Monday 29 October 2012

अमृत वर्षा से हुई, श्वेत खीर अभिसिक्त -




स्पर्श

 धर्म कर्म से लौ लगी,  बाती जलती जाय  |
करे प्रकाशित कोष्ठ-मन, जग जगमग कर जाय |
जग जगमग कर जाय, करे ना चिंता अपनी |
कर्म करे अनवरत, तभी तो देह सिमटनी |
करे प्राप्त घृत तेल, नियामक बने मर्म से |
होवे सेहतमंद, लगे फिर धर्म कर्म से ||




ओ बंजारे

Dr.NISHA MAHARANA 
 जारा अपना तन बदन, जारी अपनी चाह ।
चला काफिला जा रहा, पकडे सीधी राह ।
पकडे सीधी राह, जिन्दगी हमें छली है ।
  काम क्रोध मद त्याग, लालसा बड़ी खली है ।
कला गीत संगीत, आपसी भाई चारा ।
चीजे ये अनमोल, लिए गाये बंजारा ।। 

अस्सी घाट, शरद पूर्णिमा और चाँदनी की पदचाप

देवेन्द्र पाण्डेय  

अमृत वर्षा से हुई, श्वेत खीर अभिसिक्त ।
छक कर खाई है सुबह, उदर नहीं है रिक्त।
उदर नहीं है रिक्त, टेस्ट मधुमेह कराना ।
भले चित्र अवलोक, चित्त में इन्हें समाना ।
चित्रकार आभार, परिश्रम का फल पाओ ।
स्वस्थ रहे मन-बदन, और भी चित्र दिखाओ ।। 
 

"बुद्धि के प्रकार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) 

रबड़ बुद्धि वाला सुखी, सोवे चादर तान |
यही तेलिया बुद्धि है, उठा रहा अस्मान | 
उठा रहा अस्मान, कान इसके जो खींचे |
लंगी मार गिराय, पटक के मारे नीचे |
रविकर चमड़ा बुद्धि, सिखाया जितना जाता |
फुर्ती से निपटाय,  काम उतना कर आता ||

अधूरे सपनों की कसक (21)

रेखा श्रीवास्तव 

पूरे होंगे अवश्य ही, गति हो सकती धीम ।
सपनों में है जिंदगी,  शुभकामना असीम ।
शुभकामना असीम , इंच दर इंच बढ़ेंगे ।

एक एक कर पूर, नए फिर क्षितिज गढ़ेंगे ।
रे मन रख विश्वास, स्वप्न ना रहें अधूरे ।

दृढ़ इच्छा हो साथ, तभी तो होंगे पूरे ।।

Anita  
 मन की गंगा को मिले, मंजिल कभी कभार ।
जटाजूट में भटकती, हो मुश्किल से पार ।
हो मुश्किल से पार, करे कोशिशें भगीरथ ।
परोपकार सद्कर्म, जिन्दगी रविकर स्वारथ ।
स्वांस मौन के बीच, मचाये किस्मत दंगा ।
इसीलिए खो जाय, अधिकतर मन की गंगा ।।

शरद के चाँद प्रभु से कहना - नव गोपी गीत

tarun_kt 

 खींचा कितना मार्मिक, कवि ने दारुण दृश्य ।
कालिंदी का तट हुआ, मोहन क्यूँ अस्पृश्य ।

मोहन क्यूँ अस्पृश्य, द्रौपदी जब चिल्लाए ।

कानों पर दे हाथ, विदेशी पीजा खाए ।

निश्छल गोपी गोप, आँख उनसे क्यूँ मींचा । 
मुक्त करो हे नाथ, देह यह भरसक खींचा ।।

छत्तीसगढ़ी भाषा के शब्दकोश, भाषा और मानकीकरण की चिंता

संजीव  

  आरंभ Aarambha
शत्रु-शस्त्र से सौ गुना, संहारक परिमाण ।
शब्द-वाण विष से बुझे, मित्र हरे झट प्राण ।
मित्र हरे झट प्राण, शब्द जब स्नेहसिक्त हों ।
जी उठता इंसान, भाव से रहा रिक्त हो ।
आदरणीय आभार, चित्र यह बढ़िया खींचा ।
शब्दों का जल-कोष, मरुस्थल को भी सींचा ।।

9 comments:

  1. ओ बंजारे
    Dr.NISHA MAHARANA
    My Expression

    जारा अपना तन बदन, जारी अपनी चाह ।
    चला काफिला जा रहा, पकडे सीधी राह ।
    पकडे सीधी राह, जिन्दगी हमें छली है ।
    काम क्रोध मद त्याग, लालसा बड़ी खली है ।
    कला गीत संगीत, आपसी भाई चारा ।
    धरती धरती परबत परबत गाता जाए बंजारा ,

    लेके दिल का एक तारा .

    अपना अपना जीवन दर्शन है कोई क़ानून का फंडा खड़ा कर फंड खाता है और विदेश मंत्रालय हथिया लेता है कोई संतोष लिए बंजारा बन जाता है .बढ़िया प्रस्तुति .ये बंजारे तो एक पूरा पारितन्त्र साथ लिए चलते हैं ,कुत्ता ,और बैल गाडी ,और एक लालटेन ,लोहे के औज़ार और बस मोटी रोटी पर लालमिर्च लहसुन की चटनी .


    चीजे ये अनमोल, लिए गाये बंजारा ।।

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  2. bahut acchi prastuti ..dhanyavad nd aabhar ....

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  3. धरती धरती परबत परबत गाता जाए बंजारा ,

    लेके दिल का एक तारा .

    अपना अपना जीवन दर्शन है कोई क़ानून का फंडा खड़ा कर फंड खाता है और विदेश मंत्रालय हथिया लेता है कोई संतोष लिए बंजारा बन जाता है .बढ़िया प्रस्तुति .ये बंजारे तो एक पूरा पारितन्त्र साथ लिए चलते हैं ,कुत्ता ,और बैल गाडी ,और एक लालटेन ,लोहे के औज़ार और बस मोटी रोटी पर लालमिर्च लहसुन की चटनी .

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  4. सुप्रिय रविकर जी !

    कुछ कहना है /लिंक लिख्खाड पर ,स्पैम की बन आय

    मुंह खोले गुर्राय, मूंछ्न्गड़ भैया जैसा ,

    कुछ तो करो उपाय .

    आदर एवं नेहा से -

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  5. रविकर जी की कुंडलियाँ पातीं नित विस्तार .



    अस्सी घाट, शरद पूर्णिमा और चाँदनी की पदचाप
    देवेन्द्र पाण्डेय
    बेचैन आत्मा


    अमृत वर्षा से हुई, श्वेत खीर अभिसिक्त ।
    छक कर खाई है सुबह, उदर नहीं है रिक्त।
    उदर नहीं है रिक्त, टेस्ट मधुमेह कराना ।
    भले चित्र अवलोक, चित्त में इन्हें समाना ।
    चित्रकार आभार, परिश्रम का फल पाओ ।
    स्वस्थ रहे मन-बदन, और भी चित्र दिखाओ ।।

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  6. अच्‍छे अच्‍छे लिंक्‍स ..
    सुंदर टिप्‍पणियां !!

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  7. सरी रचनाएं और लिंक्स मन को भाए।

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  8. बेहतरीन लिंक्‍स संयोजित किये हैं आपने ...
    आभार


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