Sunday, 7 October 2012

हरकारे *हरहा हदस, *हहर *हई हकलाय-

गंगा-दामोदर ब्लॉगर्स एसोसियेशन-

आदरणीय मित्रवर-
धनबाद के ISM में
 दिनांक 4  नवम्बर 2012  को संध्या  3 pm  
पर एसोसियेशन के गठन के लिए बैठक रख सकते हैं क्या ??
अपनी सहमति देने  की  कृपा करे ||
सायंकाल 6 से 9  तक एक गोष्ठी का भी आयोजन किया जा सकता है || 
भोजन के पश्चात् रात्रि विश्राम की भी व्यवस्था रहेगी-


नमो नमो हे देवियों, सादर शीश नवाए ।
रविकर करता वंदना, कृपा करो हे माय ।
कृपा करो हे माय, धाय को भी हम पूजे ।
पूजे नदी पहाड़, पूजते इंगित दूजे ।
करे मातु कल्याण, समर्पण सहन-शक्ति है ।
 
पूँजू पावन रूप, हृदय में भरी भक्ति है ।।
 


वो औरत  

ई. प्रदीप कुमार साहनी


प्रश्न सही है मित्रवर, किन्तु पुरुष का दोष ।
इतना ज्यादा है नहीं, वह रहता खामोश ।
वह रहता खामोश, सास ननदें दें ताने  ।
महिलाओं का जोर, पुरुष भी उनकी माने । 
सीधा अत्याचार,  नारियां   शत्रु रही हैं ।
घोर अंध-विश्वास, नहीं यह प्रश्न सही है ।।  


Virendra Kumar Sharma 
जायदाद आधी मिले, कानूनन यह सत्य |
बेटी को दिलवा दिया, हजम करो यह कृत्य |
हजम करो यह कृत्य, भृत्य हैं गिरिजा सिब्बल |
चाटुकारिता काम, दिया उत्तर बेअक्कल |
माँ की दो संतान, बटेगा आधा आधा |
देखे हिन्दुस्तान, कहीं डाले ना बाधा ||

कांग्रेसी कुतर्क

Virendra Kumar Sharma 

देना लेना फाँसना, डी एल एफ़ का अर्थ |
नम्बर इक दामाद है, होय जाँचना व्यर्थ |
होय जाँचना व्यर्थ, अगर इसको फ़ांसोगे |
होगा मित्र अनर्थ, अपयश अपने सर लोगे |
दुनिया के दामाद, जमेंगे जन्तर मन्तर |
वाड्रा तो हैं भले, पड़ेगा भारी अंतर ||

 ram ram bhai 

हरकारे *हरहा हदस, *हहर *हई हकलाय ।
"खुर-सीध" जान सल मान को, जाय जान दे जाय ।
जाय जान दे जाय, यह पहला नंबर पाए ।
चमचे तो अधिसंख्य, जल्द पहचान बनाए ।
सबकी गजब दलील, लील जाते हैं टुकड़े ।
गिरगिट अजगर गधे, लोमड़ी बरदे कुकड़े ।।
*जानवर *डर *अचरज



बहुओं पर इतनी कृपा, सौंप दिया सरकार ।
बेटी से क्या दुश्मनी, करते हो तकरार ।
करते हो तकरार, होय दामाद दुलारा ।
छोटे मोटे गिफ्ट, पाय दो-चार बिचारा ।
पीछे ही पड़ जाय, केजरी कितना काला ।
जाएगा ना निकल, देश का यहाँ दिवाला ।

 कालिख तो पुत ही गई सोनिया जी !

महेन्द्र श्रीवास्तव 
आज और कल में फरक, नहीं सफेदी बात |
कम काली है शर्ट जो, पहनो वो बारात |
पहनो वो बारात, सिनेमा बड़ा पुराना |
चोरों की बारात, देखने अब क्या जाना |
घर आया दामाद, उतारो मियां आरती |
दस करोड़ का गिफ्ट, भेंटती सास भारती ||


संडे है आज तुझे कर तो रहा हूँ याद

सुशील  
सन्डे पर क्यूँ न लिखा, उसके कारण तीन |
हफ्ते भर की साड़िया, कुरता पैंट मशीन |
कुरता पैंट मशीन, इन्हें प्रेस करना पड़ता |
ख़ाक मिले अवकाश, किचेन का काम अखरता |
जाती वो बाजार, बैठ मैं देता अंडे |
हाय हाय यह दिवस, बनाया  क्यूँ रे सन्डे ||


10 comments:

  1. सुंदर लिंकों पर उत्कृष्ट लेखन,,,,बधाई रविकर जी,,,,

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  2. बढिया लिंक्स

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  3. आपकी इस उत्कृष्ट प्रस्तुति की चर्चा कल मंगलवार ९/१०/१२ को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी

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  4. अच्छी वाग्विदग्धता है !

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  5. बहुत बढिया

    सादर

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  6. लाजवाब अन्दाज मे प्रस्तुति

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