पुत्र-पिता-पति-पुरुष, पडोसी प्रियतम पगला-
बदला युग आधुनिक अब, सास-बहू में प्यार ।
दस वर्षों का ट्रेंड नव, शेष बहस तकरार ।
शेष बहस तकरार, शक्तियां नारीवादी ।
दी विश्वास-उभार, व्यस्त आधी आबादी ।
पुत्र-पिता-पति-पुरुष, पडोसी प्रियतम पगला ।
लेगी इन्हें नकार - जमाने भर का बदला ।।
कुछ रिश्ते (4)
सदा
SADA
सदा सर्वदा सत्य सब, शाश्वत संत सँदेश | कबहूँ ममतामयी का, मत ठुकरा आदेश | |
हम सयाने हो गए !
संतोष त्रिवेदी
ताके रोशनदान पथ, हो खिड़की इक्स्टेण्ड |
दीदी को लेकर गया, जब उसका हसबैंड | जब उसका हसबैंड, रंगोली चौरा देहरी | नहीं रहा संतोष, हुआ जाता वह शहरी | आज इसी को लोग, कहे हैं उन्नति आके | कर दरवाजा ओट, बूढ़ आँखें नित ताके | |
हर उम्र में सबके लिए ज़रूरी है अच्छी नींद (पहली और दूसरी किस्त संयुक्त )
Virendra Kumar Sharma
पुरसुकून हो नींद जो, रहे देह चैतन्य |
बारह घंटे बाल को, आठ सोइए अन्य | आठ सोइए अन्य, सोय शिशु सोलह घंटे | माता को आराम, जरा सा कमते टंटे | रविकर का आलस्य, दिसंबर मई जून हो | चौबीस घंटे नींद, रात-दिन पुरसुकून हो || |
"बात अन्धश्रद्धा की नहीं है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
श्रद्धा सह विश्वास की, सदा जरुरत घोर |
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पकौडी़उल्लूक टाईम्सरोज जलेबी खा रहा, कर शंका मधुमेह | सारे दिन दिखला रहा, मात्र पकौड़ी नेह | मात्र पकौड़ी नेह, खूब चटकारे मारे | लेता जम के खाय, रात भर पड़ा डकारे | सके न चूरन फांक, पेट हो जाता हैबी | बैठा जाके शाख, छोड़ के आज जलेबी || |
आज पिता जी की पुण्य तिथि है!(Arvind Mishra)
क्वचिदन्यतोSपि...
सादर श्रद्धांजलि दिया, किया काव्य का पाठ । बाबू जी के शुभ वचन, नेताओं के ठाठ । नेताओं के ठाठ , सदा से एक सरीखे । बारह या सन साठ , नहीं कुछ अंतर दीखे । जनता जी हलकान, सदा ही दीखी कादर । सुन्दर कविता भाव, नमन रविकर कर सादर ।। |
Untitled
Rajesh Kumari
कलयुग जाने से रहा, फिर भी रविकर साथ । सकल शुभेच्छा आपकी , पूर्ण करो हे नाथ । पूर्ण करो हे नाथ, हाथ अब पुन: लगाओ । पांच तत्व के साथ, जरा बारूद सटाओ । तन की गर्मी बढ़े, जले वह करके भुग-भुग । दुनिया को न खले, बदल जाए यह कलयुग ।। |
रवि-शास्त्री को बना, इस ट्राफी का चीफ |
अर्थ-शास्त्री से मिले, बढ़िया बड़ी रिलीफ |
बढ़िया बड़ी रिलीफ, भतीजा वाद चलेगा |
सोनी धोनी मो'न, मस्त गठबंधन देगा |
यू ए इ ईरान, टीम इटली की आये |
प्यारे नाना जान, जीत तो तू ही पाए ||
कोयले से आजकल हम दांतों को रगड़ते-
अपनी प्रिया को छोड़ के प्रीतम अगर गया |
नन्हा सा कैमरा कहीं चुपके से धर गया ||
आया हमारे मुल्क में व्यापार के लिए
सोने की चिड़िया लेके जाने किधर गया ||
रुपये की खनक गूंजती बाज़ार में अभी
डालर के सामने मगर चेहरा उतर गया ||
दाही दायम दायरा, दुःख दाई दनु दित्य-रविकर
जहर-मोहरा पीस के, लूँ दारू संग घोट ।
जहर बुझी बातें करें, जब प्राणान्तक चोट ।
जब प्राणान्तक चोट, पोट न तुमको पाया।
रविकर में सब खोट, आज भर पेट अघाया ।
प्रश्न-पत्र सा ध्यान, लगाना व्यर्थ हो रहा ।
अब सांसत में जान, पीसता जहर-मोहरा ।। |
पन्नों पर प्रकृति के रंग
चैतन्य शर्मा (Chaitanya Sharma)
कई पेड़ की पत्तियां, तरह तरह के रंग । कुदरत तो चैतन्य है, पत्ती कटी पतंग । पत्ती कटी पतंग, संग में हुई एकत्रित । पेन पेपर हैं दंग, ढंग से कर दे चित्रित । ले सुन्दर आकार, मोहता मन रविकर का । करता नवल प्रयोग, यहाँ पर नन्हा लड़का ।। |
बेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteथैंक यू...आभार आपका
ReplyDeleteआभार भाई ....
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ReplyDeleteरवि-शास्त्री को बना, इस ट्राफी का चीफ |
अर्थ-शास्त्री से मिले, बढ़िया बड़ी रिलीफ |
बढ़िया बड़ी रिलीफ, भतीजा वाद चलेगा |
सोनी धोनी मो'न, मस्त गठबंधन देगा |
यू ए इ ईरान, टीम इटली की आये |
प्यारे नाना जान, जीत तो तू ही पाए ||
सेविन्थ सिलिंडर कप बेहतरीन रचना है .
रवि-शास्त्री को बना, इस ट्राफी का चीफ |
अर्थ-शास्त्री से मिले, बढ़िया बड़ी रिलीफ |
बढ़िया बड़ी रिलीफ, भतीजा वाद चलेगा |
सोनी धोनी मो'न, मस्त गठबंधन देगा |
यू ए इ ईरान, टीम इटली की आये |
प्यारे नाना जान, जीत तो तू ही पाए ||
ram ram bhai
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शुक्रवार, 5 अक्तूबर 2012
चील की गुजरात यात्रा
बहुत सुंदर प्रस्तुति!
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