Those nagging jerks बोले तो पेशीय फड़क
Virendra Kumar Sharma
खता तंतु पेशीय की, कुछ अद्भुत दृष्टांत |
हुई पिटाई इस कदर, हुई देहरी क्लांत | हुई देहरी क्लांत, संकुचन बड़ा अनैच्छिक | करता चित्त अशांत, कहीं पर यह अत्याधिक | रविकर करे सचेत, दवा करवाओ देशी | हो जाओ ना खेत, होय ना कोरट पेशी || |
अधूरे सपनों की कसक (14) !
रेखा श्रीवास्तव
जो कुछ अपने पास है, करिए उसपर गर्व |
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"ब्लॉगिंग एक नशा नहीं आदत है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
जुआँ खेलना छूटता, नहिं दारु के घूँट । धूम्रपान की लत गई, क्लब ही जाये छूट । क्लब ही जाये छूट , मित्र कुछ अच्छे पाए । पथ जाऊं गर भटक, मार्ग सच्चा दिखलायें । घर में किच-किच ख़त्म, किन्तु कुछ उठे धुआँ है । सूर्पनखा से बचो, जिन्दगी एक जुआँ है । |
भ्रमित कहीं न होय, हमारी प्रिय मृग-नैनी -
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'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१९
कुंडलियाँ
" खप गयी - - खाप "....???
नौ सौ चूहे खाय के, बिल्ली हज को जाय ।
मांसाहारी मना क्या, जब हलाल की खाय ।
जब हलाल की खाय, गडकरी बिगड़ा बच्चा ।
जिद जमीन कर जाय, दिला सब देते चच्चा ।
सत्ता मैया हाथ, जांच क्यूँ नहीं कराया ?
मंत्री पुत्र दमाद, नहीं क्यूँ नंबर आया ??
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सत्ताइस सत्ता *इषुधि, छोड़े **विशिख सवाल ।
दिग्गी चच्चा खुश दिखे, तंग केजरीवाल।
*तरकस **तीर
तंग केजरीवाल, विदेशी दान मिला है ।
डालर गया डकार, यही तो बड़ी गिला है ।
करिए स्विस में जमा, माल सब साढ़े बाइस ।
सत्तइसा का पूत, प्रश्न दागे सत्ताइस ।।
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बहुत बहुत आभार
ReplyDeleteबढ़िया !
ReplyDeleteकुण्डलियों के रूप में यह प्रसाद बहुत स्वादिष्ट लगा!
ReplyDelete--
दुर्गाष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
सबसे पहले तो आप सब से क्षमा चाहती हूँ के समय से यहाँ पर आप सबको धन्यवाद नही कर पाई
ReplyDeleteयह सच हैं के सपनो के टूटने की कसक दिल mai रहती हैं पर अफ़सोस नही रहना चाहिए उनका . क्युकी अफ़सोस निराशा मैं बदल जाता हैं और मुझे अफ़सोस बिलकुल नही हैं .
आप सबका तहे दिल से शुक्रिया