हजम न होता लंच, टंच गर होगी रचना |
है मिथ्या आरोप, चाहिए इससे बचना |
सुन्दर सत्यम-शिवम् , बतंगड़ बातें बनती |
होय घात-प्रतिघात, भृकुटियाँ खिंचती तनती ||
(2)
हैं सुशील कितने विनम्र, शील नाम अनुरूप ।
लेकिन जोशी पर पड़ी, रविकर भीषण धूप ।
रविकर भीषण धूप, छुपा उल्लूक अँधेरे ।
रहा नाग फुफकार, शिवम् का नंदी घेरे ।
अक्खडपन महराज, शब्द पर क्यूँ न भड़के ।
क्या प्रोफ़ेसर साब, क्लास लेनी थी तड़के ।।
(3)
चर्चा का क्या अर्थ है, केवल टिप टिप टीप |लिखना सचमुच व्यर्थ क्या, बुझता ज्ञान प्रदीप |
बुझता ज्ञान प्रदीप, सार्थक चर्चा समझो |
किया कराया लीप, व्यर्थ सज्जन से उलझो |
चर्चा करें सटीक, धीर जोशी जी आमिर |
वीरू भाई अरुण, कई पाठक है माहिर ||
सन्दर्भ : स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें चर्चा मंच 972
चर्चाकार : रविकर फैजाबादी
मेरी
पोस्ट को आपने यहाँ लिंक किया उसके लिए आभार पर माफ कीजिएगा ... दुख होता
है यह देख कर जिस चर्चा मंच को देख कभी खुद भी चर्चा करने की सोचा करता था
आज उसका यह हाल है !
आपके इस टिप्पणी के खेल के कारण कहीं न कहीं आप बाकी ब्लोगस से उनके पाठक छिन रहे है ! शास्त्री जी से अनुरोध है इस बारे मे कुछ कीजिये ... टिप्पणी करने वाला केवल आपके पोस्ट पर किसी ब्लॉग लिंक मे बारे मे अपनी राय दे कर चला जाये तो क्या इस से चर्चा सार्थक होगी ... ज़रा सोचिएगा !
ReplyDeleteआपके इस टिप्पणी के खेल के कारण कहीं न कहीं आप बाकी ब्लोगस से उनके पाठक छिन रहे है ! शास्त्री जी से अनुरोध है इस बारे मे कुछ कीजिये ... टिप्पणी करने वाला केवल आपके पोस्ट पर किसी ब्लॉग लिंक मे बारे मे अपनी राय दे कर चला जाये तो क्या इस से चर्चा सार्थक होगी ... ज़रा सोचिएगा !
वाह बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteजबरदस्त!
ब्लाग ब्लागर गर गर गर घड़ घड़ धूम धड़ाम
ReplyDeleteरविकर खेल खेल में खेलना हुआ अब हराम
टिप टिप टिप्पणी टिपियाना भी है कोई काम
संगति में रहकर टिप्पणीकार के हुआ जुखाम
भगवान बचाये हे राम हे राम हे राम !!
ReplyDeleteबीती ताहि बिसार दे ,आगे की सुधि लेई.....हो ली सो हो ली ,कुछ तुमने कहा कुछ हमने सुना,बात घर की घर में रही ....बढ़िया लिंक और सवाल ज़वाब ...मान मनोवल ,अंत भला सो भला .....
मुताबिक़ रूल बुक के,टिप्पणी करना काम
ReplyDeleteपसंद आये तो लौटाना,नही तो सीता राम,,,,,
बेहतरीन प्रस्तुति बहुत लाजबाब ,,,,,