दिलसुख नगरवासी दुखी हैं : दैनिक जनसंदेश टाइम्स 26 फरवरी 2013 स्तंभ 'उलटबांसी' में प्रकाशित
अविनाश वाचस्पति
नुक्कड़ -
खा ली मूली काल ने, सुधरा पाचन-तंत्र ।
जगह जगह यमदूत कुल, मारें मारक मन्त्र ।
मारें मारक मन्त्र, महामारी मंहगाई ।
नित-प्रति एक्सीडेंट, मार मौसम की खाई ।
इत नक्सल के वार, उधर आतंक वसूली ।
जगह जगह विस्फोट, मारता खाली-मूली ॥
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नहीं हिन्दु में ताब, पटे ना मोदी सौदा-
सौदायिक बिन व्याहता, करने चली सिंगार |
गहने पहने मांग कर, लेती कई उधार | (भाजपा की ओर इशारा) लेती कई उधार, खफा पटना पटनायक | खानम खाए खार, करे खारिज खलनायक | (जदयू, बीजद , मुस्लिम)
हौदा हाथी रहित, साइकिल बिना घरौंदा |
नहीं हिन्दु में ताब, पटे ना मोदी सौदा || (माया-मुलायम)
सौदायिक= स्त्री-धन
नइखे= नहीं
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पिस्सू मच्छर तेज हैं, देते खटमल भेज ।
जगह जगह कब्जा करें, खटिया कुर्सी मेज ।
खटिया कुर्सी मेज, कान पर जूँ ना रेंगे ।
देते कड़े बयान, किन्तु विस्फोट सहेंगे ।
चीलर रक्त सफ़ेद, लाल तो बहे सड़क पर।
करके धूम-धड़ाक, चूसते पिस्सू मच्छर।।
मसले सुलझाने चला, आतंकी घुसपैठ ।
खटमल स्लीपर सेल सम, रेकी रेका ऐंठ ।
रेकी रेका ऐंठ, मुहैया असल असलहा ।
विकट सीरियल ब्लास्ट, लाश पर लगे कहकहा ।
सत्ता है असहाय, बढ़ें नित बर्बर नस्लें ।
मसले होते हिंस्र, जाय ना खटमल मसले ।
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दुनिया प्यार के साथ मिलजुल कर रहने की जगह है। सब परस्पर सहयोग के साथ रहें। इसी व्यवस्था के लिए राजनीति और शासन की व्यवस्था समाज में विकसित की गई लेकिन दुनिया में प्यार बांटने वालों के साथ नफ़रत फैलाने वाले लोग भी मौजूद है और ब्लॉग जगत भी ज़ाहिरी दुनिया का ही अक्स है। काश ये लोग जानते कि
ReplyDeleteसब एक परमेश्वर की रचना और एक मनु/आदम की संतान हैं
ये सत्ता के मशीनी पुर्जे दर्द बढ़ाने जाते हैं या कम करने .यदि दर्द कम ही करना है तो सूचना प्रोद्योगिकी के युग में दूर से ही कह दें -हमें अफ़सोस है आप हमारी निष्क्रियता से मारे गए .शायद आपकी इस स्वीकारोक्ति से रिश्तेदारों नातों का दर्द कुछ कम ज़रूर हो .
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