Virendra Kumar Sharma
डर लगता सौन्दर्य से, वाह वाह रे मर्द |
हुआ नपुंसक आदमी, गर्मी में भी सर्द | गर्मी में भी सर्द , दर्द करती है देंही | करे बयानी फर्द, बना फिर रहा सनेही | रविकर यह सौन्दर्य, बनाता दुनिया सुन्दर | पूजो तुम पूर्वज, बनो लेकिन मत बन्दर || |
कमल हासन की फिल्म का क्या होगा?
IRFAN
देश छोड़कर भागता ,यह अदना इन्सान | सीन हटाने के लिए , कैसे जाता मान | कैसे जाता मान, सोच में यह परिवर्तन | डाला जोर दबाव, करे या फिर से मंथन | रविकर यह कापुरुष, करे समझौता भारी | बदले अपनी सोच, ख़तम इसकी हुशियारी | |
"दो मुक्तक" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)53. मधु सिंह : रमकली के पेट में
madhu singh
पञ्च करे सरपंच घर, `पार्टी बड़ी विशाल । पैदा होता आज ही, रखनी के घर लाल । रखनी के घर लाल, खाल जिसका वो खींचे । आज जन्मती पूत, वृक्ष बंशी वह सींचे । वह जुल्मी सरपंच, आज सर पर ले घूमे। नालायक इस बार, चरण रखनी के चूमें ।। |
प्रधानमन्त्री कौन?
Dr.Divya Srivastava
चूहे चाचा चतुर हैं, भ्रमित भतीजा भक्त । कुतर कुतर के तंत्र को, कर जनतंत्र विभक्त । कर जनतंत्र विभक्त, रोटियां रहे सेकते । सान सान के रक्त, शान से उधर फेंकते । किन्तु निडर यह शेर, नहीं जनता को दूहे । सुदृढ़ करे जहाज, भागते देखो चूहे । |
साहित्यकार के विचारों पर कानूनी कारवाई कितनी उचित !!
पूरण खण्डेलवाल
हाई-टी का स्वाद ले, कर ले बन्दे ऐश | कर ले बन्दे ऐश, नया सुनना क्या गुनना | स्वेटर फिर फिर खोल, डिजाइन बढ़िया बुनना | चुकता जाए धैर्य, समय की मारामारी | नव-सिद्धांत नकार, वसूलो माल-गुजारी || |
जनतंत्र रूपी चिलमन और (अ)धर्मनिर्पेक्षता !अंधड़ !शा'रुख का रुख साफ़ है, आय पी एल में पस्त ।पाक खिलाड़ी ले नहीं, मौका-मस्त-परस्त । मौका-मस्त-परस्त, बने प्रेसर गौरी पर । कमल हसन अभ्यस्त, बना बेचारा तीतर । हैं बयान के वीर, बने पुस्तक के आमुख । नंदी बंदी पीर, कमल शिंदे से शा'रुख ।। |
शा'रुख का रुख साफ़ है, आय पी एल में पस्त ।
ReplyDeleteसटीक बात कही रविकर साहब !
आदरणीय गुरुदेव श्री प्रणाम, बेहद शानदार कुण्डलिया हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteबहुत बढ़िया..
ReplyDeleteबेहतरीन लिंक्स एवं प्रस्तुति
ReplyDeleteसादर