Tuesday 22 May 2012

ढूँढ़ सके अस्तित्व, बिता के दस दिन छुट्टी-

चल मन ....लौट चलें अपने गाँव .....!!

छुट्टी का हक़ है सखी, चौबिस घंटा काम |
बच्चे पती बुजुर्ग की, सेवा में हो शाम |

सेवा में हो शाम, नहीं सी. एल. ना इ. एल. |
जब केवल सिक लीव,  जाय ना जीवन जीयल |

रविकर मइके जाय, पिए जो माँ की घुट्टी |
ढूँढ़ सके अस्तित्व, बिता के दस दिन छुट्टी ||



हँसना तो बनता है !!

वाणी गीत at गीत मेरे

मूंगफली भरपेट खा, मुफ्तखोर की खीज |
खांसी जकड़ी गले को, बड़ी बुरी यह चीज |
बुरा लगे भाई |

चापे गुड़ की रेवड़ी, चारबाग़ में बैठ |
बाढ़े गर मधुमेह तो, जाए मुझसे ऐंठ |
मेरी क्या खता ?


पानी का इतिहास

  न दैन्यं न पलायनम् 
पानी की तरह धन बहाना, ना चलेगा यह बहाना |
धन की तरह पानी बहाना, आया यही अब ज़माना  ||

पानी के बुलबुले सा मिटे, चाहता है क्या नादान-
बंद कर सूखे में डूब के, पानी में आग लगाना || 



Roshi: देखा आज एक पूर्ण पल्लवित पलाश का एक वृक्ष अपने पूर...

  Roshi 

मनभावन यह सीनरी,  देख सीन री  देख |
नख शिख तक सज्जा किये, प्रेम मयी आलेख |

प्रेम मयी आलेख, बुलाया भी प्रेयसी को |
लेकिन तूफाँ-शेख, रिझाए वह बहशी को |

पेट्रो-डालर थाम, छोड़ कर प्यारा सावन |
चुका प्रेम का दाम, गई दे गम-मनभावन ||

यह किसी मुहावरे का वाक्य प्रयोग नहीं है प्रिय

sidheshwer at कर्मनाशा -  
 

लगा आलता पैर में, बना महावर लाख |
मार आलथी पालथी, सेंके आशिक आँख |


सेंके आशिक आँख, पाख पूरा यह बीता |
शादी की यह भीड़, पाय ना सका सुबीता |


बिगड़े हैं  हालात, प्रिये पद-चाप सालता |
आओ फिर चुपचाप, तनिक दूँ लगा आलता ||


"उल्लूक टाईम्स "
http://ulooktimes.blogspot.in/2012/05/blog-post_22.html
 चप्पल चोरी हो गई, इसीलिए कुछ देर |
शाम का भूला आ गया, होते तनिक सवेर |

होते तनिक सवेर, बड़ी  चिंता चप्पल की |
होय सर्जरी हर्ट, हास्य की देके झलकी |

जाए अन्दर जूझ, गया दर्शन समझा के |
है पूरा विश्वास, पहनना चप्पल आके ||

5 comments:

  1. वाह.............

    बहुत सुंदर रविकर जी....

    सादर.

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  2. वाह ... बहुत ही बढिया प्रस्‍तुति ...आभार ।

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  3. लाजवाब प्रस्तुति
    नीरज

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  4. वाह ,,,, बहुत अच्छी प्रस्तुति,,,,

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  5. पानी के बुलबुले सा मिटे, चाहता है क्या नादान-
    बंद कर सूखे में डूब के, पानी में आग लगाना ||
    बहुत गहरा अर्थ लिए है ये कुंडली .जलखोरों को आइना दिखाती .

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