Tuesday, 30 October 2012

छले नहीं यह रूप, धूप चहुँ ओर बिखेरे-



 कौन सुनता है ? 

खोता रविकर ढोयगा, कब तक अपना बोझ ।
अब उतार कर रख चला, पीठ कर रहा सोझ ।
पीठ कर रहा सोझ, खोज अब कोई दूजा ।
होती चिक चिक रोज, करूँ नहिं तेरी पूजा ।
 काटेगा इंसान, जिन्दगी में जो बोता ।
कहते हैं विद्वान, मजे में जीता खोता ।।



"रूप छलता रहा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)  

 सुबह सवेरे ओस भी, बनती गंगा धार ।
बहा रहे गुरुवर यहाँ, पावन छंद बयार ।
 पावन छंद बयार, बड़ी आकर्षक दीखे ।
नव-कवि कुल आ जाव , यहाँ कविताई सीखे ।
छले नहीं यह रूप, धूप चहुँ ओर बिखेरे ।
रविकर गुरुकुल जाय, आज तो सुबह सवेरे ।।


खता,,,
खता बता कर क्या करें, ख़त खतियाना ख़त्म ।
खेल ख़तम पैसा हजम, यही पुरानी रश्म ।
यही पुरानी रश्म, कुबूला जैसी हो तुम ।
शायद भूला रूल, सीध होती नहिं यह दुम ।
तेरे द्वारे आय, भौंकता रविकर प्यारी ।
गरज गरज ठुकराय, रही क्यूँ गरज हमारी  । 

तांडव शंकर दे मचा , नचा विश्व परिदृश्य |
विशिष्ट ऊर्जा जल भरे, करे जलजला पृश्य |
करे जलजला पृश्य, दृश्य नहिं देखा जाए |
जल जाए जब जगत, हजारों जाने खाए |
क्षिति जल पावक गगन, वायू से मंच पांडव |
छेड़ छाड़ कर बंद, नहीं तो झेल तांडव || 


करवाचौथ की फुलझड़ियाँ ("माहिया" में पति पत्नी की चुहल बाजी

Rajesh Kumari  
 पूछा अपने दोस्त से, ओ पाजी सतवंत ।
सन बारह का हो रहा, दो महीनों में अंत ।
दो महीनों में अंत, बुरा दिन एक बताना ।
और कौन सा भला, दिवस वह भी समझाना ।
कहता है सतवंत, बुरा दिन साल गिरह का ।
बढ़िया करवा चौथ, बोल कर पाजी चहका ।। 


इश्क

expression 
झूठा चंदा खा रहा, जहाँ व्यर्थ सी कौल ।
वहीँ चांदनी दे जमा, वहीँ पीठ पर धौल ।
वहीँ पीठ पर धौल, छला था नारि गौतमी ।
कभी नहीं बन सका, शकल से सही आदमी ।
छुपते छुपे छुपाय, छकाये छली अनूठा ।
धीरे शकल दिखाय, बनाए बातें झूठा ।।

अधूरे सपनों की कसक (22) !

रेखा श्रीवास्तव  
दीदी संगीता पुरी जी  
  विदुषी ज्योतिष से जुड़ी, गत्यात्मक सन्दर्भ ।
एक एक जोड़ें कड़ी, पढ़ें समय का गर्भ ।
पढ़ें समय का गर्भ , समर्पित कर दी जीवन ।
वैज्ञानिक सी दृष्टि, देखता श्रेष्ठ समर्पण ।
पूज्य पिता का क्षेत्र, जोड़ संगीता हरषी ।
शुभकामना अपार, जरा स्वीकारो विदुषी ।।

2 comments:

  1. अरे...!
    आपने तो बहुत लोगों को टिपिया दिया।
    उनमें से एक खुशनसीब हम भी हैं।
    आभार!

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