| विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी गांव से (दो कुंडलिया) गोरु गोरस गोरसी, गौरैया गोराटि । गो गोबर *गोसा गणित, गोशाला परिपाटि । *गोइंठा / उपला गोशाला परिपाटि, पञ्च पनघट पगडंडी । पीपल पलथी पाग, कहाँ सप्ताहिक मंडी । गाँव गाँव में जंग, जमीं जर जल्पक जोरू । भिन्न भिन्न दल हाँक, चराते रहते गोरु ॥ |
ओछी पूँजी, बड़ी दुकान, इसीलिए यह राधा नहीं नाचेगी - 3
(विष्णु बैरागी)
एकोऽहम्
*सौदायिक बिन व्याहता, करने चली सिंगार |
लेकर आई मांग कर, गहने कई उधार |
गहने कई उधार, इधर पटना पटनायक |
खानम खाए खार, समझ ना पावे लायक |
बिन हाथी के ख़्वाब, सजाया हाथी हौदा |
^नइखे खुद में ताब, बड़ा मँहगा यह सौदा ||
*स्त्री-धन
^ नहीं
*सौदायिक बिन व्याहता, करने चली सिंगार |
लेकर आई मांग कर, गहने कई उधार |
गहने कई उधार, इधर पटना पटनायक |
खानम खाए खार, समझ ना पावे लायक |
बिन हाथी के ख़्वाब, सजाया हाथी हौदा |
^नइखे खुद में ताब, बड़ा मँहगा यह सौदा ||
*स्त्री-धन
^ नहीं
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![ये है मेरा नन्हा अक्षय @[100001428676499:2048:Akshay Vashisht] आज पूरे सत्रह साल का हो गया है... बहुत ही खुशमिज़ाज़। घर में सब इसे नटखट कहते हैं। सचमुच बहुत नटखट है मगर नटखट सिर्फ़ बातों मे है, किसी अपने की जरा सी चोट उसे रुला देती है। इश्वर ऎसा बेटा हर जनम में हर माँ को दे... आज उसके जन्म-दिन पर आप सब की दुआओं की अपेक्षा करती हूँ...](http://sphotos-h.ak.fbcdn.net/hphotos-ak-ash3/s480x480/535637_10151412141803666_1170368691_n.jpg)

जे बात गुरुवार | आभार
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार26/2/13 को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका हार्दिक स्वागत है
ReplyDeleteगोरु गोरस गोरसी, गौरैया गोराटि ।
ReplyDeleteगो गोबर *गोसा गणित, गोशाला परिपाटि ।
गोशाला परिपाटि, पञ्च पनघट पगडंडी ।
पीपल पलथी पाग, कहाँ सप्ताहिक मंडी ।
गाँव गाँव में जंग, जमीं जर जल्पक जोरू ।
भिन्न भिन्न दल हाँक, चराते रहते गोरु ॥ लाजबाब,,,,
Recent Post: कुछ तरस खाइये
ReplyDeleteबहुत गजब बहुत अच्छी रचना आन्नद मय करती रचना
आज की मेरी नई रचना
ये कैसी मोहब्बत है
खुशबू