घोटा जा सकता नहीं, कह बेनी अपमान ।
बड़े खिलाड़ी बेंच पर, रे नादाँ सलमान ।
रे नादाँ सलमान, जहाँ अरबों में खेले ।
अपाहिजी सामान, यहाँ तू लाख धकेले ।
इससे अच्छा बेंच, धरा पाताल गगन को ।
बेनी को हो गर्व, बेंच दे अगर वतन को ।।
हरियाणा में 4 प्लेट चाउमीन के साथ 4 लड़के पकडे गए.
NEERAJ PAL
प्लेट चाऊ-मिन की रही, बढ़ा प्रसभ दुर्योग |
खान-पान का फर्क है, बढ़ा विलासी भोग | बढ़ा विलासी भोग, खोज मंत्री हरियाणा | कैसे राज्य निरोग, बताता बड़ा सयाणा | फास्ट फूड से जल्द, ऋतुमती बाला होती | प्लेट डेट से भेंट, जिंदगी कांटे बोटी || |
कार्टून कुछ बोलता है- आँखों का फर्क !
पी.सी.गोदियाल "परचेत"
धक्का लगता मर्म पर, उतरे नयना शर्म ।
असरदार ये वाकिये, हैं वाकई अधर्म ।
हैं वाकई अधर्म, कुकर्मों से घबराया ।
लेकिन ऐ सरदार, फर्क तुझ पर नहिं आया ।
कहता यह सरदार, फर्क आया है पक्का ।
घुटनों में अति दर्द, सोच को बेहद धक्का ।। |
दवा जहाँ पर विकट मर्ज की, बंद वहाँ का पल्ला है-
ऊँचे घर में हल्ला है ।
मुख-मुन्ना दुमछल्ला है ।।
जोरू से बढती जमीन है
बैठा मरद निठल्ला है ।।
विकलांगो के रिक्से पर अब
चुका बैठ गोरिल्ला है ।।
रविकर कहाँ जमीर बेंच दूँ-
कायनात कुल दल्ला है ।।
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घट जावें इ'स्पर्म, बिगाड़े सेहत चड्ढी -
चड्ढी बिन खेला किया, आठ साल तक बाल ।
शीतल मंद समीर से, अंग-अंग खुशहाल । अंग-अंग खुशहाल, जांघिया फिर जो पा ली।
हुवे अधिक जब तंग, लंगोटी ढीली ढाली |
चड्ढी का खटराग, बैठ ना पावे खुड्डी ।
घट जावें इ'स्पर्म, बिगाड़े सेहत चड्ढी ।।
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खर्चे कम बाला नशीं, कितना चतुर दमाद ।
कौड़ी बनती अशर्फी, देता रविकर दाद ।
देता रविकर दाद, मास केवल दो बीते ।
लेकिन दुश्मन ढेर, लगा प्रज्वलित पलीते ।
कुछ भी नहीं उखाड़, सकोगे कर के चर्चे ।
करवा लूँ सब ठीक, चवन्नी भी बिन खर्चे ।
खर्चे कम बाला नशीं = वीरु भाई व्याख्या कर दें कृपया ।।
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मत्तगयन्द सवैया
संभव संतति संभृत संप्रिय, शंभु-सती सकती सतसंगा । संभव वर्षण कर्षण कर्षक, होय अकाल पढ़ो मन-चंगा । पूर्ण कथा कर कोंछन डार, कुटुम्बन फूल फले सत-रंगा । स्नेह समर्पित खीर करो, कुल कष्ट हरे बहिना हर अंगा ।। जय जय भगवती शांता परम |
गंगा-दामोदर ब्लॉगर्स एसोसियेशन
गोष्ठी की तिथि आगे बढानी पड़ेगी -
आदरणीय / आदरेया !!
जन संस्कृति मंच का अखिल भारतीय सम्मलेन 4 नवम्बर को गोरखपुर में हो रहा है-
सूचना मिली है कि धनबाद के हमारे
जन संस्कृति मंच का अखिल भारतीय सम्मलेन 4 नवम्बर को गोरखपुर में हो रहा है-
सूचना मिली है कि धनबाद के हमारे
वरिष्ठ ब्लॉगर और सहयोगी
आदरणीय उमा जी इस कार्यक्रम में भाग लेने गोरखपुर जा रहे हैं-
उनकी अनुपस्थिति से हमें
उनकी अनुपस्थिति से हमें
अपनी गोष्ठी की तिथि (4 नवम्बर ) आगे बढानी पड़ेगी |
असुविधा के लिए खेद है-
(नई तिथि की सूचना आपसे विमर्श के बाद-)
सादर -
रविकर
सादर -
रविकर
शुक्रिया रविकर जी !
ReplyDeleteबहुत-बहुत अच्छी कुंडलियाँ!
ReplyDeleteखर्चे कम बाला नशीं, कितना चतुर दमाद ।
ReplyDeleteकौड़ी बनती अशर्फी, देता रविकर दाद ।
देता रविकर दाद, मास केवल दो बीते ।
लेकिन दुश्मन ढेर, लगा प्रज्वलित पलीते ।
कुछ भी नहीं उखाड़, सकोगे कर के चर्चे ।
करवा लूँ सब ठीक, चवन्नी भी बिन खर्चे ।
खर्चे कम बाला नशीं = वीरु भाई व्याख्या कर दें कृपया ।।
सत्ता का सिक्का चलता है ,
सांसद संसद में बिकता है ,
बे -इज्ज़त कुर्सी को पकडे है ,
जीजे की सरकार ,
भजमन हरी हरी .
हाँ भाई साहब कम खर्च बाला नशीं का मतलब वाही है जो हींग लगे न फिटकरी रंग चोखा ही चोखा का निकलता है ,.
एक प्रतिक्रिया ब्लॉग पोस्ट -
TUESDAY, 16 OCTOBER 2012
खर्चे कम बाला नशीं, कितना चतुर दमाद-
http://rhytooraz.blogspot.com/2012/10/blog-post_16.html#comment-form
बहुत सुंदर !
ReplyDeleteरविकर जी की कुंडलियाँ, नहीं है कोई सानी |
ReplyDeleteसागर से हैं गहरे भाव, नहीं ये छिछला पानी ||
पसरे सौष्ठव चेतना, अधिक देह पर ध्यान ।
ReplyDeleteअमृत से महरूम है, वह नन्हीं सी जान ।
वह नन्हीं सी जान, मान ले मेरा कहना ।
स्तन-पान संतान, करे जो तेरा बहना ।
शिशू निरोगी होय, घटे कैंसर के खतरे ।
बाढ़े शाश्वत प्रेम, नहीं बीमारी पसरे ।|
पसरे सौष्ठव चेतना, अधिक देह पर ध्यान ।
अमृत से महरूम है, वह नन्हीं सी जान ।
वह नन्हीं सी जान, मान ले मेरा कहना ।
स्तन-पान संतान, करे जो तेरा बहना ।
शिशू निरोगी होय, घटे कैंसर के खतरे ।
बाढ़े शाश्वत प्रेम, नहीं बीमारी पसरे ।|स्तन पान एक फायदे अनेक .