अब लेनिन के बुत भी बर्दाश्त नहीं
lokendra singh
लेनिन की प्रतिमा गई, बाम-पंथ कर गौर ।
क़त्ल हजारों थे हुवे, नया देख ले दौर ।
नया देख ले दौर, क्रूर सिद्धांत अंतत: ।
देते लोग नकार, सुधार लो अत: स्वत: ।
पूंजीवाद खराब, करें वे शोषण लेकिन ।
श्रमिक लीडरी ढीठ, बदल कर रखता लेनिन ।।
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पर भूली संस्कार
Asha Saxena
सर्वोपरि है प्यार पर, इसके कई प्रकार ।
दो जीवों के बीच में, महत्त्वपूर्ण दरकार ।
महत्त्वपूर्ण दरकार, हुवे अब दो दो बच्चे ।
बही समय की धार, बदलते आशिक सच्चे ।
सम्मुख दिखे तलाक, परस्पर नफरत पाले ।
करते हटकु हलाक, मूर्ख संतान बचाले ।।
बाबा दादी में नहीं, रहा कभी भी प्यार | आपस में सम्मान था, सम्मुख था परिवार | सम्मुख था परिवार, प्यार के सुनो पुजारी | नफ़रत गर हो जाय, परस्पर देते गारी | झटपट होय तलाक, पकड़ते ढर्रा दूजा | किन्तु पूर्वज सोच, करें रिश्तों की पूजा || |
डेंगू का वायरस पद-प्रतिष्ठा-पैसा नहीं देखता
Kumar Radharaman
भगवन की भेंगी नजर, डेंगी का उपहार |
मानव की नित हार है, दिल्ली की सरकार |
दिल्ली की सरकार, हाथ पर हाथ धरे है |
बढती भीषण व्याधि, व्यर्थ ही लोग मरे हैं |
करो सफाई खूब, नहीं जमने दो पानी |
नहीं तो जाओ डूब, मरे ना उनकी नानी ||
संसाधन सा जानिये, संयुत कुल परिवार |
गाढ़े में ठाढ़े मिलें, बिना लिए आभार |
बिना लिए आभार, कृपा की करते वृष्टी | दादा दादी देव, दुआ दे दुर्लभ दृष्टी | सच्चे रिश्ते मुफ्त, हमेशा भला इरादा | रखे सकल परिवार, सदा अक्षुण मर्यादा | |
काश यह खबर भी 'उल्टा पुल्टा' होatul shrivastava
बांटा जीवन भर हँसी, जय भट्टी जसपाल |
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जैराम कक्कू........
निर्दोष दीक्षित
शौचालय से जोड़ते, बबलू शादी केस । बबलू शादी केस, ठेस लगती है भारी । शौचालय गर नहीं, रखेंगे सुता कुँवारी । मोबाइल दो बाँट, जमीने रक्खो लय लय । टॉयलेट गर नहीं, कुंवारा बबलू जय जय ।। |
कार्टून कुछ बोलता है- एक नया योग !
पी.सी.गोदियाल "परचेत"
पूर्ती का इक अर्थ है, गुणन गुणा का काम । फुर्ती से कर पूर्ती, दे मंत्री पैगाम। दे मंत्री पैगाम, रास्ता बड़ा बना लो । छोटा सा इक पाथ, हमारे घर में ढालो । पतली चलनी आज, मोटा सूप बिसूरती । बाड्रा ना सलमान, हुआ बदनाम पूर्ती ।। |
दादा को क्यूँ ले गया, लाल किला मैदान ।
दिव्य-ज्योति घर टाँगता, ऐ बालक नादान ।
ऐ बालक नादान, उन्हें सब सही दीखता ।
रावण लें पहचान, कलेजा जोर चीखता ।
देते किसे जलाय, जलाने का रख मादा ।
बड़ी खोपड़ी जाय, जलाया किसको दादा ??
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बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteरविकर सर बहुत ही बढ़िया वाह क्या बात है
ReplyDeleteसुंदर रचनायें
ReplyDeleteबढिया लिंक्स
ReplyDeleteसादर अभिवादन!
ReplyDelete--
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (27-10-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
बढिया प्रस्तुति । लिंक्स भी अच्छे ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
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