"कैसी है ये आवाजाही" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)बालू शाही है अगर, तो निकलेगा तेल | आम रेत में क्या धरा, चढ़ टिब्बे पर खेल | चढ़ टिब्बे पर खेल, खिलाती नौकर-शाही | मँहगाई की आँच, बड़ी ही दारुण दाही | लूट रहे हैं धन धान्य, होय हर जगह उगाही | आम चाटते नमक, ख़ास की बालूशाही || |
लगा ले मीडिया अटकल, बढ़े टी आर पी चैनल ।
जरा आतंक फैलाओ, दिखाओ तो तनिक छल बल ।। फटे बम लोग मर जाएँ, भुनायें चीख सारे दल । धमाके की खबर तो थी, कहे दिल्ली बताया कल ॥ हुआ है खून सादा जब, नहीं कोई दिखे खटमल । घुटाले रोज हो जाते, मिले कोई नहीं जिंदल ।। कहीं दोषी बचें ना छल, अगर सत्ता करे बल-बल । नहीं आश्वस्त हो जाना, नहीं होनी कहीं हलचल ॥ जवानी धर्म से भटके, हुआ वह शर्तिया "भटकल" । मरे जब लोग मेले में, उड़ाओ रेल मत नक्सल|| |
न इर्द-गिर्द तांकिये, अपने गिरेवाँ में झाँकिये !
पी.सी.गोदियाल "परचेत"
पड़े लोथड़े माँस के, खाते पका कबाब | खाते पका कबाब, पाक की कारस्तानी | जब तक हाफिज साब, कहेंगे हिन्दुस्तानी | तब तक सहना जुल्म, मरेंगे यूं ही भोले | सत्ता तो है मस्त, घुटाले कर कर डोले ||| |
ख्वाब
सुमन कपूर 'मीत'
वाह वाह क्या बात है, कुछ सपने रंगीन । देखेंगे ये नयन भी, होकर के लवलीन । होकर के लवलीन, सखी पर बात बताना । इतना बढ़िया कथ्य, शिल्प सुन्दर कह जाना । आया कैसे भाव, अभी तो सु-प्रभात है । इन्तजार आनंद, बड़ी ही मधुर बात है । । |
पिलपिलाया गूदा है ।
छी बड़ा बेहूदा है । ।
मर रही पब्लिक तो क्या -
आँख दोनों मूँदा है ॥
जा कफ़न ले आ पुरकस
इक फिदाइन कूदा है । |
कल गुरू को मूँदा था
आज चेलों ने रूँदा है ॥
पाक में करता अनशन-
मुल्क भेजा फालूदा है ॥
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सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआभार!
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बालूशाही खा रहे, कारा में गद्दार।
शायद इनसे हैं मिले, कुछ कौमी मक्कार।।
वाह! ये भटकल वाली रचना मुझे बहुत अच्छी लगी. माँ बाप ने नाम ही जिसका भटकल रखा हो , उसे तो भटकना ही, धर्म से, देश से और सबसे बढ़कर मानवता से . बधाई आपको.
ReplyDeleteसादर
नीरज 'नीर'
बेहतरीन प्रस्तुति.
ReplyDeleteआतंकवाद से बहुत से लोगों के आर्थिक और राजनैतिक उददेश्य पूरे होते हैं और हो रहे हैं। आतंकी आतंक न भी करें तो भी उनके नाम से ये दल करते रहेंगे।
ReplyDeleteआतंकवादी घटनाओं के बाद किसी विशेष राजनीतिक पार्टी के लिए वोटों का ध्रुवीकरण भी होता है। आतंकवादी घटनाएं कांग्रेस को विफल साबित करती हैं और केन्द्र में दूसरे दल के आने के लिए रास्ता हमवार करती हैं। दूसरे दल के केन्द्र में आने के लिए रास्ता धर्म विशेष के लोग क्यों हमवार करेंगे ?
♥ अपना रास्ता हमवार करने के लिए यहां कोई कुछ भी कर सकता है क्योंकि प्यार और जंग में सब कुछ किया ही जाता है।
आभार रविकर जी , व्यस्तता की वजह से मूवमेंट सीमित थी इसलिए इधर आना कम ही हुआ।
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