गमन अनुगमन मन सुमन, मनसाता मनसेधु |
सुम-सुमनामुख सुमिरते, मिले पुन्य मकु मेधु || |
सर्ग-2
भाग-1
सारे देवी-देवता, चिंतित रही मनाय |
अनमयस्क फिरती रहे, बैठे मन्दिर जाय ||
जीवमातृका वन्दना, माता के सम पाल |
जीवमंदिरों को सुगढ़, रखती रही संभाल ||
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प्रवाह
वादी प्रतिवादी बने, बजरंगी को मोह |
बेली अलबेली मिली, जाय विराजे खोह |
जाय विराजे खोह, सोहता वेलेंटाइन |
चाकलेट डे रोज, चले कुछ वाइन-स्वाइन |
सनातनी उपदेश, देश में हुई मुनादी |
शादी की क्या फ़िक्र, मधुर यह मिलन सुवादी ||
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कमलेश भगवती प्रसाद वर्मा
चौदह "चौ-पाया" चपल, चौकठ चौकड़ छोड़ ।
दहकत दैया देह दुइ, दहड़ दहड़ दह जोड़ | दहड़ दहड़ दह जोड़, फरकती फर फर फर फर | *वरदा वर वरणीय, वरी क्या करता रविकर | वेलेंटाइन गुरू, आप की बड़ी अनुग्रह | इसीलिए फरवरी, चुनी शुभ चौदस चौदह || *कन्या |
बढिया लिंक लिक्खाड
ReplyDeleteबहुत ही अच्छे लिंक्स संयोजित किये हैं आपने ...
ReplyDeleteबसंत पंचमी की अनंत शुभकामनाएं
गमन अनुगमन मन सुमन, मनसाता मनसेधु |
ReplyDeleteसुम-सुमनामुख सुमिरते, मिले पुन्य मकु मेधु ||
recent post: बसंती रंग छा गया
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (16-02-2013) के चर्चा मंच-1157 (बिना किसी को ख़बर किये) पर भी होगी!
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कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि चर्चा में स्थान पाने वाले ब्लॉगर्स को मैं सूचना क्यों भेजता हूँ कि उनकी प्रविष्टि की चर्चा चर्चा मंच पर है। लेकिन तभी अन्तर्मन से आवाज आती है कि मैं जो कुछ कर रहा हूँ वह सही कर रहा हूँ। क्योंकि इसका एक कारण तो यह है कि इससे लिंक सत्यापित हो जाते हैं और दूसरा कारण यह है कि किसी पत्रिका या साइट पर यदि किसी का लिंक लिया जाता है उसको सूचित करना व्यवस्थापक का कर्तव्य होता है।
सादर...!
बसन्त पञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
सूचनार्थ!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर प्रस्तुति ,बसंत पंचमी की शुभकामनाएं
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ReplyDeleteजय जय माता भारती ,जय -जय पूज्य गणेश ।
ReplyDeleteविद्या - बुद्धी दीजिये ,शुभ - गुण श्री प्रथमेश ।
शुभ - गुण श्री प्रथमेश ,क्लेश काटो महारानी।
ब्रम्हा विष्णु महेश ,करे वंदन ऋषि ग्यानी ।
करें सतत प्रणाम ,व्याप्त कण कण में माता ।
करिए भक्ति प्रदान ,नमत सेवक गुण गाता ।
मेरे लिखे का यहॉं शामिल कर आपने मेरे सुख को जो विस्तार दिया, वह अतिरिक्त सुखदायी है। आभारी हूँ।
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