बरगद का बूढ़ा पेड़
KAVYA SUDHA (काव्य सुधा)
गदगद बरगद गुदगुदा, हरसाए संसार |
कई शुभेच्छा का वहन, करता निश्छल भार |
करता निश्छल भार, बांटता प्राणवायु नित |
झुकते कंधे जाँय, जिए पर सदा लोक हित |
कैसा मानव स्वार्थ, पार कर जाता हर हद |
इक लोटा जल-ढार, होय बरगद भी गदगद
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वेला वेलंटाइनी, नौ सौ पापड़ बेल ।
वेळी ढूँढी इक बला, बल्ले ठेलम-ठेल ।
बल्ले ठेलम-ठेल, बगीचे दो तन बैठे ।
बजरंगी के नाम, पहरुवे तन-तन ऐंठे।
ढर्रा छींटा-मार, हुवे न कभी दुकेला ।
भंडे खाए खार, भाड़ते प्यारी वेला ।।
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रोज रोज के चोचले, रोज दिया उस रोज | रोमांचित विनिमय बदन, लेकिन बाकी डोज | लेकिन बाकी डोज, छुई उंगलियां परस्पर | चाकलेट का स्वाद, तृप्त कर जाता अन्तर | वायदा कारोबार, किन्तु तब हद हो जाती | ज्यों आलिंगन बद्ध, टीम बजरंग सताती || |
बहा बहाने ले गए, आना जाना तेज |
अश्रु-बहाने लग गए, रविकर रखे सहेज | रविकर रखे सहेज, निशाने चूक रहे हैं | धुँध-लाया परिदृश्य, शब्द भी मूक रहे हैं | बेलेन्टाइन आज, मनाने के क्या माने | बदले हैं अंदाज, गए वे बहा बहाने || |
वेलेण्टाइन डे: संस्कृति रक्षा का पुनीत प्रतीक्षित अवसर हर दिन तो अंग्रेजियत, मूक फिल्म अविराम | देह-यष्टि मकु उपकरण, काम काम से काम | काम काम से काम, मदन दन दना घूमता | करता काम तमाम, मूर्त मद चित्र चूमता | थैंक्स गॉड वन वीक, मौज मारे दिल छिन-छिन | चाकलेट से रोज, प्रतिज्ञा हग दे हर दिन || |
सुन्दर लिंक !!
ReplyDeleteबहुत उम्दा तारीके से प्रतिक्रया दी है आपने इन लिंकों पर !
ReplyDeleteवाह रविकर भाई जी क्या दिल की गहराइयों से प्रतिक्रिया स्वरूप कुंडली प्रस्तुत की है हार्दिक बधाई आपको
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ReplyDeleteव्यापक फलक की सुन्दर प्रस्तुति .
बहुत बढ़िया चुने हुए लिनक्स
ReplyDelete.सराहनीय अभिव्यक्ति मीडियाई वेलेंटाइन तेजाबी गुलाब आप भी जाने संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करें कैग
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