महाकुंभ में इन दिनों एक पत्थर पूरे मेलें में सुर्खियां बटोर रहा है। इस अद्भुत पत्थर पर प्रभु राम का नाम भी लिखा गया है।
पत्थर पानी में पड़ा, करे तैर अवगाह |
राम-सेतु का अंश सुन, खफा हो रहे शाह | खफा हो रहे शाह, करे पड़ताल मर्म की | बढ़े अंध-विश्वास, हुई है हँसी धर्म की | किन्तु कभी तो अक्ल, दूर दिल से रख रविकर | देख कठौती गंग, लिंग-शिव प्युमिस पत्थर || |
खरी-खरी खोटी-खरी, खरबर खबर खँगाल-
खरी-खरी खोटी-खरी, खरबर खबर खँगाल ।
फरी-फरी फ़रियाँय फिर, घरी-घरी घंटाल ।
घरी-घरी घंटाल, मीडिया माथा-पच्ची ।
सिद्ध होय गर स्वार्थ, दबा दे ख़बरें सच्ची ।
परमारथ का ढोंग, बे-हया देखे खबरी ।
करें शुद्ध व्यवसाय, आपदा क्यूँकर अखरी ??
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मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सगी बहन : भगवती शांता-4भाग-4रावण, कौशल्या और दशरथ
दशरथ-युग में ही हुआ, रावण विकट महान |
पंडित ज्ञानी साहसी, कुल-पुलस्त्य का मान ||1| शिव-चरणों में दे चढ़ा, दसों शीश को काट | फिर भी रावण ना सका, ध्यान कहीं से बाँट । | युक्ति दूसरी कर रहा, मुखड़ों पर मुस्कान । छेड़ी वीणा से मधुर, सामवेद की तान || |
शैतानों तानों नहीं, कामी-कलुषित देह ।
तानों से भी डर मुए, कर नफरत ना नेह ।
कर नफरत ना नेह, नहीं संदेह बकाया ।
बहुत बकाया देश, किन्तु बिल लेकर आया ।
छेड़-छाड़ अपमान, रेप हत्या मर-दानों ।
सजा हुई है फिक्स, मिले फांसी शैतानों ।।
लाठी हत्या कर चुकी, चुकी छुरे की धार |
कट्टा-पिस्टल गन धरो, बम भी हैं बेकार | बम भी हैं बेकार, नया एक अस्त्र जोड़िये | सरेआम कर क़त्ल, देह निर्वस्त्र छोड़िए | नाबालिग ले ढूँढ़, होय बढ़िया कद-काठी | मरवा दे कुल साँप, नहीं टूटेगी लाठी || |
58 .मधु सिंह : छुट्टा सांड़
madhu singh
मुट्ठा मुट्ठा ले भरे, मिला बाप का राज | पब्लिक भूखी मर रही, दाने को मुहताज | दाने को मुहताज, पीठ पर मुहर लगा के | गौ सी सीधी देख, थका दे भगा भगा के | बेहद जालिम सांढ़, घूम दिल्ली में छुट्टा | इधर उधर मुँह मार, खाय ले मुट्ठा मुट्ठा || |
ये आंखें......
रश्मि शर्मा
आँखों का काजल समझ, दिल में रही बसाय | आँखों का काजल चुरा, लेकिन वो ले जाय || |
सुन्दर लिंकों पर बढ़िया काव्यी टिप्पणियाँ!
ReplyDeleteबढ़िया लिंक !!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुती।आपकी टिप्पणियाँ का जबाब नही,सादर।
ReplyDeletesundar prastuti,sandar sanyojan.(hindi me lekhan net ki kathinayee ke chate nahi ho pa raha hai)
ReplyDeleteसुन्दर लिंकों पर बढ़िया काव्यमयी टिप्पणियाँ!
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ReplyDeleteआँखों का काजल समझ, दिल में रही बसाय |
ReplyDeleteआँखों का काजल चुरा, लेकिन वो ले जाय ||
वाह !!! बहुत बढ़िया,,,रविकर जी,,,
RECENT POST बदनसीबी,
वाह वाह रविकर भाई बहुत शानदार प्रतिक्रिया सिर्फ़ मेरी पोस्ट पर नही सभी पर ,हार्दिक बधाई
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अच्छी है आपकी यह दिल्लगी भी, रविकर जी...
आभार आपका...
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