यह लिंक भी नए हैं-
- होय बुराई पस्त, ढकी फूलों से झाड़ी
- इनको मिले न अन्न, सन्न ताकें छत गायब-
- हरे अलाय-बलाय, लाल का लाल किला यह-
शराब देवी
मधुशाला से दूर हैं, जाते बस इक बार |
बस जाती रंगीनियाँ, हो जाता उद्धार |
हो जाता उद्धार, उधारी उधर नहीं है |
करे नगद पेमेंट, पुराना माल सही है |
बार रूम में साज, बैठते सब को लेकर |
केवल दो दो पैग, रोक है पूरी रविकर ||
अरुण कुमार निगम
याद उन्हें भी कर लो
सात समंदर पार कर, नाव चली इंग्लैण्ड |
बलिदानों से बच सकी, टूटे दुश्मन हैण्ड |
टूटे दुश्मन हैण्ड, बैण्ड अब हमी बजाते |
कई बिदेशी ब्रांड, दौड़ कर अब अपनाते |
बड़े विदेशी बैंक, खुले खाते बेनामी |
ब्लैक मनी का ढेर, रखे हैं सत्ता स्वामी ||
बड़ा चुकाया मोल, रोल इन शैतानों का |
तानों से दे मार, गजब शै हुक्मरानों का |
राशन पानी स्वास्थ्य, बही शिक्षा सड़कों पर |
अंधकार अति गहन, करे क्या रोशन रविकर ||
सिंहावलोकन
मसीही आजादी
नहीं नियत में खोट था, होता यही प्रतीत |
सही सार्थक बतकही, मानवता की जीत |
मानवता की जीत, रही चिंता सीमा पर |
मार-काट के बीच, उजाला फैला रविकर |
पर गंगा की धार, बहाई भरे समंदर |
करें पंथ विस्तार, यही है दिल के अन्दर ||
याद उन्हें भी कर लो
सात समंदर पार कर, नाव चली इंग्लैण्ड |
बलिदानों से बच सकी, टूटे दुश्मन हैण्ड |
टूटे दुश्मन हैण्ड, बैण्ड अब हमी बजाते |
कई बिदेशी ब्रांड, दौड़ कर अब अपनाते |
बड़े विदेशी बैंक, खुले खाते बेनामी |
ब्लैक मनी का ढेर, रखे हैं सत्ता स्वामी ||
दिशाएँ
ये कैसी आजादी
ये कैसी आजादी
ऐसी आजादी खले, बाली जी के बोल |
उथल पुथल दिल में मचे, बड़ा चुकाया मोल |
उथल पुथल दिल में मचे, बड़ा चुकाया मोल |
बड़ा चुकाया मोल, रोल इन शैतानों का |
तानों से दे मार, गजब शै हुक्मरानों का |
राशन पानी स्वास्थ्य, बही शिक्षा सड़कों पर |
अंधकार अति गहन, करे क्या रोशन रविकर ||
मसीही आजादी
नहीं नियत में खोट था, होता यही प्रतीत |
सही सार्थक बतकही, मानवता की जीत |
मानवता की जीत, रही चिंता सीमा पर |
मार-काट के बीच, उजाला फैला रविकर |
पर गंगा की धार, बहाई भरे समंदर |
करें पंथ विस्तार, यही है दिल के अन्दर ||
फैक्ट एंड फिगर
टेर लुटेरे न सुनें, प्रणव नाद न दुष्ट |हुन्कारेंगें जब सभी, तब होंगे संतुष्ट |
तब होंगे संतुष्ट, पुष्ट ये धन दौलत से |
चोरी की लत-कुष्ट, सफेदी झलके पट से |
तन पे खद्दर डाल, लूटते हैं गांधी भी |
सारे खड़े बवाल, हिले इनकी न जीभी ||
तरूण की डायरी
हरामी नेता और लाल किला
हरामी नेता और लाल किला
करदाता के खून को, जब निचोड़ खूंखार |
करते बन्दर-बाँट तब, होता दर्द अपार |
करते बन्दर-बाँट तब, होता दर्द अपार |
होता दर्द अपार, बड़े कर की कर चोरी |
भोग रहे ऐश्वर्य, खींचते सत्ता डोरी |
बन्दे सत्तासीन, कमीशन खोर हो गए |
मध्यम साथ करोड़, आज चुपचाप सो गए ||
आजादी के गीत
संतोष कु. झा ने यह गीत चुराया
चोरी होते गीत हैं, सोना चाँदी नोट ।
अच्छी चीजें देख के, आये मन में खोट ।
आये मन में खोट, लुटेरे लूट मचाएं ।
है सलाह दो टूक, माल यह कहीं छुपायें ।
इतने सुन्दर गीत, चुराना बनता भैया ।
जियो मित्र संतोष, गजब तुम हुवे लुटैया ।।
लिंक के साथ उनपर सीमित शब्दों की तुकों से पहुँचने की लालसा बढ़ जाती है... संचालन की भूमिका आप अच्छी निभाते हैं. आभार.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ... आभार
ReplyDeleteNice post.
ReplyDeleteआपने हमारे ब्लॉग वेद कुरआन की पोस्ट को पढ़ा.
शुक्रिया.
देखिये नई पोस्ट -
एक दान-पर्व है ईद-उल-फितर Eid 2012
http://vedquran.blogspot.in/2012/08/eid-2012.html
सुन्दर प्रस्तुति ...
ReplyDeleteबढ़िया लिंक, टिपियाया भी अच्छा है!
ReplyDeleteइतने सुन्दर गीत, चुराना बनता भैया ।
ReplyDeleteजियो मित्र संतोष, गजब तुम हुवे लुटैया ।।
वाह रविकर जी ,आशीषों तुम चोर को ,चोर बने लिख्खाड ....
काश, मेरे भी गीत चुराने लायक होते !
ReplyDeleteदो पैग पीना भी
ReplyDeleteकोई पीना होता है
बोतल में बच जाये
शराब अगर थोड़ी भी
उसे देख देख कर जीना
भी कोई जीना होता है ?