पीएम पद की मिठाई खाने की लालसा : दैनिक जनवाणी 26 फरवरी 2013 स्तंभ 'तीखी नज़र' में प्रकाशित
मायावी दिल्ली किला, जिला-जीत जम जाँय ।
जिला मिला मुर्दा रखें, मुद्दा दें भटकाय ।
मुद्दा दें भटकाय, नजर तख्ते-ताउस पर ।
वोट बैंक का खेल, नजर सबकी हाउस पर ।
पटना पटनाएक, जया ममता बहकाया ।
चूक रहे चौहान, चूकते मोदी माया ॥
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(विष्णु बैरागी)
एकोऽहम्
सौदायिक बिन व्याहता, करने चली सिंगार |
गहने पहने मांग कर, लेती कई उधार | (भाजपा की ओर इशारा) लेती कई उधार, खफा पटना पटनायक | खानम खाए खार, करे खारिज खलनायक | (जदयू, बीजद , मुस्लिम)
हौदा हाथी रहित, साइकिल बिना घरौंदा |
नहीं हिन्दु में ताब, पटे ना मोदी सौदा || (माया-मुलायम)
सौदायिक= स्त्री-धन
नइखे= नहीं
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गोरु गोरस गोरसी, गौरैया गोराटि ।
गो गोबर गोसा गणित, गोशाला परिपाटि । गोशाला परिपाटि, पञ्च पनघट पगडंडी । पीपल पलथी पाग, कहाँ सप्ताहिक मंडी । गाँव गाँव में जंग, जमीं जर जल्पक जोरू । भिन्न भिन्न दल हाँक, चराते रहते गोरु ॥
गोसा=गोइंठा / उपला
गोरसी = अंगीठी
गोरु = जानवर
गोराटि = मैना
पाग=पगड़ी
जलपक =बकवादी
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"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक-23
सुंदरी सवैया
बलुई कलकी ललकी पिलकी जल-ओढ़ सजी लटरा मुलतानी ।
मकु शुष्क मिले कुछ गील सने तल कीचड़ पर्वत धुर पठरानी । कुल जीव बने सिर धूल चढ़े, शुभ *पीठ तजे, मनुवा मनमानी । मटियावत नीति मिटावत मीत, हुआ *मटिया नहिं पावत पानी ||
*देवस्थान / आसन *लाश
कुंडलिया
गीली ठंडी शुष्क मकु, मिटटी *मिट्ठी मीठ |
मिटटी के पुतले समझ, मिटटी ही शुभ पीठ | मिटटी ही शुभ पीठ, ढीठ काया की गड़बड़ | मृदा चिकित्सा मूल, करो ना किंचित हड़-बड़ | त्वचा दोष ज्वर दर्द, देह पड़ जाए पीली | मिटटी विविध प्रकार, लगा दे पट्टी गीली || |
बहुत खूब बहुत अच्छे लिंक दिए है आपने
ReplyDeleteमेरी नई रचना
ये कैसी मोहब्बत है
खुशबू
Dhanywaad
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है | अन्नंद आ गया पढ़कर | बधाई |
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
वाह जी वाह ... आपका अनूठा रचना परिचय ... बहुत भाया ...
ReplyDeleteगाँव गाँव में जंग, जमीं जर जल्पक जोरू ।
ReplyDeleteभिन्न भिन्न दल हाँक, चराते रहते गोरु ॥
Sateek !