दृष्टिकोण
दृष्टि-दोष से त्रस्त है, मानव अभिनव-ज्ञान ।
चौदह चश्मे चक्षु पर, चतुर चोर बैमान ।
चतुर चोर बैमान, स्वार्थी क्रूर *द्विरेतस ।
बाल तरुण नर-नारि, सत्य भी देखे टस-मस ।
दृष्टिकोण हर बार, बदलना गर्व घोष है ।
करे स्वयं पर वार, बावला दृष्टि-दोष है ।।
*खच्चर
नारी – मत्तगयंद छंद सवैया
अरुण कुमार निगम
सवैया का अभ्यास किया है अभी तुरंत -निश्चय ही मत्गयंद नहीं है -
मन माफिक वर वरताव नहीं, फिर से ससुरार न जावत नारी ।
पति मिल जाय अदालत मा, तब डीजल डाल जलावत नारी ।
घर में अनबन होय जाय तनिक, लरिकन का जहर पिलावत नारी ।
सबला कब की बन आय जमी, अब लौं अबलाय कहावत नारी ।।
नेह समर्पण भूल गई, अब तो जब स्वयं कमावत नारी ।
भोजन नित रही पकावत तब, अब हमका रोज पकावत नारी ।
रूप निरूपा राय बदल, अब तक माँ रही कहावत नारी ।
मलिका के रस्ते राखी जब, कैसे नर शीश नवावत नारी ।।
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बच्चों की संस्कृति(प्रवीण पाण्डेय)
न दैन्यं न पलायनम्
करें गर्व ना खोल पर, बल्कि आत्मा शुद्ध | सांस्कृतिक मन आत्मा, कहें प्रवीन प्रबुद्ध | कहें प्रवीन प्रबुद्ध, खोल दें ज्ञान पिटारा | बच्चों की संस्कृति, आधुनिक बंटा-धारा | चिंता में हम साथ, हाथ पर हाथ धरें ना | चिन्तक करें विचार, कार्य हम सभी करें ना !! |
चील की गुजरात उड़ान
Virendra Kumar Sharma
बी हूडा बेहूदा बोले, नर्मदा कहे नर-मादा । होती क्यूँ तकलीफ आपको, बोलो भीड़ू दादा । सास-ससुर की प्रकृत-सम्पदा, हरियाना का हरिया - बाड्रा है दामाद हमारा, ब्लॉग वर्ल्ड मत कान्दा ।। गिद्ध दृष्टि कहिये ना भाई, चील चील क्यूँ रटते । बीमारी में भी क्या कोई, रहा आज तक खटते । भारत आओ बँटे रेंवड़ी, रेवाड़ी में ले लो- लूट रहे हैं अंधे सारे, पर अंधे न घटते ।। |
कालिख तो पुत ही गई सोनिया जी !
महेन्द्र श्रीवास्तव
कम काली है शर्ट जो, पहनो वो बारात | पहनो वो बारात, सिनेमा बड़ा पुराना | चोरों की बारात, देखने अब क्या जाना | घर आया दामाद, उतारो मियां आरती | दस करोड़ का गिफ्ट, भेंटती सास भारती || |
ग़ज़लगंगा.dg: अंधी नगरी चौपट राजाdevendra gautam |
The मध्यवर्ग
(सतीश पंचम)
कहे दोगला नामवर, पूरा मध्यम वर्ग ।
संस्कार की ओढ़नी, उच्च वर्ग का स्वर्ग ।
उच्च वर्ग का स्वर्ग, चतुर चम्गीदढ़ चालू ।
यहाँ हिलाए पंख, पेड़ ढूंढे यह *मालू ।
दांत दिखाता जाय, जहाँ पर वर्ग खोखला ।
ऊंचे स्वप्न दिखाय, झूठ गढ़ चले दोगला ।।
* पेड़ पर चढ़ने वाली एक लता
अभियन्त्रक की गलतियाँ, बिल्डिंग गिरे धडाम | पर वकील करता नहीं, कोई अनुचित काम | कोई अनुचित काम, चिकित्सक करे गलतियाँ | राम नाम हो सत्य, मरे बीमार शर्तिया | शिक्षक गलती करे, देश का बिगड़े बच्चा | लेकिन नेता करे, वही जनसेवक सच्चा || |
प्रिंट मीडिया ने खोजा “ पेड न्यूज ” का तोड़ !
बनिया डंडी मार के, ग्वाला पानी बेंच ।
चतुर सयाने लें कमा, पैदा करके पेंच ।
पैदा करके पेंच, नाप पेट्रोल कमाता ।
बेचारा अखबार, चला के क्या कुछ पाता ।
पेड न्यूज दे छाप, काँप लेकिन अब जाता ।
पीछे दिया लगाय, हाय क्यूँ जांच विधाता ।।
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"अपने को बरगद मत मानो" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
दुष्ट अपने को बरगद की श्रेणी में रखने लगे हैं -
बरगद गदगद-गिरा सुन, लता लगाय लताड़ |
धरती सारी घेरता, देता घर को फाड़ |
देता घर को फाड़, ख़तम सब छोटे पौधे |
करता सीमा पार, छेकता औंधे औंधे |
हो बेहद उद्दंड, हुई जाती हद बेहद |
शुद्ध वायु की बात, अन्यथा काटूँ बरगद ||
क्षणिका : सदिश प्रेमधर्मेन्द्र कुमार सिंह
ग्रेविटॉन
प्रेम सदिश कवि कह रहा , सदिश रहे विश्वास । संरेखी हरदम रहें, जगी रहेगी आस । जगी रहेगी आस, मगर विक्षोभ अदिश सा । रहे सदा ही साथ, हकीकत का यह हिस्सा । बढ़ता जब परिमाण, बड़ा परिणाम भयानक । हंसी ख़ुशी की कथा, दुखान्ती होय कथानक ।। |
वाह ... बेहतरीन
ReplyDeleteबढिया लिंक्स
ReplyDeleteमुझे भी जगह मिली, शुक्रिया
बहुत अच्छी कड़ियाँ, मुझे शामिल करने का शुक्रिया
ReplyDeleteबहुत बढिया लिंक्स...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (07-10-2012) के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
लाजबाब,,,,एक बढ़कर एक,,,,बधाई रविकर जी,,,,
ReplyDeleteएक से एक बढ़कर हैं सभी काव्यात्मक टिप्पणियाँ .किसी एक की तारीफ़ करना बाकी के साथ अन्याय हो जाएगा .
ReplyDeleteबहुत खूब भाई साहब .
ReplyDeleteVirendra Sharma @Veerubhai1947
ram ram bhai http://veerubhai1947.blogspot.com/ रविवार, 7 अक्तूबर 2012 कांग्रेसी कुतर्क
अदभुत लेखन
ReplyDeleteलाजबाब प्रतिक्रियाएं एक से बढ़कर एक अद्दभुत बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteएक से बढकर एक काब्यागत सौंदर्य के अनमोल मोती....
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