"बाहर कर लिया /अब अंदर जायेंगे "
माथा भन्नाता विकट, हजम करारी हार |
छाया सन्नाटा अटल, तम्बू-टेंट उखार | तम्बू-टेंट उखार, खार खाए थी सत्ता | हफ़्तों का उपवास, हिला न कोई पत्ता | कांगरेस की जीत, निरंकुश उसे बनाए | राजनीति की दौड़, अगर अन्ना लगवाये || |
कुलबुलाय कीड़ा-कपट, बेईमान इंसान ।
झूठ स्वयं से बोल के, छोड़ हटे मैदान | छोड़ हटे मैदान, डटे थे बड़े शान से | बार बार आमरण, निकाले खड्ग म्यान से | अनशन अब बदनाम, महात्मा गांधी अन्ना | खड्ग सिंह विश्वास, टूटता मिटी तमन्ना || |
ZEAL
राष्ट्र कार्य करने चले, किन्तु मृत्यु भय साथ | लगा नहीं सकते गले, फिर ओखल क्यूँ माथ ? फिर ओखल क्यूँ माथ, माथ पर हम बैठाए | देते पूरा साथ, हाथ हर समय बढाए | आन्दोलन की मौत, निराशा घर घर छाई | लोकपाल की करें, आज सब पूर्ण विदाई || |
वाह क्या इक्ट्ठा कर लिये
ReplyDeleteसारे के सारे एक साथ
अब चलो निकालो हंडिया
और पकायेंगे हम भात !
नायक से खलनायक,आज बन गए है अन्ना
ReplyDeleteगाँव रालेगनसिद्धी जा के, बैठकर चूसे गन्ना,,,,
कैसी शोचनीय स्थिति - साबुन के बुलबुले उठे,जरा हवा लगी बैठ गये ! !
ReplyDeleteaaka bhee jawab nahi hai.bahut hee shandaar
ReplyDeleteno comment ...wait n watch
ReplyDeleteचलो अन्ना का साथ दें....
ReplyDeleteसादर।