आज की और टिप्पणियां 
यहाँ हैं-
नेक सलाह दे रहा हूँ......... !
पी.सी.गोदियाल "परचेत" at अंधड़ ! 
कभी डकैतों से रहा, चम्बल जल बदनाम | 
आज फकैतों ने लिया, जाल जला जल जाम | जाल जला जल जाम, जमीं जर जंगल जोरू | रहे लूट दोउ हाथ, बैठ मैं खीस निपोरुं | पक्का किया करेज, लीज पर मैं भी लूंगा | रक्खूं भूमि सहेज, घूस भी दूना दूंगा ||  | 
 
असम हिंसा : क्या हो स्थायी हलSumanलो क सं घ र्ष ! 
तथ्यात्मक यह लेख है, पूर्णतया निष्पक्ष । 
दुनिया भर के लेखकों, समझो सारे पक्ष । 
समझो सारे पक्ष, दोष यूँ नहीं लगाओ । 
बने सही माहौल, किसी को नहीं भगाओ । 
अपने दुश्मन देश, लड़ाने का दे ठेका । 
 जाते हम पगलाय, जहाँ कुछ टुकड़े फेंका ।।   | 
 
मृत्यु तक फांसी पर लटकाया जाये गोपाल कांडा को !
शिखा कौशिक  
(विचारों का चबूतरा ) 
जितने पल इसने जिये, दुःख के उतने मास । 
मांसखोर के अंग को, काट करें उपहास । 
काट करें उपहास,  उलट लटकाएं भैंसा । 
दंड नियम प्राचीन, मिले जैसे को तैसा । 
लेकिन जिम्मेदार, पिता भाई भी थोड़े । 
रूपया आता देख, रहे चुप पड़े निगोड़े ।। | 
 
तुम उसकी गर्दन नहीं नाप सकते---देवेंद्र गौतमपूर्वोत्तर की दुर्दशा, हँसा काल का गाल | चढ़ा धर्म का गम-गलत, दे दरिया में डाल | दे दरिया में डाल, रक्त से लाल हुई है | फैले नित्य बवाल, व्यस्था छुई मुई है | इच्छा शक्ति अभाव, भाव जिसको दो ज्यादा | बनता वही वजीर, ऊंट घोडा गज प्यादा ||  | 
 
 कार्टून :- मंगल पे मंगू 
![]() तेरे बिन कैसे वहां, बन पाए सरकार | करते अपना पक्ष सबल, वोट पोट दरकार | वोट पोट दरकार, तुम्हारे खातिर शातिर | बना योजना खाँय, इसी में माहिर आखिर | देखें अपना लाभ, करेंगे सीधा उल्लू | ले जायेंगे साब, पियो पानी एक चुल्लू ||  | 
 
ईद मुबारक
 आमिर दुबई  
मोहब्बत नामा   
 ईद मुबारक बंधुवर, होवे दुआ क़ुबूल । 
प्यारे हिन्दुस्तान में, बैठे उडती धूल । 
बैठे उडती धूल, आंधियां अब थम जावें । 
द्वेष ईर्ष्या भूल, लोग न भगें-भगावें । 
 झंझट होवे ख़त्म, ख़तम हों  टंटा -कारक  । 
दुनिया के सब जीव, सभी को ईद मुबारक ।। | 
 
न्यायिक दृष्टिकोण का यह खतना तो  
खलिश पैदा कर रहा है  
 बामियान से लखनऊ, महावीर से बुद्ध | हो शहीद मुंबई में, इ'स्मारक से युद्ध | इ'स्मारक से युद्ध, दिखा नाजायज सारा | क्यूँ मुसलमान प्रबुद्ध, करे चुपचाप गवारा | आगे आकर बात, रखो पूरी शिद्दत से | ठीक करो हालात, बिगड़ते जो मुद्दत से ||  | 
 
काहे हउआ हक्का-बक्का..!देवेन्द्र पाण्डेयबेचैन आत्मा गिरहकटों का काम है, पूरा धक्का मार | ध्यान बटा कि सटा दें , इक ब्लेड की धार | इक ब्लेड की धार, मरो ससुरों दंगों में | माल कर गए पार, हुई गिनती नंगों में | झूठ-मूठ के खेल, जान-जोखिम का शिरकत | देंगें बम्बू ठेल, आँख बायीं है फरकत ||  | 
 

 
you are right .father and brother are also responsible for this .
ReplyDeleteबहुत बढ़िया..ईद मुबारक !
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteसहमत !