ये है भगवा हिंदु आतंकवाद
की प्रतिक्रिया  
पर  
हजम हकीकत क्यों करें, धरें गिरेबाँ झाँक | 
कार-बार नफरत सतत, हरदम हिन्दु हलाक | हरदम हिन्दु हलाक, हजम हमले हठ-धर्मी | मंदिर मठ विस्फोट, दिखाए फिर भी नरमी । खौला ठंडा खून, तिलांजलि अपनी देता | 
कई बार कानून, हाथ में भी ले लेता || 
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जिला अनुपपुर अपना,,,
dheerendra 
काव्यान्जलि ...   
 एक दशक होने चला, बदल रहा है रूप | 
निश्चित ही बेहतर हुआ, अपना जिला अनूप | अपना जिला अनूप, कार्य होते कल्याणी | जियें बिसाहूलाल, अमर हो उनकी वाणी | होय प्रगति हर ओर, कहीं न कोर-कसर हो | रोटी वस्त्र मकान, सभी का गुजर बसर हो ||  | 
 
किस्सा\किस्से
संजय   
मो सम कौन कुटिल खल कामी । 
नाहक करते हो बदनामी । 
पशु की दवा चले दिन राती । 
मुद्रा का क्या आती -जाती । 
कृष्ण कोयला करे दलाली । 
मोहन के भी ऊपर वाली । 
यार करेला क्यूँ खाते हो । 
तौल-नाप कर क्यूँ लाते हो ? 
डबल सिलिंडर है कागज़ पर ।  
घर में लेकिन एक सिलिंडर । 
 झूठ मूठ का बना फ़साना  । 
 आज ईद है कल ले जाना ।। 
 बाँट सका न अपना हिस्सा | 
भूल गया ईंधन का किस्सा | अपना अपना धंधा चालू | तेल निकाले सूखा बालू ||  | 
 
असम हिंसा : क्या हो स्थायी हलSumanलो क सं घ र्ष ! 
तथ्यात्मक यह लेख है, पूर्णतया निष्पक्ष । 
दुनिया भर के लेखकों, समझो सारे पक्ष । 
समझो सारे पक्ष, दोष यूँ नहीं लगाओ । 
बने सही माहौल, किसी को नहीं भगाओ । 
अपने दुश्मन देश, लड़ाने का दे ठेका । 
 जाते हम पगलाय, जहाँ कुछ टुकड़े फेंका ।।   | 
 
साध्वी फिर पहुंची बलात्कारी स्वामी के पास ...
 महेन्द्र श्रीवास्तव  
  चिदर्पिता के अर्थ को, करे सार्थक जाय | जब रहती मौज में, एक प्लेट में खाय | एक प्लेट में खाय, मगर साहस है भाई | पहले गई अघाय, मौत ही शायद लाई | चिन्मय का आनंद, बंद तो नहीं हुआ था | जबकि बीते वर्ष, साध्वी नहीं छुवा था ||  | 
 
तुम उसकी गर्दन नहीं नाप सकते---देवेंद्र गौतमपूर्वोत्तर की दुर्दशा, हँसा काल का गाल | चढ़ा धर्म का गम-गलत, दे दरिया में डाल | दे दरिया में डाल, रक्त से लाल हुई है | फैले नित्य बवाल, व्यस्था छुई मुई है | इच्छा शक्ति अभाव, भाव जिसको दो ज्यादा | बनता वही वजीर, ऊंट घोडा गज प्यादा ||  | 
 
न्यायिक दृष्टिकोण का यह खतना तो  
खलिश पैदा कर रहा है  
 बामियान से लखनऊ, महावीर से बुद्ध | हो शहीद मुंबई में, इ'स्मारक से युद्ध | इ'स्मारक से युद्ध, दिखा नाजायज सारा | क्यूँ मुसलमान प्रबुद्ध, करे चुपचाप गवारा | आगे आकर बात, रखो पूरी शिद्दत से | ठीक करो हालात, बिगड़ते जो मुद्दत से ||  | 
 
"ईद मुबारक़" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')  मधुमेह से होते ग्रसित, कि नेह का मीठा कमा है | दूध में कर दी मिलावट, दाम से होता दमा है | जोश पहले सा नहीं है, बर्फ रिश्तों पर जमा है | बात है क्या बंधुवर जो, आज बुझती सी शमां है | एक महिने की तपस्या, रमजान में रहता रमा है | आपसी रिश्ते मुहब्बत, देश क्यूँ दिखता थमा है ?? 
 ईद मुबारक बंधुवर, होवे दुआ क़ुबूल । 
प्यारे हिन्दुस्तान में, बैठे उडती धूल । 
बैठे उडती धूल, आंधियां अब थम जावें । 
द्वेष ईर्ष्या भूल, लोग न भगें-भगावें । 
 झंझट होवे ख़त्म, ख़तम हों  टंटा -कारक  । 
 दुनिया के सब जीव, सभी को ईद-मुबारक । 
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खबर
सुशील  
उल्लूक टाईम्स 
सुबह सुबह उल्लुओं की, बिलकुल नई जमात | 
खबरें रंग जमात हैं, चाय सहित खा जात | चाय सहित खा जात, पक्ष केवल आता है | बैठा सुस्त विपक्ष, कटघरे में जाता है | कर सियार सा शोर, बड़ी ऊंची आवाजे | होवे चाहे चोर, उसी का डंका बाजे ||  | 
 
 
 
 
आधा सच,,,
ReplyDeleteस्वामी हो या साध्वी,सबका यही है खेल
गेरुआ वस्त्र धारण करे,रात में होता मेल,,,,,
उल्लूक टाइम्स,,,,,
ReplyDeleteकुछ सच्ची कुछ झूठी खबरे, कुछ छपती अफवाह
फिरभी लोग चाय संग पढते, समझ न पाते थाह,,,,
उच्चारण,,,,,
ReplyDeleteईद मुबारक सभी को, ये पावन त्यौहार
गले मिलते है सभी से,सीखे यह व्योहार,,,,
बहुत खूब !
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