प्यार के इज़हार के लिए १ ४ फरवरी ही क्यों .....????
कमलेश भगवती प्रसाद वर्मा
चौदह "चौ-पाया" चपल, चौकठ चौकड़ छोड़ ।
दहकत दैया देह दुइ, दहड़ दहड़ दह जोड़ | दहड़ दहड़ दह जोड़, फरकती फर फर फर फर | *वरदा वर वरणीय, वरी क्या करता रविकर | वेलेंटाइन गुरू, आप की बड़ी अनुग्रह | इसीलिए फरवरी, चुनी शुभ चौदस चौदह || *कन्या |
मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सगी बहन : भगवती शांता -7
सर्ग-2
भाग-1
सारे देवी-देवता, चिंतित रही मनाय |
अनमयस्क फिरती रहे, बैठे मन्दिर जाय ||
जीवमातृका वन्दना, माता के सम पाल |
जीवमंदिरों को सुगढ़, रखती रही संभाल ||
Rajendra Kumar
मिटटी डालो भूल पर, मेहनत हुई वसूल ।
हाथों पर सरसों जमे, खिलें धूल के फूल ।
खिलें धूल के फूल, मूल में प्यार निहित है ।
तेरे सत्य उसूल, जगत को सर्वविदित है ।
कहीं नजर ना लगे, लगे मस्तक पर दीठी ।
बहुत जरुरी बीज, मिले उप्जाऊ मिटटी ।।
|
प्रवाह
वादी प्रतिवादी बने, बजरंगी को मोह |
बेली अलबेली मिली, जाय विराजे खोह |
जाय विराजे खोह, सोहता वेलेंटाइन |
चाकलेट डे रोज, चले कुछ वाइन-स्वाइन |
सनातनी उपदेश, देश में हुई मुनादी |
शादी की क्या फ़िक्र, मधुर यह मिलन सुवादी ||
बारवां ख़त .......Valentine special..........sushma 'आहुति'
'आहुति'
नखत गगन पर दिख रहे, गुजर गई बरसात | लिखी आज ही सात-ख़त, खता कर रही बात | खता कर रही बात, लिखाती ख़त ही जाती | बीते जब भी रात, बुझे आशा की बाती | आओ हे घनश्याम, चुके अब स्याही रविकर | हुई अनोखी भोर, चुके अब नखत गगन पर ||
|
आदरणीय गुरुदेव श्री प्रणाम, एक से बढकर एक कुण्डलिया रची हैं,मज़ा आ गया लाजवाब प्रस्तुति ढेरों बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteलाजवाब प्रस्तुति !!
ReplyDeleteप्रेमी पागल हो रहे ,करते नहीं विचार।
ReplyDeleteवैलेंटाइन का चढ़ा ,चारो तरफ बुखार ।
चारो तरफ बुखार ,खार खाते दिन दूजे ।
कैसा ये व्यवहार ,प्यार में राह ना सूझे ।
कहते कवि लोकेश ,शेष है जीवन सारा।
करो सुगढ़ व्यवहार, प्यार अक्षुण हो यारा ।
दिन गुजरने दो फिर जोड़ेंगे हिसाब कि
ReplyDeleteकिस-किस को किस किया और
कौन सी मिस को मिस किया।
अपुन के लिए तो जो दिन एक फाइन डे है,
वही वेलेंटाइन डे है अन्यथा वाइन डे है। :)
बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteप्रेमदिवस की बधाई हो!
चौदह "चौ-पाया" चपल, चौकठ चौकड़ छोड़ ।
ReplyDeleteदहकत दैया देह दुइ, दहड़ दहड़ दह जोड़ |
दहड़ दहड़ दह जोड़, फरकती फर फर फर फर |
*वरदा वर वरणीय, वरी क्या करता रविकर |
वेलेंटाइन गुरू, आप की बड़ी अनुग्रह |
इसीलिए फरवरी, चुनी शुभ चौदस चौदह ||
बहुत शानदार उम्दा प्रस्तुति,,,
recent post: बसंती रंग छा गया
चौदह "चौ-पाया" चपल, चौकठ चौकड़ छोड़ ।
ReplyDeleteदहकत दैया देह दुइ, दहड़ दहड़ दह जोड़ |
दहड़ दहड़ दह जोड़, फरकती फर फर फर फर |
*वरदा वर वरणीय, वरी क्या करता रविकर |
वेलेंटाइन गुरू, आप की बड़ी अनुग्रह |
इसीलिए फरवरी, चुनी शुभ चौदस चौदह ||
बढ़िया प्रस्तुति .
ReplyDeleteनखत गगन पर दिख रहे, गुजर गई बरसात |
लिखी आज ही सात-ख़त, खता कर रही बात |
खता कर रही बात, लिखाती ख़त ही जाती |
बीते जब भी रात, बुझे आशा की बाती |
आओ हे घनश्याम, चुके अब स्याही रविकर |
हुई अनोखी भोर, चुके अब नखत गगन पर ||
लिखता लिंक लिख्खाड़ प्रेम की नित्य ही पाती .