गंगा-दामोदर ब्लॉगर्स एसोसियेशन-
आदरणीय मित्रवर-
धनबाद के ISM में
धनबाद के ISM में
दिनांक 4 नवम्बर 2012 को संध्या 3 pm
पर एसोसियेशन के गठन के लिए बैठक रख सकते हैं क्या ??
अपनी सहमति देने की कृपा करे ||
सायंकाल 6 से 9 तक एक गोष्ठी का भी आयोजन किया जा सकता है ||
अपनी सहमति देने की कृपा करे ||
सायंकाल 6 से 9 तक एक गोष्ठी का भी आयोजन किया जा सकता है ||
भोजन के पश्चात् रात्रि विश्राम की भी व्यवस्था रहेगी-
नमो नमो हे देवियों, सादर शीश नवाए । रविकर करता वंदना, कृपा करो हे माय । कृपा करो हे माय, धाय को भी हम पूजे । पूजे नदी पहाड़, पूजते इंगित दूजे । करे मातु कल्याण, समर्पण सहन-शक्ति है । पूँजू पावन रूप, हृदय में भरी भक्ति है ।। |
वो औरत
ई. प्रदीप कुमार साहनी प्रश्न सही है मित्रवर, किन्तु पुरुष का दोष । इतना ज्यादा है नहीं, वह रहता खामोश । वह रहता खामोश, सास ननदें दें ताने । महिलाओं का जोर, पुरुष भी उनकी माने । सीधा अत्याचार, नारियां शत्रु रही हैं । घोर अंध-विश्वास, नहीं यह प्रश्न सही है ।। । |
Virendra Kumar Sharma
जायदाद आधी मिले, कानूनन यह सत्य |
बेटी को दिलवा दिया, हजम करो यह कृत्य | हजम करो यह कृत्य, भृत्य हैं गिरिजा सिब्बल | चाटुकारिता काम, दिया उत्तर बेअक्कल | माँ की दो संतान, बटेगा आधा आधा | देखे हिन्दुस्तान, कहीं डाले ना बाधा || |
कांग्रेसी कुतर्क
Virendra Kumar Sharma
देना लेना फाँसना, डी एल एफ़ का अर्थ |
नम्बर इक दामाद है, होय जाँचना व्यर्थ | होय जाँचना व्यर्थ, अगर इसको फ़ांसोगे | होगा मित्र अनर्थ, अपयश अपने सर लोगे | दुनिया के दामाद, जमेंगे जन्तर मन्तर | वाड्रा तो हैं भले, पड़ेगा भारी अंतर || |
अथ वागीश उवाच :ये कांग्रेसी हरकारेVirendra Kumar Sharmaहरकारे *हरहा हदस, *हहर *हई हकलाय । "खुर-सीध" जान सल मान को, जाय जान दे जाय । जाय जान दे जाय, यह पहला नंबर पाए । चमचे तो अधिसंख्य, जल्द पहचान बनाए । सबकी गजब दलील, लील जाते हैं टुकड़े । गिरगिट अजगर गधे, लोमड़ी बरदे कुकड़े ।। *जानवर *डर *अचरज |
बहुओं पर इतनी कृपा, सौंप दिया सरकार । बेटी से क्या दुश्मनी, करते हो तकरार । करते हो तकरार, होय दामाद दुलारा । छोटे मोटे गिफ्ट, पाय दो-चार बिचारा । पीछे ही पड़ जाय, केजरी कितना काला । जाएगा ना निकल, देश का यहाँ दिवाला । |
आज और कल में फरक, नहीं सफेदी बात |
कम काली है शर्ट जो, पहनो वो बारात | पहनो वो बारात, सिनेमा बड़ा पुराना | चोरों की बारात, देखने अब क्या जाना | घर आया दामाद, उतारो मियां आरती | दस करोड़ का गिफ्ट, भेंटती सास भारती || |
संडे है आज तुझे कर तो रहा हूँ याद
सुशील
सन्डे पर क्यूँ न लिखा, उसके कारण तीन |
हफ्ते भर की साड़िया, कुरता पैंट मशीन |
कुरता पैंट मशीन, इन्हें प्रेस करना पड़ता |
ख़ाक मिले अवकाश, किचेन का काम अखरता |
जाती वो बाजार, बैठ मैं देता अंडे |
हाय हाय यह दिवस, बनाया क्यूँ रे सन्डे ||
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बढिया लिंक्स
ReplyDeleteUmda links.
ReplyDeleteshukriya.
सुंदर लिंकों पर उत्कृष्ट लेखन,,,,बधाई रविकर जी,,,,
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteबढिया लिंक्स
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रस्तुति की चर्चा कल मंगलवार ९/१०/१२ को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चामंच पर की जायेगी
ReplyDeletenice presentation .nice links.
ReplyDeleteअच्छी वाग्विदग्धता है !
ReplyDeleteबहुत बढिया
ReplyDeleteसादर
लाजवाब अन्दाज मे प्रस्तुति
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