Friday 26 October 2012

रह जावोगे ढूँढ़ते, श्रेष्ठ समर्पण त्याग-


"मेरा सुझाव अच्छा लगे तो इस कड़वे घूँट का पान करें"

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) 

अपना न्यौता बांटते, पढवाते निज लेख |
स्वयं कहीं जाते नहीं, मारें शेखी शेख |
मारें शेखी शेख, कभी दूजे घर जाओ |
इक प्यारी टिप्पणी, वहां पर जाय लगाओ |
करो तनिक आसान, टिप्पणी करना भाये  |
कभी कभी रोबोट, हमें भी बहुत सताए ||



स्त्रीत्व : समर्पण का छद्म पूर्ण सम्मान !

धीरेन्द्र अस्थाना 
रह जावोगे ढूँढ़ते, श्रेष्ठ समर्पण त्याग |
नारीवादी भर रहीं, रिश्तों में नव आग |
रिश्तों में नव आग, राग अब बदल रहा है |
एकाकी जिंदगी, समंदर आह सहा है |
पावन माँ का रूप, सदा पूजा के काबिल |
रहे जहर कुछ घोल, कहे है रविकर जाहिल ||

बचपन और यादें ......... >>> गार्गी की कलम से

संजय कुमार चौरसिया
हे दुर्गे ब्रह्मवादिनी, माँ का भावे रूप । 
होय माघ की शीत या, तपे जेठ की धूप ।
तपे जेठ की धूप, कठिनाई से सदा उबारे ।
याद तुम्हारी बसी, कोठरी घर चौबारे ।
अग्रज दीदी अनुज, बुआ चाचा सब भावें ।
किन्तु श्रेष्ठ माँ गोद, भोगनें भगवन आवें ।।

पर भूली संस्कार

Asha Saxena 
 Akanksha  
 सर्वोपरि है प्यार पर, इसके कई प्रकार ।
दो जीवों के बीच में, महत्त्वपूर्ण दरकार ।
महत्त्वपूर्ण दरकार, हुवे अब दो दो बच्चे ।
बही समय की धार, बदलते आशिक सच्चे ।
सम्मुख दिखे तलाक, परस्पर नफरत पाले ।
  करते हटकु हलाक, मूर्ख संतान बचाले ।।

बाबा दादी में नहीं, रहा कभी भी प्यार |
आपस में सम्मान था, सम्मुख था परिवार |
सम्मुख था परिवार, प्यार के सुनो पुजारी |
नफ़रत गर हो जाय, परस्पर देते गारी |
झटपट होय तलाक, पकड़ते  ढर्रा दूजा |
किन्तु पूर्वज सोच, करें रिश्तों की पूजा |

डेंगू का वायरस पद-प्रतिष्ठा-पैसा नहीं देखता

Kumar Radharaman 

भगवन की भेंगी नजर, डेंगी का उपहार |
मानव की नित हार है, दिल्ली की सरकार |
दिल्ली की सरकार, हाथ पर हाथ धरे है |
बढती भीषण व्याधि, व्यर्थ ही लोग मरे हैं |
करो सफाई खूब, नहीं जमने दो पानी |
नहीं तो जाओ डूब, मरे ना उनकी नानी ||

अब लेनिन के बुत भी बर्दाश्त नहीं

lokendra singh  
लेनिन की प्रतिमा गई, बाम-पंथ कर गौर ।
क़त्ल हजारों थे हुवे, नया देख ले दौर ।
 नया देख ले दौर, क्रूर सिद्धांत अंतत: ।
देते लोग नकार, सुधार लो अत: स्वत: ।
पूंजीवाद खराब, करें वे शोषण लेकिन ।
श्रमिक लीडरी ढीठ, बदल कर रखता लेनिन ।।

6 comments:

  1. बहुत खूब अच्छी टिप्पणियाँ,,,,

    RECENT POST LINK ...: विजयादशमी,,,

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  2. कभी कभी रोबोट, हमें भी बहुत सताए

    ye badhiya thi

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  3. सारे पोस्ट बहुत उम्दा | उनपे आपकी टिप्पणियाँ रविकर जी, हमेशा की तरह कमाल की | बहुत खूब | आभार |

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  4. अपना न्यौता बांटते, पढवाते निज लेख |
    स्वयं कहीं जाते नहीं, मारें शेखी शेख |
    मारें शेखी शेख, कभी दूजे घर जाओ |
    इक प्यारी टिप्पणी, वहां पर जाय लगाओ |
    करो तनिक आसान, टिप्पणी करना भाये |
    कभी कभी रोबोट, हमें भी बहुत सताए ||
    हाँ कई ब्लोगाचारी महारथी हैं ,

    स्पैम बोक्स बने टिपण्णी डकारें .

    इनके ब्लोगों को प्रभु तारें ,

    प्रभु भाव यह खुद ही धारें .

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  5. कहिये तो गिनती हो जाए ,

    कितने यहाँ ब्लॉग गौरव ,ब्लॉग गर्विताएं

    हुकुम करो तो नाम बताएं ,

    या मुद्दा आगे खिसकाएं .

    ब्लॉगमंच

    अपना न्यौता बांटते, पढवाते निज लेख |
    स्वयं कहीं जाते नहीं, मारें शेखी शेख |
    मारें शेखी शेख, कभी दूजे घर जाओ |
    इक प्यारी टिप्पणी, वहां पर जाय लगाओ |
    करो तनिक आसान, टिप्पणी करना भाये |
    कभी कभी रोबोट, हमें भी बहुत सताए ||

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  6. हमको भी ये बहुत सताएं ,

    अक्सर अपनी पीठ दिखाएं .

    पीड़ा ये सामूहिक भैया ,

    इनके नाम खोल दो भैया .

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