अरुण निगम के ब्लॉग पर, होता वाद विवाद ।
विगत पोस्टों पर हुआ, पाठक मन क्या याद ?
पाठक मन क्या याद, सशक्तिकरण नारी का ।
बाल श्रमिक पर काव्य, करो अब दाहिज टीका ।
रचे सवैया खूब, लीजिये हिस्सा जम के ।
रहें तीन दिन डूब, पोस्ट पर अरुण निगम के ।।
भाई रही संभालती, उसे डांट स्वीकार्य । दो संतानों में बड़ी, सुता करे गृह कार्य । सुता करे गृह कार्य, करे वर्षों वह सेवा । दोयम दर्जा मिला, मिले कब सेवा मेवा । जाती अब ससुरारि, बुजुर्गों बाँट कमाई । करो चवन्नी खर्च, बचा पाए सब भाई ।।
दाहिज यदि सच में बुरा, बदल दीजिये रीत |
कन्या को छूछे विदा, करिए मेरे मीत | करिए मेरे मीत, मगर यह तो बतलाओ | जायदाद अधिकार, बीच में क्यूँकर लाओ | अजब गजब कानून, दोगला दिखे अपाहिज | या तो दोनों गलत, अन्यथा सच्चा दाहिज || |
सुबहे बनारस
देवेन्द्र पाण्डेय
मोटे आसामी गए, छोड़ छाड़ यह गाँव ।
छेड़-छाड़ कर प्रकृत से, रहे डुबोते नाव ।
रहे डुबोते नाव, सूर्य गंगा गोमाता ।
सुबह सुबह के घाट, सदा सज्जन मन भाता ।
चित्रकार आभार, लगा के चन्दन नामी ।
बसते दिल्ली दूर, बड़े मोटे आसामी ।।
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जो बात इस जगह है कहीं पै नहीं..............
पी.एस .भाकुनी
चौरासी में था वहाँ, चार वर्ष का काम |
नेकचंद की कला का, हुआ चतुर्दिक नाम |
हुआ चतुर्दिक नाम, लगाया फिर से चक्कर |
करे प्रभावित लेख, बड़ा आभारी रविकर |
अजगर हाथी शेर, धरा के सारे वासी |
भरे पड़े हैं ढेर, लाख योनी चौरासी ||
दौरासुशील
काव्य का संसार
रहा अभी तक सड़क पर, उड़े गगन पर मस्त । हेमवती का पुत्र यह, अभी बहुत ही व्यस्त । अभी बहुत ही व्यस्त, सीखती नृत्य उत्तरा । शादी का कर ख्याल, विचारो आज पत्तरा । वर्षगाँठ भी आज, गाल को चिकना कर लो । गड्ढे ले भरवाय, केक का टुकडा धर लो । |
"नवरात्र की शुभकामनाएँ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री मयंक')
भक्त भाव से भगवती, खुश झटपट हो जात ||
राम दीन को कर रहे, खड़ा यहाँ सलमान । दीन हीन है देखिये, खतरे में ईमान ।
Virendra Kumar Sharma
असली यही दबंग है, है असली बलवान | ये ही तो बिग बॉस है, वो नकली सलमान | वो नकली सलमान, मान ले केजरिवाला | यही *जीर जंजीर, अपाहिज बुद्धि वाला | कोयल का कोयला, तोड़ता हड्डी पसली | बड़का नाटकबाज, यही है बन्दा असली || *तलवार / शत्रु को हानि पहुँचाने वाला | |
अपनी ही किरकिरी करा रहे सलमान ...
महेन्द्र श्रीवास्तव
आधा सच...साफ़ सफाई में लगा सारा कुनबा मित्र |
बेगम बागम खींचती, ढेर पुराने चित्र |
ढेर पुराने चित्र , ऊंट अब आया नीचे |
वो पहाड़ सा ठाड़, डालता यहाँ किरीचें |
नजरों में सैफई, मुलायम सहित खुदाई |
मोहन इसको रोक, करे जो साफ़ सफाई || |
बेगम बागम खींचती, ढेर पुराने चित्र |
ढेर पुराने चित्र , ऊंट अब आया नीचे |
वो पहाड़ सा ठाड़, डालता यहाँ किरीचें |
नजरों में सैफई, मुलायम सहित खुदाई |
मोहन इसको रोक, करे जो साफ़ सफाई || |
Untitled
सुरेश शर्मा . कार्टूनिस्ट
रसिया छैला हैं भरे, आस पास सरदार | घोटालों को टालते, सबमें तीखी धार | सबमें तीखी धार, स्वत: ठंढे हो जाते | इक के ऊपर एक, विपक्षी ही घबराते | फुस फुस होंय अनार, चैन से हैं कन्ग्रसिया | जी जीजा कोयला, हमारी सलमा रसिया || |
"वफादार है बड़े काम का" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
चूहे से बिल्ली विकट, कुक्कुर उस से जीत |
कुक्कुर उस से जीत, मीत है युगों पुराना |
नस्ल विदेशी ठीक, किन्तु मुँह नहीं लगाना |
प्राण वायु का शत्रु, किन्तु हरदम उपयोगी |
खेल कूद में फर्स्ट, बड़ा बढ़िया प्रतियोगी ||
नारि सँवार रही घर बार, विभिन्न प्रकार धरा अजमाई ।
कन्यक रूप बुआ भगिनी घरनी ममता बधु सास कहाई ।
सेवत नेह समर्पण से कुल, नित्य नयापन लेकर आई ।
जीवन में अधिकार मिले कम, कर्म सदा भरपूर निभाई ।।
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बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteअच्छी रश्री अरुण कुमार निगम, श्री देवेन्द्र पांडेय, श्री सुशील जी बहुत चना। क्या बात। बहुत अच्छी रचना। भाई रविकर जी आपका तो मैं हमेशा प्रशंसक रहा हूं। सुरेश शर्मा का कार्टून भी लाजवाब..
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति।...
ReplyDeleteमेरी तस्वीरों को बढ़िया लिंक्स के बीच स्थान दिया है आपने।..आभार।
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