फिल्म इत्ती ही बची है
सबके अपने संगठन, हलवाई हज्जाम |
नौकर अफसर जातिगत, धर्म कर्मगत नाम | धर्म कर्मगत नाम, करें दंगा आन्दोलन | दिखे फिल्म में बुरा, करें पिक्चर में गंजन | डाकू नेता चोर, लुटेरे भी जागे हैं | प्रोड्यूसर जा जाग, बुरे दिन ही आगे हैं | |
बाजारू माहौल है, सड़ा-गला सब बेंच |
बेन्च-मार्क होवे अगर, फिर काहे का पेंच |
फिर काहे का पेंच, दुकाने ऊँची ऊँची |
काट खटाखट पेस्ट, मिले ना कहीं समूची |
बेचारा इन्सान, कहाँ पर करे तकाजा |
नाम हिन्दु इस्लाम, बजाये मारू बाजा ||
शहीदों की याद में,
धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
इधर पड़ा धड़ तर-बतर, सिर उत ठोकर खाय । फौजी को क्या चाहिए, मरकर तो तर जाए । मरकर तो तर जाए , करे तर माँ का मुखड़ा । बेहतर सत्ता तरक, तौलता धन से दुखड़ा । पत्नी चेक पा जाय, तुरत मैके जा बसती । इत बूढ़े माँ बाप, मौत इस ओर विहँसती । |
"सुहाना लगता है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
गुरुवर रचते रहे हैं, तरह तरह के गीत |
आज मूड कुछ अलग है, लगे सुहाना मीत | |
Kajal Kumar
बत्तीसी सचमुच गली, इडली डोसा खाय |
गली गली में आ-ग-ले, बेंचे बड़े बनाय |
बेंचे बड़े बनाय, नमक मिर्ची भी डालो |
हथ-गोले सी शक्ल, चलो आसमाँ उठा लो |
पकड़ो पूरी प्लेट, स्वाद लो रत्ती-रत्ती |
मरे धूर्त कै-मरा, हुई गुल थियेटर बत्ती ||
देश छोड़कर भागता ,यह अदना इन्सान | सीन हटाने के लिए , कैसे जाता मान | कैसे जाता मान, सोच में यह परिवर्तन | डाला जोर दबाव, करे या फिर से मंथन | रविकर यह कापुरुष, करे समझौता भारी | बदले अपनी सोच, ख़तम इसकी हुशियारी | |
उल्लूक टाईम्स
गाँधी -नेहरु मस्त कुल, लाल पाल धर बाल । भगत सिंह आजाद भी, रानी झाँसी लाल । रानी झाँसी लाल, स्वर्गवासी हैं सारे । करें वहां पर मौज, यहाँ क्यूँ मित्र पधारें । तूफानों से लाय, यहाँ जो कश्ती बाँधी । भटके बिन पतवार, डुबा दो रविकर गाँधी ।। |
मैं जिन्दगी का साथ निभाता चला गया !
पी.सी.गोदियाल "परचेत"
सारी गलियां बंद हैं, सब कातिक में खेत |
काशी के भैरव विवश, गायब शिव-अनिकेत | गायब शिव-अनिकेत, चलो बैठकी जमायें | रविकर ना परचेत, दिखें हैं दायें-बाएं | जय बाबा की बोल, ढारता पारी पारी | करके बोतल ख़त्म, कहूँगा आइ'म सॉरी || |
सुन्दर प्रस्तुति नसीब सभ्रवाल से प्रेरणा लें भारत से पलायन करने वाले
ReplyDeleteआप भी जाने मानवाधिकार व् कानून :क्या अपराधियों के लिए ही बने हैं ?
गायब शिव-अनिकेत, चलो बैठकी जमायें |
ReplyDeleteरविकर ना परचेत, दिखें हैं दायें-बाएं |
हा-हा-हा-हा दिल बहलाने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है :)
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteआभार
बेहतरीन तंज .
ReplyDeleteपत्नी चेक पा जाय, तुरत मैके जा बसती-
फिल्म इत्ती ही बची है
Cartoon, Hindi Cartoon, Indian Cartoon, Cartoon on Indian Politcs: BAMULAHIJA
सबके अपने संगठन, हलवाई हज्जाम |
नौकर अफसर जातिगत, धर्म कर्मगत नाम |
धर्म कर्मगत नाम, करें दंगा आन्दोलन |
दिखे फिल्म में बुरा, करें पिक्चर में गंजन |
डाकू नेता चोर, लुटेरे भी जागे हैं |
प्रोड्यूसर जा जाग, बुरे दिन ही आगे हैं |
शानदार,बहुत अच्छी प्रस्तुति,,,रचना को साकार करती सुंदर टिप्पणियाँ,,,आभार रविकर जी,,,,
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति रविकर जी ,हमेशा की तरह
ReplyDelete...जय हो !
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
ReplyDeleteआभार के साथ !
सुन्दर सुन्दर लिंक बधाई
ReplyDeleteअतिसुन्दर,सुन्दर लिक समायोजन के लिए सादर आभार।आज के कार्टून भी सार्थक हैं।
ReplyDeletebahut badhiya
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