Wednesday, 27 February 2013

घुटा घुटा ले शीश, किन्तु ना घपला माने-

कहते अपने पक्ष की, पंडित मुल्ला शेख |
लोटपोट होते रहे, शगुन अपशगुन देख |
शगुन अपशगुन देख, बुराई करते खंडित |
अच्छाई इक पाय, करे हैं महिमा मंडित |
अपना अपना धर्म, मर्म में लेकर रहते |
करते किन्तु कुकर्म, पक्ष एकल ही कहते ||



अजीज़ जौनपुरी : वीज़ा संग बोफोर्स भी लाई हूँ

Aziz Jaunpuri 

 खेली खाई खासगी, खाला खालू खान । 
 गालू-ग्वाला तोपची, चॉपर गगन निशान । 
चॉपर गगन निशान, कोयला तेल खदाने । 
घुटा घुटा ले शीश, किन्तु ना घपला माने । 
मारे बम विस्फोट, व्यवस्था पब्लिक डेली । 
अपनी चाची मस्त, खून की होली खेली  ॥ 
 खासगी=निजी, अपना 
गालू=गाल बजाने वाला 

प्लेसमेंट तो फिक्स, क्लास को गोली मारो-

 (दोपहर में एक स्टूडेंट की आवाज पड़ी कान में -चलो यार ढाल पर पप्पियाँ झप्पियाँ मारते हैं-)
 मारो झप्पी ढाल पर, लूटो पप्पी एक । 
लाइफ़ सेट हो जायगी, हो जाए बी टेक । 
हो जाए बी टेक, कहीं री-टेक एक दो । 
बन्दे कैसी फ़िक्र, बड़े ब्रिलिएंट आप हो । 
खुद को ऐसा ढाल, ढाल पर साल गुजारो । 
प्लेसमेंट तो फिक्स,  क्लास को गोली मारो ॥

खंड्पूरी खंडरा ख़तम, खखरा खेले फाग-

खोया खील खमीर खस, खंडसारी खटराग |
खंड्पूरी खंडरा ख़तम, खखरा खेले फाग |
(चन्द्र-विन्दु हैं)

खखरा खेले फाग,  खटा-खट राग रागनी  |
घर घर *रागविवाद, रंग में भंग चाशनी |
*झगडा 
खुद का सारोकार,  पर्व त्यौहार विलोया  ||
ठगे गए हम लोग, देख अपनापन खोया..||
खोया = दूध से तैयार मावा
खील = भुना हुआ धान / लावा
खमीर = मिठाई बनाने में प्रयुक्त होता है-खट्टा पदार्थ खस= सुगंधिंत जड़
खंडसारी = देशी चीनी
खटराग =व्यर्थ की वस्तुवें / सामग्री
खंड्पूरी = मेवा और शक्कर भरी पूरी
खंडरा = बेसन से बना तेल में छाना हुआ पकवान
खखरा = चावल बनाने का बड़ा पात्र / छिद्रमय

नोट: "खट राग" दो बार आया है-

Swasti Medha को Rupal Srivastava की फ़ोटो में अंकित किया गया.Kanpur, Uttar Pradesh में
जुडवा बहने दिख गईं, जुड़े जुड़े से गाल |
घूमें दोनों साथ ही, करती फ़िरे बवाल |
करती फ़िरे बवाल, सदा ही गाल बजाती |
रही बिगड़ती चाल, नहीं पर कभी लजाती |
करिए सर्जन अलग, ढूँढ़ता तब तक बुढवा |
हो जाए शुभ व्याह, जाँय घर दोनों जुडवा ||

बैसवारी baiswari
गोला झोला में रखे , रहे याद ले घूम |
जब तब हौले से अधर, लेते गोले चूम |
लेते गोले चूम, तभी पड़ जाये डंडा|
साथी भाड़े खेल, पडूं ना लेकिन ठंडा |
रुसवाई का खौफ, किन्तु मेरा दिल भोला |
करे नहीं संतोष, गुलाबी होता गोला ||
एक चिड़िया ही तो थी,घायल हुई -सतीश सक्सेना

Satish Saxena 
चिड़ीमार करता रहा, चौचक चुटुक शिकार |
दर्शक ताली पीटते,  है सटीक हर वार |
है सटीक हर वार, आज क्यूँ पीटे माथा |
चिड़ीमार लिख रहे, यहाँ अब दानव गाथा |
अब मारे इंसान, भूलिए बातें पिछड़ी |
अब आगे की सोच, पकाते अपनी खिचड़ी ||

मेरी मोहतरमा !


पी.सी.गोदियाल "परचेत" 

मो को होता मोह है, मोहित अंतर मोम । 
हत री मेरी रमा हत, करे खड़े कुल रोम ।

करे खड़े कुल रोम, भयानक होती छोरी । 

हरे माल असबाब, कराके नंगा झोरी ।

लेकिन फिर भी प्यार, सदा आशीशूँ तो को  । 

अंधड़ से इंसान, बनाती जो है मो को ॥

सदा 

 SADA

दीवारी सरगोशियाँ, सिसक उठी दहलीज । 
बदले रूह लिबास तो, रहे लोग क्यूँ खीज । 

रहे लोग क्यूँ खीज, छीजती जाय जिंदगी । 
हिचकी लेता दर्द, हुई जाए बेअदबी । 
 
रिश्तों को पहचान, नहीं हों रिश्ते भारी । 
मिलें आत्म परमात्म, मनाते चल दीवारी 

Surendra shukla" Bhramar"5 

भारत माता पालती, सच्चे धर्म सपूत |
दुष्टों की खातिर रखे, फंदे भी मजबूत |
फंदे भी मजबूत, मगर वह चच्चा चाची |
चांय-चांय छुछुवाय, घूमती नाची नाची |
प्रावधान का लाभ, यहाँ आतंकी पाता |
सत्ता यह कमजोर, करे क्या भारत माता ||

Asha Saxena 

 Akanksha  

ना ही नीचे धरा पर, ना ऊपर भगवान् |
इनको मिलनी है जगह, ना ही निकले जान |
ना ही निकले जान, जिंदगी भर तडपेंगे |
निश्चय ही हैवान, धरा पर पड़े सड़ेंगे |
पीते रहते खून,  मारकर सज्जन राही |
कौन करेगा माफ़, हुई हर जगह मनाही ||
 

मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सगी बहन : भगवती शांता -10

सर्ग-2 
भाग-4
जन्म-कथा  
सृंगी जन्मकथा

 रिस्य विविन्डक कर रहे, शोध कार्य संपन्न ।

विषय परा-विज्ञान मन, औषधि प्रजनन अन्न ।



विकट तपस्या त्याग तप, इन्द्रासन हिल जाय ।

तभी उर्वशी अप्सरा, ऋषि सम्मुख मुस्काय ।

5 comments:

  1. बहुत ही उम्दा प्रस्तुति,मान्यवर.

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  2. बहुत सुन्दर गुरवर | आपके लिंक्स तो छा गए | अत्यंत विचारणीय और रोचक | आभार

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  3. घुटा घुटा ले शीश, किन्तु ना घपला माने-
    कहते अपने पक्ष की, पंडित मुल्ला शेख |
    लोटपोट होते रहे, शगुन अपशगुन देख |
    शगुन अपशगुन देख, बुराई करते खंडित |
    अच्छाई इक पाय, करे हैं महिमा मंडित |
    अपना अपना धर्म, मर्म में लेकर रहते |
    करते किन्तु कुकर्म, पक्ष एकल ही कहते ||

    बा रहा पढने वांचने योग्य अनुकरणीय भाव .विस्तृत कलेवर लिए है पोस्ट .

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