद्धा से पुकारा गया हो अगर
किसी ना किसी रूप में जरूर आते हैं !