Yashwant Mathur
होता हूँ नि:शब्द मैं, सुन बातें यशवन्त |
छोटी छोटी पंक्तियाँ, भरते भाव अनन्त | भरते भाव अनन्त, प्यार का भरा समन्दर | करता रविकर पैठ, उतरकर पूरा अन्दर | प्रियवर है आशीष, लगाओ तुम भी गोता | प्यार प्यार ही प्यार, सत्य यह शाश्वत होता || |
बसंत पंचमी हाइकु
sushila
राज चतुर्दिक काम का, हर वीथी गुलजार |
नित बढ़ता सौन्दर्य है, पसरे प्यार अपार | पसरे प्यार अपार, पढ़ी जीवन्त पंक्तियाँ | हर्षित यह संसार, काम की बढ़ी शक्तियां | बस में नहीं बसंत, करे काया को यह दिक् | उड़ता मगन अनंत, दिखे ऋतुराज चतुर्दिक || |
Tushar Raj Rastogi
सीधी साधी पंक्तियाँ, भाव दिखे हैं गूढ़ |
साधुवाद स्वीकारिये, देता रविकर मूढ़ | |
बारवां ख़त .......Valentine special..........
sushma 'आहुति'
'आहुति'
नखत गगन पर दिख रहे, गुजर गई बरसात |
लिखी आज ही सात-ख़त, खता कर रही बात |
खता कर रही बात, लिखाती ख़त ही जाती |
बीते जब भी रात, बुझे आशा की बाती |
आओ हे घनश्याम, चुके अब स्याही रविकर |
हुई अनोखी भोर, चुके अब नखत गगन पर ||
नखत गगन पर दिख रहे, गुजर गई बरसात |
लिखी आज ही सात-ख़त, खता कर रही बात |
खता कर रही बात, लिखाती ख़त ही जाती |
बीते जब भी रात, बुझे आशा की बाती |
आओ हे घनश्याम, चुके अब स्याही रविकर |
हुई अनोखी भोर, चुके अब नखत गगन पर ||
लो आया प्यार का मौसम, गुले गुलज़ार का मौसम - अविनाश वाचस्पति
भैया मारे प्यार के, 'हग' मारे इंसान ।
चाकलेट दे रोज डे, देता वचन बयान ।
देता वचन बयान, मुहब्बत ना बलात हो ।
दिखे प्यार ही प्यार, प्रेममय मुलाक़ात हो ।
कोना कोनी पार्क, चलो वन उपवन सैंया ।
जहाँ मिले ना शत्रु, नहीं बजरंगी भैया ।
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नीतीश राज में मीडिया का कत्ल !
महेन्द्र श्रीवास्तव
जू ना रेंगे कान पर, विगड़ रही सरकार ।
जैसी भी हो मीडिया, है इसकी दरकार ।
है इसकी दरकार, व्यर्थ ना इसे दबाएँ ।
विज्ञापन सरकार, नहीं देकर ललचाये ।
रक्खो फर्क नितीश, कहें क्या आज काटजू ।
आँख कान ले खोल, रेंगने दे ये जू जू ।
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बरगद का बूढ़ा पेड़
KAVYA SUDHA (काव्य सुधा)
गदगद बरगद गुदगुदा, हरसाए संसार |
कई शुभेच्छा का वहन, करता निश्छल भार |
करता निश्छल भार, बांटता प्राणवायु नित |
झुकते कंधे जाँय, जिए पर सदा लोक हित |
कैसा मानव स्वार्थ, पार कर जाता हर हद |
इक लोटा जल-ढार, होय बरगद भी गदगद
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वेला वेलंटाइनी, नौ सौ पापड़ बेल ।
वेळी ढूँढी इक बला, बल्ले ठेलम-ठेल ।
बल्ले ठेलम-ठेल, बगीचे दो तन बैठे ।
बजरंगी के नाम, पहरुवे तन-तन ऐंठे।
ढर्रा छींटा-मार, हुवे न कभी दुकेला ।
भंडे खाए खार, भाड़ते प्यारी वेला ।।
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रोज रोज के चोचले, रोज दिया उस रोज | रोमांचित विनिमय बदन, लेकिन बाकी डोज | लेकिन बाकी डोज, छुई उंगलियां परस्पर | चाकलेट का स्वाद, तृप्त कर जाता अन्तर | वायदा कारोबार, किन्तु तब हद हो जाती | ज्यों आलिंगन बद्ध, टीम बजरंग सताती || |
बहा बहाने ले गए, आना जाना तेज |
अश्रु-बहाने लग गए, रविकर रखे सहेज | रविकर रखे सहेज, निशाने चूक रहे हैं | धुँध-लाया परिदृश्य, शब्द भी मूक रहे हैं | बेलेन्टाइन आज, मनाने के क्या माने | बदले हैं अंदाज, गए वे बहा बहाने || |
ऋतुराज बसंतRajesh kumari फूली फूली घूमती, एक माह से शीत | फूली सरसों तभी से, फैले जग में प्रीत | फैले जग में प्रीत, मधुर रस पीले पीले | छाई नई उमंग, जिंदगी जी ले जीले | पीले पीले फूल, तितलियाँ रस्ता भूली | भौरें मस्त अनंग, तितलियाँ रति सी फूली || वेलेण्टाइन डे: संस्कृति रक्षा का पुनीत प्रतीक्षित अवसर हर दिन तो अंग्रेजियत, मूक फिल्म अविराम | देह-यष्टि मकु उपकरण, काम काम से काम | काम काम से काम, मदन दन दना घूमता | करता काम तमाम, मूर्त मद चित्र चूमता | थैंक्स गॉड वन वीक, मौज मारे दिल छिन-छिन | चाकलेट से रोज, प्रतिज्ञा हग दे हर दिन || |
बसंत कि बहार बिखेरता सुन्दर लिंकों से सजा लिंक लिखाड़ !!
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छे लिंक्स संयोजित किये हैं आपने आभार
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद अंकल!
ReplyDeleteसादर
बढिया लिंक्स
ReplyDeleteमुझे स्थान देने के लिए आभार
'आहुति'
ReplyDeleteनखत गगन पर दिख रहे, गुजर गई बरसात |
लिखी आज ही सात-ख़त, खता कर रही बात |
खता कर रही बात, लिखाती ख़त ही जाती |
बीते जब भी रात, बुझे आशा की बाती |
आओ हे घनश्याम, चुके अब स्याही रविकर |
हुई अनोखी भोर, चुके अब नखत गगन पर ||
बहुत बढ़िया प्रयोग 'चुके अब नखत गगन पर 'मुबारक प्रेम दिवस ,प्रेम ब्लोगियों का .ब्लागरियों का .
ले देके एक ठौ तो दिन हैं मिलन मनाने का बाकी दिन तो खाप के हैं .बढिया तंज कलमुँहों पर .
ReplyDeleteहर दिन तो अंग्रेजियत, मूक फिल्म अविराम |
देह-यष्टि मकु उपकरण, काम काम से काम |
काम काम से काम, मदन दन दना घूमता |
करता काम तमाम, मूर्त मद चित्र चूमता |
थैंक्स गॉड वन वीक, मौज मारे दिल छिन-छिन |
चाकलेट से रोज, प्रतिज्ञा हग दे हर दिन ||
फूली फूली घूमती, एक माह से शीत |
ReplyDeleteफूली सरसों तभी से, फैले जग में प्रीत |
फैले जग में प्रीत, मधुर रस पीले पीले |
छाई नई उमंग, जिंदगी जी ले जीले |
पीले पीले फूल, तितलियाँ रस्ता भूली |
भौरें मस्त अनंग, तितलियाँ रति सी फूली ||
वसंत का इस से सुन्दर चित्रण और क्या होगा .