Tuesday, 23 October 2012

कोटि कोटि परनाम, आज यह जगत मस्त है -



दादा को क्यूँ ले गया, लाल किला मैदान ।
दिव्य-ज्योति घर टाँगता, ऐ बालक नादान ।
ऐ बालक नादान, उन्हें सब सही दीखता ।
रावण लें पहचान,  कलेजा जोर चीखता ।
देते किसे जलाय, जलाने का रख मादा ।
बड़ी खोपड़ी जाय, जलाया किसको दादा ??

दुर्जन होवे दिग्भ्रमित, समझ दीनता *अर्श-

*ताली मद माता मनुज, पाय भोगता कोष ।
पिए झेल अवहेलना, किन्तु बजाये जोश ।।
ताड़ी / चाभी / करतल ध्वनि 

रविकर था चैतन्य, गीत में हुआ व्यस्त है -

जगत मस्त है कोकिला, बही सरस स्वर-धार |
साधुवाद हे सुहृद-जन, बार-बार आभार |
बार-बार आभार, चाँद धरती पर आया |
टूटे बंधन-रीत, प्यार से मीत मिलाया |
रविकर था चैतन्य, गीत में हुआ व्यस्त है |
कोटि कोटि परनाम, आज यह जगत मस्त है  |


भगवन की भेंगी नजर, डेंगी का उपहार |
मानव की नित हार है, दिल्ली की सरकार |
दिल्ली की सरकार, हाथ पर हाथ धरे है |
बढती भीषण व्याधि, व्यर्थ ही लोग मरे हैं |
करो सफाई खूब, नहीं जमने दो पानी |
नहीं तो जाओ डूब, मरे ना उनकी नानी ||

पिघलती चाहें- रौ में बहे जा ||

 करेर कलेजा ।
सन्देश भेजा ।।
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"रविकर" अँधेरा -
दीपक गहे जा ।।

3 comments:

  1. बहुत बढ़िया.. विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें

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  2. अच्छे लिंक्स

    विजयदशमी की बहुत बहुत शुभकामनाएं

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ
    ♥(¯*•๑۩۞۩~*~विजयदशमी (दशहरा) की हार्दिक शुभकामनाएँ!~*~۩۞۩๑•*¯)♥
    ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ

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