Tuesday 12 February 2013

खड़ा ताश का महल, चढ़े इक्के(A) पे सत्ता (7)-


 

नवगीत,

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया  

 दिग-दिगंत बौराया | मादक  बसंत आया ||
तोते सदा पुकारे |  मैना मन दुत्कारे ||
काली कोयल कूके | लोग होलिका फूंके ||
सरसों पीली फूली | शीत बची मामूली  ||
भौरां मद्धिम गाये  | तितली मन बहलाए ||
भाग्य हमारे जागे | गर्म वस्त्र सब त्यागे || 
वेला वेलंटाइनी,  नौ सौ पापड़ बेल ।
वेळी ढूँढी इक बला, बल्ले ठेलम-ठेल । 
Valentine's Day: Bajrang Dal apeals youths not to indulge in indecent acts in public places
बल्ले ठेलम-ठेल, बगीचे दो तन बैठे ।
बजरंगी के नाम, पहरुवे तन-तन ऐंठे।

ढर्रा छींटा-मार, हुवे न कभी दुकेला ।
भंडे खाए खार,  भाड़ते प्यारी वेला ।।





 लाली मेरे लाल की, यह इटली सरकार ।
नहीं पचा पाई कुटिल, मामा को धिक्कार । 
मामा को धिक्कार, दुष्ट-त्यागी को खोजो ।
चापर चॉपर करे, पकड़ लो शामिल जो जो ।
करूँ नहीं विश्वास, तेज इसकी बिकवाली ।
हैं चुनाव अब पास, मांगते लोग दलाली ।। 



 रोज रोज के चोचले, रोज दिया उस रोज |
रोमांचित विनिमय बदन, लेकिन बाकी डोज |

लेकिन बाकी डोज, छुई उंगलियां परस्पर |
चाकलेट का स्वाद, तृप्त कर जाता अन्तर |

वायदा कारोबार, किन्तु तब हद हो जाती |
ज्यों आलिंगन बद्ध,  टीम बजरंग सताती ||


मकरी अकड़ी माँगती, बन्दर का दिल मीठ |
घात कर रहा दोस्त से, मगरमच्छ वह ढीठ | 

मगरमच्छ वह ढीठ, पीठ पर है बैठाता |
कपि खतरा पहचान, उसे फिर से बहकाता |

किन्तु विदेशी नस्ल, अक्ल मकरी बंटवाये |
मगर-मिनिस्टर नित्य, कलेजा लेकर आये ||


ज़िन्दगी जीने के बहाने  


Photo: मंगलवार, 12 फरवरी 2013

"दोहे-बदल रहे परिवेश" 

सबसे अच्छा विश्व में, अपना भारत देश।
किन्तु यहाँ भी मनचले, बदल रहे परिवेश।१।

कामुकता-अश्लीलता, बढ़ती जग में आज।
इसके ही कारण हुआ, दूषित देश समाज।२।

ढोंग-दिखावा दिवस हैं, पश्चिम के सब वार।
रोज बदलते है जहाँ, सबके ही दिलदार।३।

एक दिवस की प्रतिज्ञा, एक दिवस का प्यार।
एक दिवस का चूमना, पश्चिम के किरदार।४।

प्रतिदिन करते क्यों नहीं, प्रेम-प्रीत-व्यवहार।
एक दिवस के लिए क्यों, चुम्बन का व्यापार।५।

http://uchcharan.blogspot.in/2013/02/blog-post_12.html
बहा बहाने ले गए, आना जाना तेज |
अश्रु-बहाने लग गए, रविकर रखे सहेज |


रविकर रखे सहेज, निशाने चूक रहे हैं |
धुँध-लाया परिदृश्य, शब्द भी मूक रहे हैं |


बेलेन्टाइन आज, मनाने के क्या माने |
बदले हैं अंदाज, गए वे बहा बहाने ||

रानी(Q)नहला(9)जैक(J), देख छक्का(6) मन बहला-



 सत्तावन जो कर रहे,  जोड़ा बावन ताश ।
चौका (4) दे जन-पथ महल, *अट्ठा(8) पट्ठा पास । 

सत्तावन=ग्रुप ऑफ़ मिनिस--              अट्ठा= कूट-नैतिक सलाह---
पट्ठा =  जवान-लड़का              सिंह इज किंग 
अट्ठा(8) पट्ठा पास, किंग(K) पंजा(5) से दहला(10)
रानी(Q)नहला(9)जैक(J), देख 
छक्का(6) मन बहला ।   


नहला=ताजपोशी के लिए नहलाना 
  दुक्की(2) तिग्गी(3)ट्रम्प, हिला ना *पाया-पत्ता

खड़ा ताश का महल, चढ़े इक्के(A) पे सत्ता (7)।।


वेलेण्टाइन डे: संस्कृति रक्षा का पुनीत प्रतीक्षित 

अवसर
 

हर दिन तो अंग्रेजियत, मूक फिल्म अविराम |
देह-यष्टि मकु उपकरण, काम काम से काम |


काम काम से काम, मदन दन दना घूमता |
करता काम तमाम, मूर्त मद चित्र चूमता |


थैंक्स गॉड वन वीक, मौज मारे दिल छिन-छिन |
चाकलेट से रोज, प्रतिज्ञा हग दे हर दिन ||  

शुभकामना असीम, ब्लॉग पर पाऊँ माँ सी-

आदरणीय रश्मि प्रभा जी का जन्‍मदिन .... !!!!


सदा 

 SADA  



माँ सी पावन प्रभा यह, दे सँवार संसार |
शब्दों का रिश्ता मधुर, भावों की मनुहार |

भावों की मनुहार, रश्मियाँ शुद्ध कर रहीं |
नीति नियम आदर्श, देह में रोज भर रहीं |

रहे सदा ही स्वस्थ, अनुग्रह कर अविनाशी |
शुभकामना असीम, ब्लॉग पर पाऊँ माँ सी ||

4 comments:

  1. अपने ब्‍लॉग को यहॉं शरीक देखकर रोमांचित हूँ। कोटिश: धन्‍यवाद और आभार।

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  2. आदरणीय गुरुदेव श्री प्रणाम, यहाँ आकर और पाठ करके ह्रदय को अपार शांति एवं सुख की अनुभूति होती है. बहुत ही सुन्दर रचनाएँ हार्दिक बधाई स्वीकारें.

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  3. अट्ठा(8) पट्ठा पास, किंग(K) पंजा(5) से दहला(10)।
    रानी(Q)नहला(9)जैक(J), देख छक्का(6) मन बहला ।

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