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नौ सौ चूहे खाय के, बिल्ली हज को जाय ।
मांसाहारी मना क्या, जब हलाल की खाय ।
जब हलाल की खाय, गडकरी बिगड़ा बच्चा ।
जिद जमीन कर जाय, दिला सब देते चच्चा ।
सत्ता मैया हाथ, जांच क्यूँ नहीं कराया ?
मंत्री पुत्र दमाद, नहीं क्यूँ नंबर आया ??
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कहलाने एकत बसें ,अहि ,मयूर ,मृग ,बाघ जगत तपोवन सा हुआ ,दीरघ दाघ ,निदाघ
Virendra Kumar Sharma
गटक गए जब गडकरी, पावर रहा पवार |
खुद खायी मुर्गी सकल, पर यारों का यार | पर यारों का यार, शरद है शीतल ठंडा | करवालो सब जांच, डालता नहीं अडंगा | रविकर सत्ता पक्ष, जांच करवाय विपक्षी | जनता लेगी जांच, बड़ी सत्ता नरभक्षी || |
काश, हम कुछ सीख इस बबलू से ही ले पाते !
पी.सी.गोदियाल "परचेत"
राम राम हे राम जी, बबलू करूँ प्रणाम ।
यही क्षेत्र तो मारता, कन्या भ्रूण तमाम ।
कन्या भ्रूण तमाम, बिना माँ की ये बेटी ।
ले लो कोई गोद, गोद पापा के लेटी ।
ईश्वर कर कुछ रहम, मार्मिक बड़ा कथानक ।
निभा रहा यह धरम, करो कुछ तुम भी रौनक ।।
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असल मुद्दा यह है केजरी वाल साहब !सरकार विपथगामी हो गई है
Virendra Kumar Sharma
गए खोजने गडरिया, बहेलिया मिल जाए |
उग्र केजरी लोमड़ी, तीरों से हिल जाए | तीरों से हिल जाए , फुलझड़ी निकला गोला | फुस फुस दे करवाए, व्यर्थ ही हल्ला बोला | सदाचार केजरी, अल्पमत सच्चे वोटर | बनवाएं सरकार, बटेरें तीतर मिलकर ।। |
लम्बे-लम्बे इन्तजार से, खुब तड़पाते हो |
गोदी में सिर रखकर प्रियतम गीत सुनाते हो |
रह-रह कर के विरह-अग्नि बरबस भड़काते हो,
रह-रह करके पल-पल तन-मन आग लगाते हो |
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आपका आभार, रविकर जी !क्या करें, कुछ वर्जित शब्दों का इस्तेमाल मैं भी नहीं करना चाहता मगर जब कभी इस तरह के वाकये देखता, पढता हूँ तो खून खौल जाता है मेरा ! आज आजादी ६५ साल बाद भी इस देश का आम आदमी इस तरह की जिनगी जीने को मजबूर है, क्योंकि इन कर्ताधर्ताओं ने सारा पैसा तो स्विट्ज़रलैंड वालों को मौज उड़ाने के लिए दे छोड़ा है ! और हरामखोर ख्वाब दिखाते है दुनिया की सबसे बड़ी इकोनोमी बनने के !
ReplyDeleteरविकर जी बहुत मार्मिक शब्द चित्र ,हिदुस्तान का यथार्थ .
ReplyDeleteकल वो रिक्शे पे चढ़ा था गोद में बिटिया लिए ,
मैं ने पूछा नाम तो बोला के माँ भी ,बाप हैं .
राम राम हे राम जी, बबलू करूँ प्रणाम ।
यही क्षेत्र तो मारता, कन्या भ्रूण तमाम ।
कन्या भ्रूण तमाम, बिना माँ की ये बेटी ।
ले लो कोई गोद, गोद पापा के लेटी ।
ईश्वर कर कुछ रहम, मार्मिक बड़ा कथानक ।
निभा रहा यह धरम, करो कुछ तुम भी रौनक ।।
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कल वो रिक्शे पे चढ़ा था गोद में बिटिया लिए ,
ReplyDeleteमैं ने पूछा नाम तो बोला के माँ भी ,बाप हैं .
कल नुमाइश में मिला वह चीथड़े पहने हुए ,
मैं ने पूछा नाम तो बोला के हिन्दुस्तान है .
खींचता रिक्शा वह लेकर गोद में संतान है ,
यह हमारे वक्त की सबसे बड़ी पहचान है .
ठोक पीट के ठीक करो रविकर भैया .हमारे पास कच्चा माल है आपके पास छैनी हथोड़ा है शब्द जाल है मीटर है ताल है .
हिन्दुस्तान की इस बदहवास/फटे हाल स्थिति से वाकिफ करवाने के लिए आभार .