Blog News: Aryawart के प्राचीन गौरव की वापसी का एक्शन प्लान ?
एकनिष्ठ हों कोशिशें, भाई-चारा शर्त |
भाग्योदय हो देश का, जागे आर्यावर्त |
जागे आर्यावर्त, गर्त में जाय दुश्मनी |
वह हिंसा-आमर्ष, ख़तम हों दुष्ट-अवगुनी |
संविधान ही धर्म, मर्ममय स्वर्ण-पृष्ठ हो |
हो चिंतन एकात्म, कोशिशें एकनिष्ठ हों ||
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लक्ष्मण प्रसाद लाडीवाला
http://www.openbooksonline.com/
आई आई के लिए, कुदरत का आईन | दोनों की गोदी सुखद, कहते रहे जहीन | कहते रहे जहीन, यहाँ आई ले आई | लेकिन आई मित्र, वहाँ निश्चय ले जाई | इन्तजार दो छोड़, व्यवस्था करो ख़ुदाई | ज्यों हर्षित आश्वस्त, देख त्यों हर्षित आई ||
आई=मौत / माता
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राजेश कुमारी http://www.openbooksonline.com/ दादी दीदा में नमी, जमी गमी की बूँद | देख कहानी मार्मिक, लेती आँखें मूँद | लेती आँखें मूँद, व्यस्त दुनिया यह सारी | कभी रही थी धूम, आज दिखती लाचारी | लेकिन जलती ज्योति, ग़मों की हुई मुनादी | लेता चेयर थाम, प्यार से बोले दादी || |
दो दिन बच्चन संग, चलो गुजरात गुजारें -
जा रे रोले दुष्ट-मन, जार जार दो बार ।
जरा-मरा कोई नहीं, दिखे जीव *इकतार ।
दिखे जीव *इकतार, पले हैं भले "गो-धरा" ।
जब उन्नत व्यापार, द्वंद-हथियार भोथरा ।
अव्वल है यह प्रांत, सही नीतियाँ सँवारे ।
दो दिन बच्चन संग, चलो गुजरात गुजारे ।।
*समान
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रिश्वत लिए वगैर... |
हृष्ट-पुष्ट रिश्वत रखे, बम बम रिश्वत खोर |
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कार्टून :- आज चिनार में आग लगी है
बैंड बजा देगी खबर, असर प्रभावी होय |
नई पीढ़ियाँ तोड़ के, देंगी धर्म बिलोय |
देंगी धर्म बिलोय , अगर ऐसा ही होता |
आजादी ले छीन, पुरानी पद्धति ढोता |
करिए क्रमिक सुधार, राय अपनी दे जाओ |
लेकिन हरगिज नहीं, जोर अपना अजमाओ |
नई पीढ़ियाँ तोड़ के, देंगी धर्म बिलोय |
देंगी धर्म बिलोय , अगर ऐसा ही होता |
आजादी ले छीन, पुरानी पद्धति ढोता |
करिए क्रमिक सुधार, राय अपनी दे जाओ |
लेकिन हरगिज नहीं, जोर अपना अजमाओ |
मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सगी बहन : भगवती शांता-5
भाग-5
रावण के क्षत्रप
सोरठा
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वाह गुरुदेव श्री बहुत खूब शानदार प्रस्तुति हार्दिक बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteबहुत२ शुक्रिया जी रविकर जी,आपकी रिश्वत मिल गयी,,
ReplyDeleteRECENT POST: रिश्वत लिए वगैर...
बेहतरीन सर जी ,"लिंक हुआ लिक्खाड़ से ,बदल गयी सब
ReplyDeleteचाल,भाषा आड़ी तिरछी हुयी,कविता लिखे कमाल ..RECENT POST...Budhi Dadi ka aanchal
बहुत बढ़िया जी
ReplyDeleteगुज़ारिश : ''......यह तो मौसम का जादू है मितवा......''
बहुत बढ़िया प्रस्तुति .
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ReplyDeleteरास रंग उत्साह, अवधपुरी में खुब जमा |
उत्सुक देखे राह, कनक महल सजकर खड़ा ||
खूब