Tuesday 6 November 2012

रहे नियंत्रित काम, नीति नियमों में जीवन-



 450 वीं पोस्ट इस ब्लॉग पर
 


अब्धि-हार

प्रतुल वशिष्ठ  
खींचा-खींची कर रहे, इक दूजे की चीज ।
सोम सँभाले स्वयं सब, भूमि रही है खीज ।
भूमि रही है खीज, सभी को रखे पकड़ के ।
पर वारिधि सुत वारि, लफंगा बढ़ा अकड़ के
चाह चाँदनी चूम, हरकतें बेहद नीची ।
रत्नाकर आवेश, रोज हो खींचा खींची ।।

मौत के बाद है असल जीवन

श्यामल सुमन 
 मनोरमा
ईंट रेत  सीमेंट को, मिला पसीना खून ।
चुन चुन कर चुनवा दिया, हो मजबूती दून ।
हो मजबूती दून, बैठ पूजा पर माता ।
पिता पढ़ें अखबार, उन्हें दालान सुहाता ।
पत्नी ड्राइंग रूम , सीढ़ियाँ चढ़ते बच्चे ।
गृह प्रवेश की धूम, इरादे अच्छे सच्चे ।।


Untitled

Arun Yadav 

माता की महिमा अमिट , डाकू लीडर चोर ।
भक्त नशेडी उद्यमी, कवि पीड़ित कमजोर ।

कवि पीड़ित कमजोर, होय बलवान अभागा
नहिं कोयल सी माय, यहाँ पर अच्छा कागा
अपने बच्चे मान, पालती सबको काकी ।
रविकर जै जै बोल, जोर से जै माता की 
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माता देखी पुत्र की, जब से प्रगति रिपोट ।
मन में नित चिन्तन करे, सुनी गडकरी खोट
सुनी गडकरी खोट, आई-क्यु बहुतै अच्छा ।
दाउद ना बन जाय, करो हे ईश्वर रक्षा ।
बनना इसे नरेंद्र, उसे बाबा समझाता ।
संस्कार शुभ-श्रेष्ठ, सदा दे सदगुण माता ।



विद्रोही क्यूँकर हुआ, घोपे लिए कटार ।
ले ले रविकर की  दुआ, कुछ ना कुछ संहार 


कुछ ना कुछ संहार, हार से शत्रु सरीखा ।
सांस्कृतिक सन्देश, व्यर्थ, उल्टा ही सीखा 


कर विरुद्ध आचरण, सभ्यता का तू द्रोही
नाच विदेशी ढोल, बने अपना विद्रोही ।

मुझे इश्क की बिमारी लगी

"अनंत" अरुन शर्मा 
 दास्ताँने - दिल (ये दुनिया है दिलवालों की )

  दिन दूभर और रात भारी लगी है ।
 2 2 2 2 1 2 1 22 1 22  (अरुण शर्मा ) 

महबूबा की अजब तयारी लगी है ।
जब से देखा उसे हमारी लगी है ।।

करने आता तभी मुलाक़ात साला 
उसकी बोली मुझे कटारी लगी है ।।

जिंदगी
  akhilesh mishra
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जीवन का पहला चरण, इसीलिए खुशहाल ।
दूजा ही सबसे अधिक, झेले पीर बवाल ।
झेले पीर बवाल, यहीं पर आकर सोचे ।
रही जिंदगी पाल, यहीं पर बेढब लोचे । 
करे परीक्षण राम,  बड़ा जालिम यह यौवन 
रहे नियंत्रित काम, नीति नियमों में जीवन


लिव इन रिलेशन की हकीकत ...एवं परिणति ...डा श्याम गुप्त

डा. श्याम गुप्त 

मानव पुरखों से रहा, कहीं आज अगुवाय |
मन मेदा मजबूत मनु, लेता जहर पचाय |
लेता जहर पचाय, खाय ले मार गालियाँ |
कर कुकर्म मुसकाय, किया था क़त्ल हालिया |
घर बलात घुस जाय, हुआ बलशाली दानव |
अपसंस्कृति व्यवहार, आज मानव ना मानव ||



What makes a halo around the sun or moon?

Virendra Kumar Sharma  
ram ram bhai 

चार दिनों से झेलता, झारखण्ड बरसात |
नीलम का यह असर है, चलता झंझावात |
चलता झंझावात, उपग्रह है प्राकृतिक |
दर्पण सा अवलोक, गगन से घटना हर इक |
हुवे घाघ अति श्रेष्ठ, पढ़ें संकेत अनोखे |
करे आकलन शुद्ध, मिलें फल हरदम चोखे || 

5 comments:

  1. सर एक से बढ़कर एक सुन्दर रचनायें, जय हो सर

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  2. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति

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  3. सर मुझे लिंक लिक्खाड़ पर स्थान दिया हृदय के अन्तः स्थल से शुक्रिया

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  4. ४५० वीं पोस्ट की हार्दिक बधाई मेरे भाई .लिंक लिख्खाड है पर -सेवा मेरे भाई ,पर -हित सरस नहीं धरम मेरे भाई ,नित कहता रविकर कविराई.

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