1
टाँय-टाँय फिस फ्रेड शिप, टैटेनिक दो टूक |
टकराए हो चूक, हूक हिरदय में उठती |
रह जाये गर मूक, सदा मन ही मन कुढती |
इसीलिए हों रोज, सभी विषयों पर चर्चे |
गलती अपनी खोज, गाँठ पड़ जाय अगरचे ||
2
मित्र सेक्स विपरीत गर, रखो हमेशा ख्याल |
बनों भेड़िया न कभी, नहीं बनो वह व्याल |
नहीं बनो वह व्याल, जहर-जीवन का पी लो |
हो अटूट विश्वास, मित्र बन जीवन जी लो |
एक घरी का स्वार्थ, घरौंदा नहीं उजाड़ो |
बृहन्नला बन पार्थ, वहां मौका मत ताड़ो ||
3
फ्रेंड बड़ा सा शिप लिए, रहे सुरक्षित खेय |
चलें नहीं पर शीप सा, यही ट्रेंड है गेय |
यही ट्रेंड है गेय, बिलासी बुद्धि नाखुश |
गलत राह पर जाय, लगाए रविकर अंकुश |
दुःख सुख का नित साथ, संयमित स्नेही भाषा |
एक जान दो देह, यही है फ्रेंड-पिपासा ||
खुदा की इबादत क्यों करना ?
कुछ जुगाड़ कर दो प्रभू, होवे बेडा पार |
नेता से मंत्री बनू, पैदल को दे कार |
पैदल को दे कार, खजाना सदा बढ़ाना |
कर दे मेरा काम, चढ़ावा पूरा माना |
ढकोसले ये छोड़, नित्य आभार प्रगट कर |
पाया प्रभू अपार, स्वार्थ अब छोडो रविकर ||
"मधुर रक्त को, कौन राक्षस चाट रहा?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' का एक गीत)
काग़ज़ की नावकरे करिश्मा कपटमय, काबिल कृपण कृपाण ।
शिरोधार्य आदेश सब, जाहिल काहिल राड़ |
जाहिल काहिल राड़, नहीं सुख देखा जाता |
कर समाज दो फाड़, शान्ति-सौहार्द मिटाता |
दु:शासन का काम, घसीटे द्रुपद-सुता को |
ताम-झाम अपमान, हवा भर जीवन फांको ||
संयुक्त-राष्ट्र चले जाओ जी !
santosh trivediखाली आंतें न सहें, गुदगुदाय न पेट |
डरिये मत कानून से, झापड़ एक लपेट |
झापड़ एक लपेट, हंसाना भूल सयाना |
कम करवाए रेट, खिलाये सस्ता दाना |
है पापी यह घोर, चोर सा सकल कबीना |
करके यह जोकरी, चैन जनता का छीना ||
पोस्ट अच्छी दिखी जहाँ, देते है टिप्पियाय
ReplyDeleteसटीक लिखते है सदा,सबके मन को भाय,,,,
RECENT POST...: जिन्दगी,,,,
एक घरी का स्वार्थ, घरौंदा नहीं उजाड़ो |
ReplyDeleteबृहन्नला बन पार्थ, वहां मौका मत ताड़ो ||
शुक्रिया इन हिदायतों का .
सधे रहो,लगे रहो,
ReplyDeleteरचे रहो,बस बचे रहो !
waah ji waah
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविताए है
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3. तख़लीक़-ए-नज़र