सत्तावन "जो-कर" रहे, जोड़ा बावन ताश ।
चौका (4) दे जन-पथ महल, अट्ठा(8)-"पट्ठा" पास । *सिंह इज किंग अट्ठा(8)-"पट्ठा" पास, किंग(K) पंजा(5) से दहला(10) । रानी(Q)नहला(9)जैक(J), देख छक्का(6) मन बहला । *ताजपोशी के लिए नहलाना -दुक्की(2) तिग्गी(3)ट्रम्प , हिला ना *पाया-पत्ता ।
खड़ा ताश का महल, चढ़े इक्के(A) पे सत्ता (7)।।
*खम्भा
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सॉफ्ट स्टेट हम नहीं सुप्रीम कोर्ट है ?
Virendra Kumar Sharma
जिन्दे की लागत बढ़ी, हिन्दू से घबराय |
खान पान के खर्च को, अब ये रहे घटाय | अब ये रहे घटाय, सिद्ध अपराधी था जब | लगा साल क्यूँ सात, हुआ क्यूँ अब तक अब-तब | वाह वाह कर रहे, तिवारी दिग्गी शिंदे | लेकिन यह तो कहे, रखे क्यूँ अब तक जिन्दे || |
''कुछ मीठा हो जाए.............''
सरिता भाटिया
चाक समय का चल रहा, किन्तु आलसी लेट | लसा-लसी का वक्त है, मिस कर जाता डेट | मिस कर जाता डेट, भेंट मिस से नहिं होती | कंधे से आखेट, रखे सिर रोती - धोती | बाकी हैं दिन पाँच, घूमती बेगम मयका | मन मयूर ले नाच, घूमता चाक समय का || |
क्या नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री होंगे ?
रणधीर सिंह सुमन
हिन्दु बोट पर चढ़ चले, सागर-सत्ता पार |
शिल्पी नहिं नल-नील से, बटी लटी सी धार | बटी लटी सी धार, कौन पूरे मन्सूबे | हिन्दु शब्दश: भार, बीच सागर में डूबे |
अपनी ढपली राग, नजर है बड़ी खोट पर |
है धिक्कार हजार, हिन्दु पर हिन्दु बोट पर || |
अनुशासित और अस्त-व्यस्त चर्या में कोई ज्यादा फर्क नहीं है
Prabodh Kumar Govil
Kehna Padta Hai/कहना पड़ता है
सीधा साधा अर्थ है, दोनों पर है दाब । दोनों को देना पड़े, अंत: बाह्य जवाब । अंत: बाह्य जवाब, एक को समय बांधता । नियम होय ना भंग, समय से *साँध सांधता । *लक्ष्य अस्त-व्यस्त दूसरा, दूसरों में ही बीधा । डांट-डपट ले खाय, हमेशा सीधा सीधा ।। |
पुत्र-वधु परिवार की कुलवधु या केवल पुत्र की पत्नी?
smt. Ajit Gupta
शादी की सारी ख़ुशी, हो जाती काफूर ।
मिलन मात्र दो देह का, रिश्ते नाते दूर ।
रिश्ते नाते दूर, क्रूर यह दुनिया वाले ।
भीड़ नहीं मंजूर, हुवे प्रिय साली साले ।
इक दूजे से काम, बैठिये अम्मा दादी ।
अलग-थलग परिवार, हुई देहों की शादी ।।
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Rajesh Kumari
HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR
दादी दीदा में नमी, जमी गमी की बूँद |
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हिन्दु बोट पर चढ़ चले, सागर-सत्ता पार |
ReplyDeleteशिल्पी नहिं नल-नील से, बटी लटी सी धार |
बटी लटी सी धार, कौन पूरे मन्सूबे |
हिन्दु शब्दश: भार, बीच सागर में डूबे |
अपनी ढपली राग, नजर है बड़ी खोट पर |
है धिक्कार हजार, हिन्दु पर हिन्दु बोट पर ||बहुत उम्दा प्रस्तुति,,,
waah bahut badhiya ...
ReplyDelete.सराहनीय संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करें कैग आप भी जाने अफ़रोज़ ,कसाब-कॉंग्रेस के गले की फांस
ReplyDeleteविचारणीय सूत्रों में पिरोया है आपने लिंक लिक्खाड़ को
ReplyDeleteगौर कीजिएगा....
गुज़ारिश : ''........तुम बदल गये हो..........''