चींटी और हाथी !संतोष त्रिवेदीअपनी काया से डबल, दौड़ उठा कर बोझ । हाथी हारेगा बड़ा, चींटी जीते सोझ । चींटी जीते सोझ, खोज लेती झट दुश्मन । अंकुश करे गुलाम, बंधे हाथी झट बंधन । रहना सदा सचेत, चीटियाँ होती कटनी । चटनी जैसा चाट, दिखाएँ ताकत अपनी ।। |
सड़क पर जिंदगीदेवेन्द्र पाण्डेय
बेचैन आत्मा
जयकारा यह सड़क का, तड़क भड़क शुभ शान । मस्त मस्त सब शेर हैं, सड़कें जान जहान । सड़कें जान जहान, गली पगडण्डी पाले । पा ले जीवन लक्ष्य, उतरता जो नहिं *खाले । खा ले सड़क प्रसाद, धूल फांके सौ बारा । देता रविकर दाद, करूँ शायर जयकारा ।। *नीचे |
ये वक्त भी बदल जाएगा
Maheshwari kaneri
रविकर अब खामोश हो, कहे वाह ही वाह || |
"गीत गाना जानते हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
विरह गीत जो गा सके, सके स्वयं को जीत || |
पहली डेट
जामा पौधा प्यार का, पहला पहला प्यार ।
फूला नहीं समा रहा, तन जामा में यार ।
तन जामा में यार, घटा कैफे में नामा ।
मुझे पजामा बोल, करे जालिम हंगामा ।
रविकर पहली डेट, बना दी मुझको मामा ।
करे नया आखेट, भागती खींच पजामा ।।
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बहुत बढिया।
ReplyDeleteबढिया,
ReplyDeleteअच्छे लिंक्स
बहुत बढिया, अच्छे ..मुझे स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार..रविकर जी..
ReplyDeleteआपकी काव्यमयी टिप्पणी बहुत अच्छी रही!
ReplyDeleteज्वार-खेत को खा रहा, पापा नामक कीट-
ReplyDeleteपहली डेट
जामा पौधा प्यार का, पहला पहला प्यार ।
फूला नहीं समा रहा, तन जामा में यार ।
तन जामा में यार, घटा कैफे में नामा ।
मुझे पजामा बोल, करे जालिम हंगामा ।
रविकर पहली डेट, बना दी मुझको मामा ।
करे नया आखेट, भागती खींच पजामा ।।
भाई साहब अब ई तो गजब होइगवा सगरी टिपण्णी गायब हुई गवा .
भाई साहब अब ई तो गजब होइगवा सगरी टिपण्णी गायब हुई गवा .
ReplyDeleteज्वार-खेत को खा रहा, पापा नामक कीट-
पहली डेट
जामा पौधा प्यार का, पहला पहला प्यार ।
फूला नहीं समा रहा, तन जामा में यार ।
तन जामा में यार, घटा कैफे में नामा ।
मुझे पजामा बोल, करे जालिम हंगामा ।
रविकर पहली डेट, बना दी मुझको मामा ।
करे नया आखेट, भागती खींच पजामा ।।
भाई साहब अब ई तो गजब होइगवा सगरी टिपण्णी गायब हुई गवा .
बहुत बढिया प्रस्तुति है रविकर जी की ब्लॉग जगत के दिनकर जी की .बधाई .
बढ़िया लिंक्स
ReplyDeleteविजयादशमी की शुभकामनाए!!