जैसे आलू-चने में, नमक मसाला मिर्च |
नमक-मिर्च लगती बहुत, मकु काटे ज्यूँ *किर्च | *नुकीली छोटी तलवार मकु काटे ज्यूँ *किर्च, सिरजता भूखा बन्दा | भरे हुवे जो पेट , उन्हें तो लगना गन्दा | बेचारा कविराज, विरादर जैसे तैसे | कर लेते बर्दाश्त, पढो रविकर को जैसे || |
मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सगी बहन : भगवती शांता-6
भाग-6
रावण का गुप्तचर दोहे असफल खर की चेष्टा, हो बेहद गमगीन | लंका जाकर के खड़ा, मुखड़ा दुखी मलीन || रावण बरबस पूछता, क्यूँ हो बन्धु उदास | कौशल्या के गर्भ का, करके सत्यानाश || |
सत्ता मद यह हेकड़ी, पैदा कर हालात ।
संवैधानिक पोस्ट को, दिखा रहे औकात ।
दिखा रहे औकात, लगाते मुख पर ताला ।
खुद करते बकवाद, और पाते पद आला ।
मौसेरे यह चोर, बताते सबको धत्ता ।
लुटते रोज करोड़, मौज में छक्का सत्ता ।।
|
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
आलिंगन आँगन लगन, मन लिंगार्चन जाग | आलिंगी आली जले, आग लगाता फाग || आलिंगी = आलिंगन करने वाला आली = सखी |
ये जीवित पुतले नुमा आदमी कौन है ?प्रधानमंत्री है?
पुतले बावन कार्ड के, इक जोकर पा जाय ।
सत्ता-तिर्यल पायके, ठगे कार्य-विधि-न्याय ।
ठगे कार्य-विधि-न्याय, किंग बेगम के गुल्लू ।
दिग्गी छक्के फोर, बनाते घूमे उल्लू ।
काला सा ला देख, करा ले शो तो पगले ।
जीतें इक्के तीन, हार जाएँ सब पुतले ।।
|
धन्य-धन्य आशु कवि, झट बदरी झट घाम
ReplyDeleteकाव्य सृजन तेरे लिए, दो मिनट का काम।
देखा नहीं कवि आप सा धन्य है जीवन आपका,
ReplyDeleteकविता बसी है रोम रोम में नही जबाब है आपका।
बढिया लिंक्स
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDelete
ReplyDeleteकोमल दिल का मालिक रविकर
सबका होता सम्मान यहाँ !
हर कष्ट में साथ खड़े सबके
रविकर से अच्छा कौन यहाँ ??
Bahut badhiya...
ReplyDelete